पर प्रकाश डाला गया
- बेटे की मां के शराब पीने की लत से थी काफी परेशान।
- छोटे बेटे मनोज ने चाकू से हमला कर मां की हत्या की।
- दूसरी घटना पत्नी पर टांगिया से हमला वाले पति को सजा।
नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा।
बस्ती में निवासरत मीरा के पति की मृत्यु के बाद वह अपने दो बेटों के साथ रही थी। बताया जा रहा है कि बड़ा बेटा पास्को एक्ट के मामले में जेल में बंद निरुद्ध का छोटा बेटा मनोज घर पर था। वह, मां के शराब पीने की लत से काफी परेशान थी। साथ ही उन्हें इंसान के किरदार पर भी शक था। इसी बात को लेकर दोनों के बीच कई बार विवाद भी हुआ था।
चार मई 2023 की रात मां-बेटे के मध्य पुन: विवाद हुआ, तब बंदूकधारी मनोज ने चाकू से हमला कर मां की हत्या कर दी। मामले में पुलिस ने आरोप लगाया कि वर्ष पुत्र को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया था।घटना करीब-करीब पहले डेनमार्क क्षेत्र अंतर्गत राताखार बस्ती में हुई थी।
केस कोर्ट में विचाराधीन था। शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक कृष्ण कुमार डेन ने पैरवी करते हुए मामले में समानता-सबूत पेश किया। इससे मनोज पर दोष सिद्ध हो गया। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने पुत्र को सासश्रम अन्य की सजा सुनाई है।
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पत्नी पर जानलेवा हमला करने वाले पति को सात साल का आरोप
नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा। मामला श्यांग थाना अंतर्गत खिरसाली पारा का है। 17 दिसंबर 2022 को खिरासली पारा निवासी प्रफुल्ल यादव और उनकी पत्नी लग्नमती बाई दोनों घर पर शराब पी.ए. गए। इसी बीच किसी बात को लेकर दोनों के मध्य विवाद हो गया।
विवाद में वृद्धि हुई, ग्यान एसोसिएट ने घर में राख टांगिया (कुलहड़ी) से लग्नमती के बाएं हाथ, बाएं कान के पीछे और अन्य स्थान पर हमला कर दिया, तदुपरांत घर से भाग गया। घटना में लग्नमति गंभीर रूप से घायल हो गई। उसके चिल्लाने पर अन्यत्र में निवासरत उसकी देवरानी बस्ती। उसकी समस्या के बारे में उसने अन्य लोगों को फोन किया और डायल 112 पर सूचित कर इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।
श्यांग पुलिस ने मामले की सूचना बैठक में नवीनीकृत धारा 307 के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया। निवेशकों के बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक कृष्ण कुमार दुबे ने पैरवी की।
विडौ ने बताया कि न्यायालय के समसामयिक विशेषण प्रस्तुत किये गये। इसके बाद न्यायाधीश ने सात साल के आश्रम दोषी को पांच रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थ दंड जमा करने पर दो माह का अतिरिक्त समाज दोष का निर्णय नहीं लिया जाता है।