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हाईकोर्ट का आदेश : अधिग्रहण करने या मुआवजे की सहमति बगैर निर्माण न करें ध्वस्त

इलाहाबाद हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी कचहरी से आशापुर होते हुए संदहा राजमार्ग चौड़ीकरण की जद में आए याचियों के निर्माण ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है। साथ ही कहा है कि राज्य सरकार बिना अधिग्रहण किए या याची के मुआवजा लेने के लिए सहमत हुए बगैर निर्माण ध्वस्त न किया जाए।

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कोर्ट ने कहा कि सरकार जमीन का अधिग्रहण किए बिना याची को मुआवजा लेने के लिए कैसे बाध्य कर सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता के न्यायमूर्ति दोनादी रमेश की खंडपीठ ने नसीर अहमद व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

याची का कहना है कि गोलघर कचहरी वाराणसी स्थित उसका निजी मकान का बड़ा हिस्सा सड़क चौड़ीकरण की जद में आ गया है। वहीं, जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया है और उचित मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है।

याची ने किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया है। अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता राजीव गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि पीडब्ल्यूडी वाराणसी के अधिशासी अभियंता ने जानकारी दी है कि याची के मकान का एक तिहाई हिस्सा चौड़ीकरण की जद में आया है और 19 मार्च 2015 के शासनादेश के अनुसार जमीन का मुआवजा दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यह नहीं बताया कि अधिग्रहण किया गया है या नहीं। किसी की जमीन बिना अधिग्रहण नहीं ली जा सकती।