नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वैश्विक दक्षिण के देशों से खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा संकटों तथा आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्व भर में “अनिश्चितताओं” के परिणामों पर चिंता भी जताई।
भारत द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के तीसरे संस्करण में अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ‘सामाजिक प्रभाव कोष’ में 25 मिलियन अमरीकी डालर का प्रारंभिक योगदान देगा, जिसका उद्देश्य वैश्विक दक्षिण में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) विकसित करना है।
प्रधानमंत्री ने पारस्परिक व्यापार, समावेशी विकास को बढ़ावा देने तथा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वैश्विक दक्षिण या विकासशील देशों के साथ अपनी क्षमताओं को साझा करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया भर में “अनिश्चितता का माहौल” है और यह अभी भी कोविड-19 महामारी के प्रभाव से पूरी तरह से बाहर नहीं आया है, युद्धों के कारण विकास के लिए नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, “हम पहले से ही जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और अब स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद हमारे समाज के लिए गंभीर खतरे बने हुए हैं। प्रौद्योगिकी विभाजन और प्रौद्योगिकी से संबंधित नई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां भी उभर रही हैं।”
उन्होंने कहा कि पिछली सदी में गठित वैश्विक शासन और वित्तीय संस्थाएं इस सदी की चुनौतियों से लड़ने में असमर्थ रही हैं।
“यह समय की मांग है कि ग्लोबल साउथ के देश एकजुट हों, एक स्वर में एक साथ खड़े हों और एक-दूसरे की ताकत बनें। आइए हम एक-दूसरे के अनुभवों से सीखें।” “आइए हम अपनी क्षमताओं को साझा करें। आइए हम मिलकर अपने संकल्पों को पूरा करें। आइए हम मिलकर मानवता के दो-तिहाई हिस्से को मान्यता दिलाएं,” पीएम मोदी ने कहा।
पिछले कुछ वर्षों में भारत वैश्विक दक्षिण या विकासशील देशों, विशेष रूप से अफ्रीकी महाद्वीप की चिंताओं, चुनौतियों और आकांक्षाओं को सामने रखते हुए एक अग्रणी आवाज के रूप में अपनी स्थिति बना रहा है।
पिछले वर्ष जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत ने समावेशी विकास, डिजिटल नवाचार, जलवायु लचीलापन और समतापूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य पहुंच जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया था, जिसका उद्देश्य वैश्विक दक्षिण को लाभ पहुंचाना था।
प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के क्षेत्र में सहयोग के महत्व पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, “समावेशी विकास में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना अर्थात डीपीआई का योगदान किसी क्रांति से कम नहीं है। हमारी जी-20 अध्यक्षता के तहत निर्मित वैश्विक डीपीआई रिपोजिटरी, डीपीआई पर पहली बहुपक्षीय आम सहमति थी।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “हमें खुशी है कि ग्लोबल साउथ के 12 भागीदारों के साथ ‘इंडिया स्टैक’ को साझा करने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। ग्लोबल साउथ में डीपीआई में तेजी लाने के लिए हमने एक सामाजिक प्रभाव कोष बनाया है। भारत इसमें 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रारंभिक योगदान देगा।”
प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक दक्षिण के साथ सहयोग के लिए विभिन्न रूपरेखाओं को भी सूचीबद्ध किया।
उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में बुनियादी ढांचे, डिजिटल और ऊर्जा कनेक्टिविटी के क्षेत्रों में हमारा सहयोग बढ़ा है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मिशन लाइफ के तहत हम न केवल भारत में बल्कि साझेदार देशों में भी छतों पर सौर और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को प्राथमिकता दे रहे हैं। हमने वित्तीय समावेशन और अंतिम छोर तक वितरण पर अपने अनुभव साझा किए हैं।”
भारत ने वैश्विक दक्षिण के विभिन्न देशों को एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) से जोड़ने की पहल की है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी साझेदारी ने शिक्षा, क्षमता निर्माण और कौशल के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है।”
मिशन लाइफ या पर्यावरण के लिए जीवनशैली एक भारत-नीत पहल है जिसका उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कार्रवाई को बढ़ावा देना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत द्वारा वैश्विक दक्षिण को दी गई प्राथमिकता पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, “2022 में जब भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली थी, तब हमने जी-20 को एक नया आकार देने का संकल्प लिया था। वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा मंच बना, जहां हमने विकास से जुड़ी समस्याओं और प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा की।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने वैश्विक दक्षिण की आशाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं के आधार पर जी-20 एजेंडा तैयार किया तथा समूह को समावेशी और विकास-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ाया।
उन्होंने कहा, “इसका सबसे बड़ा उदाहरण वह ऐतिहासिक क्षण था जब अफ्रीकी संघ ने जी-20 में स्थायी सदस्यता ग्रहण की।”
भारत की जी-20 अध्यक्षता के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि अफ्रीकी संघ इस समूह का नया स्थायी सदस्य बन गया, जो 1999 में इसकी स्थापना के बाद से इस प्रभावशाली समूह का पहला विस्तार था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा मंच है, जहां हम उन लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को आवाज दे रहे हैं, जिनकी आवाज अब तक अनसुनी रही है। मेरा मानना है कि हमारी ताकत हमारी एकता में निहित है और इसी एकता की शक्ति से हम एक नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं।”
(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को एनडीटीवी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से प्रकाशित किया गया है।)