नई दिल्ली: एनडीए के सहयोगी दलों जेडी(यू) और टीडीपी ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाना है और मस्जिदों के संचालन में हस्तक्षेप करने का प्रयास नहीं है। सरकार द्वारा विधेयक पेश करने के लिए लोकसभा में बोलते हुए जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ ने जोर देकर कहा कि यह विधेयक मुस्लिम विरोधी नहीं है।
विधेयक का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, “कई सदस्य ऐसा कह रहे हैं जैसे वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन मुस्लिम विरोधी है। यह मुस्लिम विरोधी कैसे है?” उन्होंने दावा किया, “यहां अयोध्या का उदाहरण दिया जा रहा है… क्या आप मंदिर और संस्था के बीच अंतर नहीं कर सकते? यह मस्जिदों में हस्तक्षेप करने का प्रयास नहीं है। यह कानून संस्था के लिए है, इसे पारदर्शी बनाने के लिए है…”
उन्होंने कहा, “वक्फ बोर्ड का गठन कैसे हुआ? यह कानून के माध्यम से हुआ। कानून के माध्यम से स्थापित कोई भी संस्था निरंकुश हो जाती है। सरकार को पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कानून लाने का अधिकार है।” विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “कोई सांप्रदायिक विभाजन नहीं है, वे अफवाहें फैला रहे हैं।” 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने पूछा, “हजारों सिखों को किसने मारा”।
उन्होंने कहा, “बिल आना चाहिए और पारदर्शिता लाई जानी चाहिए।” टीडीपी सांसद जीएम हरीश बालयोगी ने कहा कि अगर बिल को संसदीय पैनल के पास भेजा जाता है तो उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा, “मैं सरकार द्वारा इस बिल को लेकर की गई चिंता की सराहना करता हूं। दानदाताओं के उद्देश्य की रक्षा की जानी चाहिए। जब उद्देश्य और शक्ति का दुरुपयोग होता है तो सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सुधार लाए और सिस्टम में पारदर्शिता लाए।”
उन्होंने कहा, “सरकार को इस उद्देश्य को विनियमित और सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है। विधेयक लाया गया है और हम इसका समर्थन करते हैं।” टीडीपी सांसद ने कहा, “हमारा मानना है कि पंजीकरण से देश के गरीब मुसलमानों और महिलाओं को मदद मिलेगी और पारदर्शिता आएगी।” उन्होंने कहा कि अगर विधेयक को आगे के परामर्श के लिए संसद के पैनल के पास भेजा जाता है तो उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं होगी।
उन्होंने कहा, “यदि गलत धारणा को दूर करने, गलत सूचना भेजने तथा विधेयक के उद्देश्य के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता है, तो हमें इसे प्रवर समिति को भेजने में कोई समस्या नहीं है।”
वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन करने के लिए विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव है, जिसमें ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना शामिल है। वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य अधिनियम का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करना भी है।