ऑनलाइन सट्टा गैंग मामले में पुलिस को बड़ी सफलता, गिरफ्तार हुए संचालक रितेश सुल्तानिया, एक्टिव ने शुरू किया था ऐसा धंधा – Lok Shakti

ऑनलाइन सट्टा गैंग मामले में पुलिस को बड़ी सफलता, गिरफ्तार हुए संचालक रितेश सुल्तानिया, एक्टिव ने शुरू किया था ऐसा धंधा

गौरव जैन, गौरेला-पेन्द्र-मरवाही। फरार ऑनलाइन सट्टा कारोबारी रितेश सुल्तानिया को पेंड्रा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आईपीएल के दौरान साइबर सेल जीपीएम की रडार के बाद से ही ट्रेंडिंग था।

जानकारी के अनुसार, आदर्श रितेश सुल्तानिया ने सट्टा खेलने के बाद शॉर्टकट के जरिए पैसे कमाने के लिए अपनी दोस्त मधु जैन के साथ एक ऐप बनाया था, जिसका नाम राजारानी ऐप था। उन्होंने इस ऐप के माध्यम से इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और फेसबुक पर प्रचार किया और स्थानीय युवाओं को सट्टा खेलने के लिए एजेंट तैयार किए। पेंड्रा थाने और साइबर सेल की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए मामले में अब तक कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें सट्टा लगाने वाले एजेंट, फर्जी सिम जुगाड़ने वाले सिम विक्रेता और फर्जी खाता किराए पर देने वाले शामिल हैं।

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ऐसे Online IPL Satta पर शुरू हुईकार्रवाई

पिछले मई महीनों में पेंड्रा थाना में ऑनलाइन आईपीएल सट्टा में लिपट छह निवेशकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार भी किया। इनमें अजय यादव (27), जितेन्द्र कुमार सोनवानी (23), राज कुमार कश्यप (40), राहुल कोरी (24), अनुराग सोनी (19) और योगेश देवांगन (24) हैं। वहीं इस कार्रवाई में एक प्रभावशाली रितेश सुल्तानिया मौके से मौत में कामयाब हो गया था। आधार के सुरक्षित मोबाइल से मिली जानकारियों के आधार पर पुलिस ने सटोरियों तक पहुंच पाई। जिन्हें पैरों के पीछे भेज दिया गया था। जिस पर स्काईएक्सचेंज राजा-रानी ऐप के जरिए ऑनलाइन आईपीएल सट्टा पाने वालों की जानकारी प्राप्त होने पर एसपी भावना गुप्ता ने कार्रवाई करने की बात कही थी और अब पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर रितेश सुल्तानिया को गिरफ्तार कर लिया है।

किराए पर करते थे बैंक खाते का इस्तेमाल

कहानियों को किराए पर अपने खाते का उपयोग करने के लिए पैसे दिए जाते थे। फिर इन सपनों पर सट्टे के पैसे लेने पड़े। इस मामले में संलिप्त युवक को गिरफ्तार किया गया है। आदर्श सट्टे की रकम के लिए ब्याज सहित खाते की पासबुक, चेकबुक और एटीएम रख लिया करते थे। सट्टाखे वाले बदले में कभी पांच हजार तो कभी दस हजार रुपये इन्हें ऐसे ही दे देते थे।

सिम जारी होने का जरा भी इल्म नहीं था

वहीं, जब इस्तमाल किए जा रहे नंबरों की जानकारी ली गई, तब साइबर सेल की टीम पेंड्रा के एक यूजर के पास मौजूद तस्वीरें ढूंढी गईं। जहाँ उसके नाम से सिम जारी होने का उसे जरा भी इल्म नहीं था। इस युवक ने बताया कि पेंड्रा का एक युवक योगेश देवांगन कुछ महीने पहले पीएनबी बैंक के पास सिम बेचने का स्टॉल लगाया गया था, जहां वह महीने के लिए अनलिमिटेड डेटा जैसे लुभावने ऑफर्स के साथ सिम बेच रहा था। जब योगेश देवांगन के स्टाल गए तो योगेश ने दो बार उससे अंगूठे इंप्रेशन की पंचिंग और फोटो करवायी। जिसमें पहली बार एक्टिवेशन न होने की बात कही गई, फिर यूजर को एक सिम देकर दो दिन बाद चालू हो जाएगी। जो बाद में सक्रिय रूप से भी नहीं हुआ.