कैरी-बैग की कीमत वसूलने का अधिकार नहीं: उपभोक्ता संरक्षण आयोग

जोधपुर, 26 अगस्त। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग II ने एक अहम फैसले में कहा कि ग्राहक को सुरक्षित स्थिति में सामान दिए जाने पर डिलिवरी करना विक्रेता का होता है। इसलिए सामान को घर तक ले जाने के लिए विक्रेता को भारी मात्रा में सामग्री की कीमत वसूलने का कोई अधिकार नहीं है। आयोग ने ग्राहकों को सामान के साथ लाए कैरीबैग की कीमत वसूलने के एक मामले में दोस्तों पर चार हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। जोधपुर निवासी उपेन्द्र कुमार ने आयोग के सामन्त सरदारपुरा स्थित वाइल्ड क्राफ्ट इंडिया लि. पार्टी के विरोध में प्रस्तुत कर बताया गया कि वह जुलाई, 2019 में रेडीमेड शोरूम से शोरूम गयी थीं। फर्म ने सामान के साथ कैरीबैग की कीमत 8.92 बताई गई है। साथ ही शी कैरीबैग पर अपनी फर्म का नाम छपाकर का विज्ञापन भी कर रखा है।

आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्याम सुन्दर लता, सदस्य डॉ. अनुराधा व्यास, आनंद सिंह लॅप के बैंच ने सुनवाई के बाद कहा कि माल वैट अनुबंध के पेशेवरों के अनुसार ग्राहक को सामान की सुरक्षित डिलिवरी देनदारी विक्रेता के पास जाती है। जिस कारण सामान सही स्थिति में ले जाने के लिए कैरीबैग या सामग्री की कीमत वसूलने का अधिकार नहीं है।

आयोग ने बास्केटबॉल खिलाड़ियों को अनुचित व्यापार व्यवहार का आरोप लगाते हुए कहा कि कैरीबैग की कीमत 8.92 रुपये और फिजिकल व साइकोलॉजिकल प्रैक्टिस के रूप में दो हजार रुपये की राशि का विज्ञापन करने का ऑर्डर दिया गया है। दो हजार रुपये का हर्जाना उपभोक्ता कल्याण कोष राजस्थान में जमा करने का ऑर्डर भी दिया गया है।

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