27-Feb-24
कोरबा : नशे से होने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी होने पर भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए महुआ शराब बनाने और इसकी बिक्री करने में लगे हुए हैं। कुछ दिन से मिल रही शिकायत के बाद पुलिस ने इसकी पुष्टि की और मौके पर रेड करने के साथ 300 लिटर्स महुआ शराब जब्त कर लिया। इस मामले में एक महिला के विरुद्ध आबकारी एक्ट के अंतर्गत कार्यवाही की गई है। कहां गया है कि जिन इलाकों में इस प्रकार के अवध कारोबार के बारे में खबर मिलेगी, वहां भी एक्शन होगा।
कोरबा जिले की उरगा पुलिस ने इस वर्ष की सबसे बड़ी कार्रवाई पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत चितापाली गांव में की। ग्रामीण परिवेश का लाभ उठाकर यहां पर कुछ लोगों के द्वारा महुआ शराब बनाने का अवैध कारोबार किया जा रहा था। गांव के एक क्षेत्र को इन्होंने अपने लिए सुरक्षित समझने के साथ वहां पर संसाधन समेत व्यवसाय को अंजाम देना जारी रखा था। मौके पर महुआ लहान को एकत्र करने के साथ इसे शराब तैयार की जाती थी और इसे आसपास के इलाके में कंज्यूम की जाती थी। चीतापाली गांव पर केंद्रित इस अवैध कारोबार के कारण न केवल यहां का माहौल खराब हो रहा था बल्कि आसपास के क्षेत्र में गांव की इमेज पर बट्टा लग रहा था। उरगा पुलिस को इस बारे में खबर हुई जिस पर थाना प्रभारी युवराज तिवारी ने गंभीरता से लिया और उच्च अधिकारियों को अवगत कराया। वहां से प्राप्त मार्गदर्शन के साथ एक टीम तैयार करते हुए पिछली शाम चीतापाली गांव पहुंचकर रेड कार्रवाई की गई। बताया गया कि गांव में निवासी सुखमटिया 35 वर्ष पति संतोष कुमार को इस मामले में आरोपी नामजद किया गया, जिसके कब्जे से 300 लीटर महुआ शराब जब्त की गई। मौके पर इसका पंचनामा तैयार किया गया। इस दौरान उन संसाधनों को डिस्ट्रॉय करने की कार्रवाई पुलिस की ओर से की गई जिनके माध्यम से अवैध काम को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा था। पुलिस ने कहां है कि इलाके में जहां कहीं भी इस तरह की गतिविधियों को पंख लगाई जा रहे हैं, उसे कतरने का पूरा काम हम निश्चित रूप से करेंगे।
लगातार किए जा रहे जन जागरूकता संबंधी प्रयासों के बावजूद कोरबा जिले में नशा मुक्ति को लेकर बहुत अच्छे परिणाम सामने नहीं आ सके हैं। विशेष रूप से अवध शराब तैयार करने और उसे बीच में को लेकर कई गांव सुर्खियां बटोर रहे हैं। इस मामले में सामूहिकता के साथ मौके पर कामकाज को किया जा रहा है। कटघोरा पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पतरापाली गांव को लेकर खबर है कि वहां लंबे समय से इस प्रकार का खेल चल रहा है। बीते वर्षों में एक- दो मौके ऐसे भी आए जब कार्यवाही के लिए पहुंची आबकारी टीम को लोगों ने बंधक बना लिया। यह भी एक वजह है कि जानकारी होने पर भी सरकारी अमला कार्रवाई करने को लेकर ना तो मानसिकता बनता है और ना ही ऐसे इलाकों में जाने की जोखिम लेता है।