गोविंद पटेल, पंडित. सरकार भले ही जीरो टॉलरेंस की कर रही हो, लेकिन छोटी बात पर जीरो टॉलरेंस की नीति की हवा निकल गई है। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में भव्य संरचनाएं बनाई जा रही हैं। इस पर निर्माण के बजाय जिम्मेदार अधिकारियों के संरक्षण संरक्षण में सामिल कर्मचारी को मिल रहा है।
मुक़दमा जिले के नव मोहरबंद नगर पंचायत का है। जहां नगर पंचायत में प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के नागरिकों ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि हम लोगों से शहरी आवास योजना के लिए काम कर रही संस्था एसबी एनजी इंडिया के कर्मचारियों द्वारा व्यापक रूप से योजना में शामिल किया जा रहा है। संस्था के कर्मचारी तरूण कुमार जो कि डिस्ट्रिक्ट हेड (डीसी) के पद पर कर्मचारी हैं। जो चार बरसो से जिले में अंगद के पैर की तरह जमाए हुए हैं। इन कर्मचारियों द्वारा व वोटिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास के उद्यमों से किश्तवाड़ जो सरकार द्वारा दिया जा रहा है। इसमें प्रथम किस्त में 15000 हजार, दूसरी किश्त में 25000 हजार, तीसरी किश्त में 10000 हजार शामिल हैं। जो अतिथि पैसे नहीं देता है. तो उन्हें पात्र घोषित कर एफआईआर की धमकी देते हुए डराकर छात्रों को प्रशिक्षुओं को पैसे दे देते हैं। तरूण कुमार ही सभी वसुली कलाकारों का मास्टर माइंड है। इनमें से एक को पैसे लेकर यहां से इधर-उधर ले जाया जाता है। जिसमें से एक कर्मचारी कर्मचारी बेखौफ आवास के आतंकवादी को धमाकाकर फोटो खींचने से लेकर जियो टैग के बाद पैसे आने तक विश्वास से दोहन करते रहेंगे। किसी भी हितधारक की याचिका में शामिल सभी कर्मचारियों से कहा गया है कि वे हमारे डीसी सर लखनऊ में सूडा के किसी अधिकारी के रजिस्ट्रार हैं। उनका कोई कुछ नहीं कर सकता अगर हम लोगों ने पैसे नहीं दिए तो नौकरी से निकलवा देंगे।
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वहीं उन्होंने आरोप लगाया कि डीसी तरूण कुमार ने काफी दिनों से जिले के गांवों में रहने वाले लोगों और प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में छात्रों का फौजदारी बना रखा है। साझीदारों द्वारा शहरी आवास योजना में साझीदारों से आकर्षण की इच्छाएँ होती हैं। डीसी तरूण कुमार द्वारा यह कृत्य कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को अपवित्र किया जा रहा है। जो कि सरकार की छवि धूमिल हो रही हैं। इसकी शिकायत पूर्व में भी यूक्रेन द्वारा की जा रही थी, लेकिन आजतक ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है. अब देखिए यह है अंगद कि पैर की तरह के निशान में जमें डीसी तरूण कुमार पर कोई कार्रवाई होती है या इस स्टाफ के आगे सिस्टम में बने रहने पर सरकार की जीरो टैलरेंस की नीति हवा हवाई रहती है।
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