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लैंको अब हुआ अडानी पावर प्लांट, स्थानांतरण की प्रक्रिया पूर्ण

पर प्रकाश डाला गया

  1. संस्थान के सभी 525 कर्मचारी सचिवालय यथावत।
  2. केएसके के लिए लगाए गए हैं, डीबी पर भी नजर।
  3. 1320 मशीन की यूनिट का काम पहले पूरा होगा।

नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा : लैंको पावर प्लांट अब पूरी तरह से अडानी पावर लिमिटेड (एपीएल) में बदल गया है। हैदराबाद में लैंको और अदाणी के शीर्ष पंजीकरण के बीच स्थानांतरण की प्रक्रिया दो दिन पहले हुई, इसके बाद कोरबा स्थित लैंको प्लांट में भी अडानी पावर के नाम पर काम गुरुवार से शुरू हो गया। आने वाले दो माह के इनसाइड प्लांट का बोर्ड बदल कर अदाणी पावर लिमिटेड में प्रवेश कर दिया जाएगा।

लैंको मैनेजमेंट ने 21 अगस्त को अपने बैंक पोर्टफोलियो को बंद कर दिया और अदाणी पावर के बैंक के लिए जिम्मेदारी अब शुरू हो गई है। यहां वर्तमान में 525 अधिकारी एवं कर्मचारी कर्मचारी हैं। ये यथावत नागा, केवल शीर्ष स्तर के अधिकारी अदाणी पावर के भेजे जायेंगे। यह प्रक्रिया भी जल्द ही पूरी कर ली जाएगी, ताकि प्लांट का काम अदानी की नीति – रीति से हो सके। कोरबा जिले में स्थित ग्राम पताही 1337 ओकलैंड में लैंको की 300-300 ट्रेन की दो गाड़ियां वर्ष 2008-09 से संचालित हैं। 11 एसोसिएट्स व बैंकों की 14 हजार 632 करोड़ की कमाई थी। इसमें करीब सात हजार पावर फाइनेंस कार्पोरेशन का योगदान था। नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने लैंको की नीलामी की प्रक्रिया दो साल में पूरी कर ली। हरियाणा और मध्य प्रदेश से 300-300 लैंको बिजली की आपूर्ति की जा रही है।

केक्सके के लिए लगाए गए हैं, डीबी पर भी नजर

अडानी की छत्तीसगढ़ में तीसरी बिजनेस कंपनी है। इससे पहले अडानी ने तिल्दा को पास स्थित जी मार्केट पावर प्लांट को टेकओवर कर लिया था। इससे पहले अडानी मैनेजमेंट कोरबा स्थित एक निजी प्लांट का भुगतान कर चुकी है। इसके ग्राम अकलतरा स्थित केएसके ग्रेटडी पावर के लिए 27000 हजार करोड़ की बोली लगाई गई है, जो सबसे ज्यादा है। यह प्लांट 1800 स्टूडियो और पीओयू 3600 मेवा का हुआ है। इस प्लांट के लिए एनटीपीसी ने भी बोली लगाई है। अडानी, चांपा-जांजगीर में ही डीबी पावर प्लांट को भी लेने की तैयारी में है।

कर्मचारियों को दो साल से वेतन वृद्धि का इंतजार है

लैंको के नियमित कर्मचारियों के लिए हर पांच साल में वेतनमान में वृद्धि का विधान है। निर्धारित समय के चार साल बाद भी वेतन वृद्धि नहीं देखी गई। निर्माण कार्य के दौरान छत्तीसगढ़ सहित कोरबा के कई पेटी प्लांट और सप्लायरों के करोड़पति शामिल हैं। इसका भुगतान भी अब तक नहीं हो सका। जिन किसानों की जमीन इस प्लांट के लिए निकली, उन्हें अब तक न तो साकेत मिल सका और न ही रोजगार।