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राजस्थान: कंपनी ने बताई कार की भरपाई, कोर्ट ने लगाया एक लाख का हर्जाना

जोधपुर, 1 अगस्त। जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने जानी-मानी कार निर्माता कंपनी फोर्ड पर अपनी कार के अधिक अवशेषों के विज्ञापन के आरोप में एक लाख रुपये की कमी बताई है। मिली जानकारी के अनुसार, कुडी भगतासनी निवासी अक्षय पारख ने जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय में शिकायत दर्ज की है, जिसके अनुसार वह कार निर्माता कंपनी फोर्ड द्वारा अपनी फोर्ड फिएस्टा क्लासिक कार के 32.38 किमी प्रति लिटरेचर लॉज के विज्ञापन के आधार पर 2012 में बताई गई कार है। को खरीदा था. लेकिन उपयोग में अन्य दोषों के साथ कार का दोष अत्यंत ही कम पाया गया। इस प्रकार के समाचार निर्माताओं ने विज्ञापन में प्रकाशित किया और कार के दिशा-निर्देशों में उन्हें दिए गए ब्रोशर में विद्रूप दार्शनिकों के दावे के साथ सेवा में दोष और अनुचित व्यापार-व्यवहार किया गया है।

इसके जवाब में कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा कि उक्ति एक परीक्षण पर आधारित है और ‘एटो कार’ के बारे में उनके द्वारा प्रमाण पत्र भी जारी किया गया है। कार का व्यवसाय वाहनों की निर्धारित गति, टायर, टायरों में हवा का दबाव, बनाने के तरीके पर निर्धारित किया गया है और कंपनी द्वारा निर्धारित मानक की निर्धारित करने पर इसमें कमी हो सकती है।

मामले की सुनवाई के दौरान कार का संयुक्त परीक्षण किया गया और आयोग निर्माता और विक्रेता को उनके मानक के अनुसार कंपनी द्वारा समर्थित मुख्य कार्य का अवसर भी दिया गया, लेकिन कंपनी के लोग किसी भी परिस्थिति में कार का लाभ 19.3 किमी प्रति लीटर से अधिक होना सिद्ध नहीं कर सका। अध्ययन के दौरान यह भी पाया गया कि जहां अन्य समकक्ष कार निर्माता निर्माता, जैसे कि मार्क और होंडा अपने वाहनों का अधिकांश हिस्सा क्रमशः 20.45 और 25.8 किमी ही बटाला कर रहे हैं, वहां फोर्ड कंम्पनी के टुकड़े-टुकड़े कर रहे हैं, वहां फोर्ड कंम्पनी के समूह में प्रमुख लोग शामिल हैं। है.

आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्याम सुंदर लता, सदस्य डॉ. अनुराधा व्यास और आनंद सिंह लंका की न्यायपीठ ने अपने निर्णय में कार निर्माता कंपनी फोर्ड इंडिया ली, सामान और विक्रेता ओ एस कार, जोधपुर को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार का आरोप लगाया हुई आर्थिक, शारीरिक और मानसिक मनोवैज्ञानिक के लिए एक लाख रुपये का विज्ञापन करने का ऑर्डर दिया गया। साथ ही फोर्ड कंपनी को भविष्य में इस तरह का विज्ञापन या प्रचार करने की भी मनाही है।