MRSAM मिसाइल: वायु सेना में शामिल हुई MRSAM मिसाइल, कार्यक्रम में रक्षा मंत्री भी हुए शामिल

जोधपुर, 9 सितम्बर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राजस्थान में आधिकारिक तौर पर मध्यम दूरी की जमीन से आसमान में मार करने वाले मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम को भारतीय विमानपत्तन को हटा दिया। मध्यम दूरी की जमीन से आसमान में मार करने वाली इस मिसाइल (मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल-एमआरएसएएम) की सुविधा यह है कि यह 360 डिग्री तक घूमकर दुश्मनों पर हमला कर सकती है। इस कार्यक्रम में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सैन्य प्रमुख मार्शल बैचलर जनरल भी मौजूद रहे। राजस्थान के मसूदा जालोर में राष्ट्रीय सेना को समर्पित करने के बाद रक्षा मंत्री जनरल एरिया, जहां उन्होंने इज़राइल एयरोस्पेस उद्योग और रक्षा अनुसंधान विकास संगठन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित इस मिसाइल को आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया गया। के कार्यक्रम में शिक्षार्थी की।

इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित मिसाइलों की विशिष्टता यह है कि यह हवा में एक साथ आने वाले कई मिसाइलों या जहाजों पर 360 डिग्री तक घूमकर एक साथ हमला कर सकता है। राजनाथ सिंह ने एटलस के एयरफोर्स में ही एम एमआर्किल एमआईएस मिसाइल बेस का उद्घाटन भी किया। इसके बाद रक्षा मंत्री ने वहां पेंसिलों से चर्चा की और अपनी उलाहनाअफजाई की।

पश्चिमी सीमा पर रेंजर्स ताकतें

पाकिस्तान से पश्चिमी देशों की पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इस क्षेत्र में सेना की सेनाएं और सैनिक अड्डे मौजूद हैं। 70 किमी तक मार करने की क्षमता रखने वाली और 360 डिग्री पर लक्ष्य को साधने वाली इस मिसाइल के होने से अंतर्राष्ट्रीय सीमा और भारतीय पाकिस्तान से सटी सीमा पर सेना को और अधिक जगह मिलती है, जो दुश्मनों की मिसाइलों और उनके विस्तार को भेदने में सहायक सिद्ध होगी।

ये है विशेषता

  • इसे इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
  • यह हवा में एक साथ आने वाले कई हमलावरों या दुश्मनों पर 360 डिग्री तक घूमकर एक साथ हमला कर सकता है।
  • यह मिसाइल 70 किमी के हिस्से में आने वाली कोई भी मिसाइल, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, जहाज़, निगरानी जहाज़ और हवाई शत्रुओं को मार गिराने में सक्षम है।
  • मिसाइल का 17 मई 2019 को नौसेना के जहाज़ का असफल परीक्षण किया गया था।

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