एएमयू
– फोटो : Amar Ujala
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103 साल के गौरवशाली इतिहास में एएमयू को पहली बार महिला कुलपति की सौगात मिल सकती है। कुलपति पद के लिए तैयार किए गए पैनल में प्रोफेसर नईमा खातून का नाम शामिल है। हालांकि इस प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्था की पहली चांसलर ही महिला रहीं। बेगम सुल्तान जहां ने इस पद को सुशोभित किया।
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एएमयू की स्थापना दिसंबर 1920 में हुई थी। यूनिवर्सिटी की चांसलर महिला बेगम सुल्तान जहां बनीं, जबकि पहले कुलपति महमूदाबाद के राजा मोहम्मद अली मोहम्मद खान बने। कुलपति पैनल में कभी किसी महिला का नाम शामिल नहीं हो सका था। इसी सोमवार को कार्यकारी परिषद की बैठक में सदस्यों ने वोट देकर कुलपति पैनल के पांच नामों में एएमयू के वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या प्रो. नईमा खातून को शामिल किया। प्रो. नईमा खातून का कुलपति बनना तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन पैनल में शामिल होना ही ऐतिहासिक घटना है। उधर, सितंबर 2022 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (अमुटा) के इतिहास में पहली बार इतिहास विभाग की प्रोफेसर चांदनी बी निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गईं, जिसकी खूब चर्चा रही ,मगर एएमयू इंतजामिया ने चुनाव रद्द कर दिया। इसके चलते इतिहास बनते-बनते रह गया।
क्षेत्र व महिला होने का मिल सकता लाभ
एएमयू कुलपति पैनल में शामिल प्रो. नईमा खातून को महिला होने का फायदा मिल सकता है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। जेएनयू दिल्ली, जामिया मिल्लिया इस्लामिया दिल्ली, डॉ. बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा, कश्मीर विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज में कुलपति के पद पर महिला विराजमान हैं। प्रो. नईमा वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या हैं। वह उड़ीसा से संबंध रखती हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि एएमयू में महिला कुलपति बनाना महिला सशक्तीकरण की दिशा में अच्छा कदम होगा।
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