पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में स्थित कोल्हान विश्वविद्यालय को पहली बार मिला भारत सरकार का एक रिसर्च प्रोजेक्ट मिला है। यह कोल्हान से जनजातीय लोगों का रोजगार के लिए पलायन के मुद्दे से जुड़ा हुआ है। इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी भूगोल पीजी विभाग में कार्यरत सहायक प्राध्यापिका डा. सुनीता कुमारी को मिली है। प्रोजेक्ट के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंंस एंड रिसर्च से 12 लाख मिलेंगे।
13 Jan 2024
जमशेदपुर : पहली बार कोल्हान विश्वविद्यालय को भारत सरकार की संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंंस एंड रिसर्च (आइसीएसएसआर) नई दिल्ली की ओर से एक रिसर्च प्रोजेक्ट मिला है। यह प्रोजेक्ट विश्वविद्यालय के भूगोल पीजी विभाग में कार्यरत सहायक प्राध्यापिका डा. सुनीता कुमारी को मिला है। प्रोजेक्ट के चयन से पूर्व दो राउंड का इंटरव्यू हुआ। इंटरव्यू पैनल ने डा. सुनीता कुमारी के प्रोजेक्ट में नयापन पाया तथा इसे मंजूरी दी।
प्रोजेक्ट के लिए मिलेंगे पूरे 12 लाख रुपये
रिसर्च प्रोजेक्ट का विषय है कोल्हान से जनजातीय लोगों का रोजगार के लिए पलायन। इस प्रोजेक्ट को दो वर्ष में पूरा करना है तथा इसके लिए आइसीएसएसआर ने 12 लाख रूपए स्वीकृत किए हैं। इस प्राजेक्ट के मिलने से विश्वविद्यालय का नाम राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया।
विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने डा. सुनीता के प्रोजेक्ट स्वीकृत होने पर बधाई दी है। कोल्हान विश्वविद्यालय को इस प्रोजेक्ट से नैक में फायदा होगा। अब तक इस तरह का एक भी प्रोजेक्ट विश्वविद्यालय के पास नहीं था। साथ ही डा. सुनीता को एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए दो अंक भी प्राप्त होंगे।
विवि ने प्रारंभ की रिसर्च की प्रक्रिया
कोल्हान विश्वविद्यालय ने आइसीएसएसआर के निर्देश के अनुसार रिसर्च प्रोजेक्ट की प्रक्रिया प्रारंभ कर दिया है। इसके तहत एक एसोसिएट प्रोफेसर तथा दो फील्ड इन्वेस्टिगेटर को नियुक्त करना है। इन पदों के लिए शुक्रवार को इंटरव्यू आयोजित किया गया। इस इंटरव्यू के लिए विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. सरोज कुमार पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित हुए। इस इंटरव्यू का परिणाम विवि के वेबसाइट पर शनिवार को अपलोड किया जाएगा।
क्यों चुना गया प्रोजेक्ट
दरअसल कोल्हान क्षेत्र से जनजातियों युवक, युवतियों, पुरुष व महिलाओं का रोजगार का पलायन हो रहा है। साथ ही वे मानव तस्करी के शिकार हो रहे हैं। इस कारण डा. सुनीता का यह विषय इंटरव्यू पैनल को पसंद आया। इस रिसर्च के बाद भारत सरकार भी रोजगार के पलायन को रोकने के लिए अलग से कई तरह की योजनाएं चला सकती है।