मकर सक्रांति पर तातलोई गर्म जलकुंड में तीन दिवसीय मेला हुआ शुरू, स्नान के लिए दूरदराज से पहुंचे लोग

दुमका के जामा स्थित बारापलासी स्थित तातलोई गर्म जलकुंड के किनारे श्रद्धालुओ का तांता लगा हुआ हैं.

15 Jan 2024

दुमका : दुमका के जामा स्थित बारापलासी स्थित तातलोई गर्म जलकुंड के किनारे श्रद्धालुओ का तांता लगा हुआ हैं. धार्मिक आस्था का केंद्र तातलोई में मकर सक्रांति से तीन दिनों तक मेला लगता हैं और यहां दूरदराज इलाके से भी लोग पहुचते हैं. दरअसल, तातलोई जलकुंड से लोगो की वर्षो पुरानी आस्था और विश्वास जुडी हुई हैं. खास बात यह कि यहां पर साफ़ाहोड़ समुदाय के लोग अपने परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना करते हैं और इसे देखने के लिए लोगो का हुजूम लगा रहता हैं. सादा जीवन बिताने में विश्वास रखने और मांस मदिरा से दूर रहनेवाले साफ़ाहोड़ समुदाय के ये लोग तातलोई स्थित गर्म जलकुंड में स्नान करने के बाद पूजा अर्चना की परंपरा काफी वर्षो से चली आ रही हैं. यहां साफाहोड़ समुदाय के लोग परंपरागत तरीके हर साल मकर संक्रांति के दिन अपने इष्ट देवता भगवान राम की आराधना करते हैं और शस्त्रों की पूजा करते है.

मान्यता है कि अच्छी कृषि, धन एवं परिवार वालों की रक्षा उनके आराध्य देव ही करते है.  उनकी इस कृपा को साफाहोड़ पुष्प ,प्रसाद  नृत्य संगीत कर श्रद्धा सुमन अर्पित कर अपनी आस्था प्रकट करते है. ये सफेद वस्त्र धारण कर उपवास रखते है. सफेद झंडे और त्रिशूल के नीचे भगवान को भोग एवं पुष्प बेलपत्र अर्पित करते है. ये लोग दुमका के तातलोई में ही पूजा अर्चना करते है. 

वहीं, मकर सक्रांति से तातलोई ग्रामकुंड स्थल और नदी के किनारे  तीन दिनों तक मेला लगता हैं और हर साल श्रद्धालुओ का हुजूम उमड़ता हैं. तातलोई में तीन जल कुंड हैं और तीनो जल कुंड की उष्णता अलग अलग हैं. यहां मकर सक्रांति के दिन श्रद्धालु पहुंचते हैं और गर्म पानी में स्नान का भरपूर आनंद उठाने के बाद तातलोई मां की पूजा अर्चना करते हैं. धार्मिक आस्था का केंद्र बने इस कुंड का सौन्दर्यीकरण वर्ष 1977 – 78 में कराया गया था. मान्यता है कि गर्म जलकुंड में नहाने से चर्मरोग ठीक होता है.

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