झारखंड में रामगढ़ पूर्वी सिंहभूम बोकारो और धनबाद में भूमिगत जल का अधिक दोहन हो रहा है। पूर्वी सिंहभूम में दो जगह और बाकी तीन जिलों में एक-एक जगह पर ज्यादा भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। राज्य में सबसे अधिक धनबाद कोडरमा और रामगढ़ में भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। धनबाद में 74.34 प्रतिशत कोडरमा में 66.44 प्रतिशत और रामगढ़ में यह 63.3 प्रतिशत है।
02 Dec 2023
रांची : झारखंड में रामगढ़, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो और धनबाद में भूमिगत जल का अधिक दोहन हो रहा है। पूर्वी सिंहभूम में दो जगह और बाकी तीन जिलों में एक-एक जगह पर ज्यादा भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। राज्य में सबसे अधिक धनबाद, कोडरमा और रामगढ़ में भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। धनबाद में 74.34 प्रतिशत, कोडरमा में 66.44 प्रतिशत और रामगढ़ में यह 63.3 प्रतिशत है। सबसे कम पश्चिमी सिंहभूम में 10.45 प्रतिशत भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। फिलहाल झारखंड में1.80 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीक्यूएम) भूमिगत जल का दोहन हो रहा है।
छह जगहों की हालत क्रिटिकल
राज्य में छह जगहों पर स्थिति नाजुक (क्रिटिकल) है। राजधानी रांची और धनबाद में दो जगह, रामगढ़ और कोडरमा में स्थिति क्रिटिकल है। इसी तरह राज्य में कुल 11 जगहों पर भूमिगत जल की स्थिति सेमी क्रिटिकल है। इस संबंध में जल शक्ति मंत्रालय की भूजल संसाधन आकलन रिपोर्ट जारी की गई है।
क्या कहती है मंत्रालय की रिपोर्ट
मंत्रालय की ओर से वर्ष 2023 की रिपोर्ट जारी की गई है। इसके अनुसार, झारखंड में 80 प्रतिशत बारिश से वॉटर रिचार्ज होता है। इसमें पांच प्रतिशत ही अन्य स्रोत से भूमिगत जल का रिचार्ज हो पाता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष 6.5 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीक्यूएम) भूमिगत वॉटर का रिचार्ज हुआ है। जबकि 1.8 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीक्यूएम) पानी निकाल जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 50 प्रतिशत पानी का उपयोग सिंचाई के लिए होता है। करीब 12 प्रतिशत उद्योग और 38 प्रतिशत घरेलू उपयोग के लिए भूमिगत पानी का इस्तेमाल किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में भू-जल की निकासी 31.38 प्रतिशत है।
इन जिलों में 100 प्रतिशत रिचार्ज
जलशक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, गोड्डा के 1664.2 स्क्वॉयर किलोमीटर क्षेत्र में सौ प्रतिशत भूगर्भ जल का रिचार्ज हो रहा है। इसी तरह खूंटी, गुमला और सरायकेला खरसावां में भी भूगर्भ जल के रिचार्ज की स्थिति संतोषजनक है। वहीं, धनबाद में 81 प्रतिशत जल भूगर्भ में चला जा रहा है। यहां इसके दोहन का अनुपात चिंताजनक है।
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