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दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा किसानों को मौसम आधारित कृषि की दी गई समसामयिक सलाह

राजनांदगांव 29 दिसम्बर 2023

वर्तमान मौसम को देखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा किसानों को मौसम आधारित कृषि की सलाह दी गई है। विश्वविद्यालय द्वारा जारी एडवाईजरी में कहा गया है कि किसान वर्तमान में खदान के आस-पास के नालों में जहां पानी का प्रवाह कम रहता है, उसे बोरी बंधान के माध्यम से रोककर रबी के फसलों में इस पानी का उपयोग कर बहुमूल्य भूजल के साथ-साथ बिजली की बचत भी कर सकते हैं। रबी फसल व सब्जियों की फसल में सिंचाई हेतु प्रक्षेत्र जलाशय (डबरी) के पानी का उपयोग करें। जारी एडवाईजरी में सलाह दी गई है कि वर्तमान में अरहर में फल्ली बनने की अवस्था में फलबेधक इल्ली लगने की संभावना होने पर इनके प्रबंधन एवं निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप एवं टी-आकार की खुंटी (पक्षियों के बैठने के लिए) लगाएं। फेरोमोन सेप्टा को प्रतिदिन 15 दिन में बदलें। अरहर में फली भेदक कीटों के यिंत्रण हेतु इडोक्साकार्ब 14.5 एससी 353-400 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। आने वाले दिनों में मौसम साफ रहेगा। इसलिए किसान भाई अरहर में कीटनाशक दवाई का छिड़काव कर सकते हैं।
गेंहू बुआई के लिए सलाह दी गई है कि गेहूं की विलंब बुवाई की दशा में बीज की मात्रा अनुसंशित मात्रा से 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बढ़ा दें। 20-25 दिन गेहूं की फसल होने पर पहली सिंचाई में शीर्ष जड़ प्रवर्तन की अवस्था में करना चाहिए। इसी तरह समय पर बोई गई चने की फसल 15-20 सेमी की ऊंचाई होने या 35-40 दिन होने पर खुटाई अवश्य करें। चना में लगने वाले इल्ली के प्रबंधन हेतु इल्ली परजीवी (ब्रेकोनिड) 6-8 कार्ड प्रति एकड़ उपयोग करें। आने वाले दिनों में मौसम साफ रहने की स्थिति में किसान दलहन एवं तिलहन फसलों में माहू (एफिड) के प्रकोप की आशंका को देखते हुए इसके लिए सतत निगरानी रखें एवं प्रारंभिक प्रकोप दिखने पर नीम आधारित कीटनाशकों का छिड़काव करें। सरसों की पहली सिंचाई बुवाई के 25-30 दिनों बाद 4-6 पत्ती की अवस्था होने पर सिंचाई करनी चाहिए। इसी तरह अलसी के लिए उर्वरक की मात्रा निर्धारित की गई है। इसके तहत नत्रजन 60 किलोग्राम, स्फूर 30 किलोग्राम, पोटाश 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचित क्षेत्र के लिए तथा असिंचित क्षेत्र के लिए उर्वरक की मात्रा नत्रजन 40 किलोग्राम स्फूर 20 किलोग्राम, पोटाश 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
सब्जियों एवं फलों के लिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे शीतकालीन मौसमी पुष्पों में सिंचाई एवं उर्वरक का प्रबंधन करें। शरदकालीन मौसमी पुष्पों में खरपतवार एवं कीट बीमारियों का नियंत्रण करें। किसान वृक्षों के तने पर बोर्डो पेस्ट लगाए, फल उद्यान में साफ-सफाई करें और वृक्षों के चारों तरफ थाला बनाकर खाद एवं उर्वरक की निर्धारित मात्रा मिलाएं। अनार, फालसा, आंवला व बेर के फलों में कीट नियंत्रण हेतु आवश्यक कीटनाशक दवा का छिड़काव करें। टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च, भटा तथा शीतकालीन गोभीवर्गीय सब्जियों जैसे फूलगोभी, पत्तागोभी व गाठगोभी की सब्जियों में गुड़ाई करें तथा हर चौथे दिन में आवश्यकतानुसार पोषक उर्वरक प्रदाय करें। प्याज की तैयार पौध का रोपण करना चाहिए। प्याज के शीर्ष की एक-तिहाई पत्तियों को काटकर ही रोपण करना चाहिए। मवेशियों को 25-30 ग्राम मिनरल मिक्सचर प्रतिदिन चारे के साथ मिलाकर अवश्य खिलाएं। पशु बाड़े एवं मुर्गियों के घर में यदि खिड़कियां न लगी हो तो ठंडी हवा से बचाव के लिए बोरे लटकायें। दुधारू पशुओं को भरपूर पानी पिलायें एवं अत्यधिक ठंडा पानी पीने न दें।