पर प्रकाश डाला गया
- दोस्ती की डोर से बंधक भाई-बहन ने त्यागा, समर्पण और प्रेम का दिया परिचय।
- सुरभि ने भाई शुभम की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी।
- मुकबधिर भाई के साहस और जीवन को चुनौती में बहन ने रानी की मदद की।
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। दोस्ती का त्योहार भाई और बहन के बीच के रिश्ते में प्यार और दोस्ती शामिल है। रक्षाबंधन के दिन बहनें पूजा- रेस्टॉरेंट के कारीगरों की कलाई पर राखियां बेचने की कामना उनकी लंबी उम्र की होती है। त्योहार पर कुछ भाई-बहनों की कहानियां बताई जा रही हैं, जो एक-दूसरे की कमियों को इस अंदाज में देखते हैं कि एक-दूसरे की जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं।
शुभम अगिचाई को जब एक किडनी की जरूरत थी तो बहन सुरभि ने अपनी एक किडनी अपने भाई को दान कर दी। मूकबधिर भाई आलोक का जीवन बेहतर बनाने के लिए बहन ने भी रायपुर में अपनी गृहस्थी बसा ली। वहीं भाई-बहन की जोड़ी अंजलि देशपांडे और पार्थ सारथी देशपांडे बच्चों की देशभाल कर रहे हैं।
भाई के जीवन को नई दिशा
रायपुर की अंजलि देशपांडे (35 वर्ष) और पार्थ सारथी देशपांडे के बीच भाई-बहन के प्रेम की मिसाल कायम कर रहे हैं। पार्थ देशपांडे को सीखने में अधिक समय लगता है, लेकिन अंजलि ने अपने भाई का ध्यान आकर्षित किया है। पार्थ को बचपन से खाना बनाने का शौक था तो अंजलि ने भाई के लिए टिफिन सर्विस शुरू कर दी। कोपलवाणी में भाई और बहन अनैतिक बच्चों की देखभाल करते हैं। दोनों के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग और मित्रता की भावना है। यही मैत्री-भाव उन्हें आगे बढ़ा रहा है और वे प्रगति करते हुए सेवा कार्य में संलग्न हैं। यही शिक्षा सभी को देते हैं।
बहन ने भाई को अंगदान कर दिया नया जीवन
सुरभि अगिचाई (30 वर्ष) और शुभम अगिचाई (28 वर्ष) ने भाई-बहन के बीच त्याग की मिसाल पेश की है। सुरभि बताती हैं कि भाई के लिवर में इंफेक्शन के कारण शरीर में कुछ बदलाव देखने को मिले। जब रायपुर के अस्पताल में डॉक्टर से परीक्षण किया गया तो आहार परिवर्तन की सलाह दी गई।
इसके बाद मैं और सबसे छोटा भाई संस्कार (20 वर्ष) यूरोपियन मैच। मेरी किडनी भाई की किडनी के साथ मैच हो गया। इसके बाद चार अगस्त को चेन्नई में सफल आपरेशन हुआ। शुरुआत में घरवाले मेरे फैसले से खुश नहीं थे, लेकिन बाद में उन्होंने स्वागत किया।
मूकबधिर भाई की मशहूर हस्ती ने बनाई रायपुर में बसाई होम स्टोरी
भाई-बहन में दोस्ती के गुण आलोक जैसवाल और रानी जैसवाल से जानिए। मूलत: गरियाबंद जिले के रहने वाले आलोक मूकबधिर हैं। इसके कारण उन्हें पढ़ाई और नौकरी के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी बहन रानी ने अपने भाई का साथ दिया।
कोपलवाणी से 12वीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आलोक ने कंप्यूटर शिक्षा ली और रायपुर में ही निजी संस्थान में नौकरी करने लगे। भाई को कोई परेशानी न हो, इसलिए बहन अपने पति के साथ रायपुर में रहने लगी। यहां वह अपने भाई आलोक का ध्यान केंद्रित करती है।