रांची के मोरहाबादी मैदान में रावण दहन का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्घाटल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे। इस वर्ष रावण के पुतले की लंबाई 70 फीट कुंभकर्ण के 65 फीट व मेघनाद के पुतले की 60 फीट होगी। रांची में रावण दहन की शुरुआत 1948 में की गई थी। आइए इतिहास जानते हैं।
23 Oct 2023
रांची : विजयादशमी के दिन मंगलवार को मोरहाबादी मैदान, अरगोड़ा व एचईसी में रावण दहन का आयोजन होगा, जिसका उद्घाटल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संध्या 5:30 बजे रिमोट से करेंगे। बिहार राज्य के काल में रावण दहन पुलिस डिपार्टमेंट के बड़े अधिकारी करते थे, झारखंड अलग राज्य बनने के बाद मुख्यमंत्री रावण दहन कर रहे हैं। इससे पूर्व सेंट जेवियर्स कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. कमल बोस के निर्देशन में उनकी टीम सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेगी। नृत्यांगना रूपा डे, गायिका ज्योति साहु व चुमकी राय भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में शिरकत करेंगी।
रावण के पुतले की लंबाई कितनी?
रविवार को कडरू कुम्हार टोली स्थित लाला लाजपत राय स्कूल में आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी पंजाबी हिन्दू बिरादरी दशहरा कमेटी-2023 के अध्यक्ष सुधीर उग्गल ने दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष रावण के पुतले की लंबाई 70 फीट, कुंभकर्ण-65 फीट व मेघनाद-60 फीट होंगे। साथ ही 30 गुना 30 फुट के आकार की सोने की लंका होगी। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण कोलकाता के कारीगर शेखर मुखर्जी की जमीनी व आकाशीय आतिशबाजी होगी। जमशेदपुर के परमजीत सिंह (सन्नी) व उनके ग्रुप की ओर से भांगड़ा नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। गुरुनानक अस्पताल व पंजाबी हिन्दू बिरादरी की ओर से एंबुलेंस की व्यवस्था, मेन रोड स्थित श्री गुरु सिंह सभा व मारवाड़ी युवा मंच की ओर से पेयजल की व्यवस्था की जाएगी। मौके पर बिरादरी के चेयरमैन रणदीप आनंद, महासचिव राजेश मेहरा, सचिव कुणाल आजमानी, कोषाध्यक्ष राहुल माकन, प्रवक्ता अरुण चावला आदि उपस्थित थे।
1948 में 12 फीट ऊंचे पुतले के साथ हुआ था रावण दहन
रांची में रावण दहन की शुरुआत 1948 में की गई थी। सबसे पहले महात्मा गांधी मार्ग (मेन रोड) स्थित डाक घर के सामने 12 फीट के रावण के पुतले का निर्माण किया था। इसके बाद 1950 से लेकर 1955 तक रावण के पुतले का निर्माण रेलवे स्टेशन स्थित खिजुरिया तालाब के पास रेस्ट कैंप (शरणार्थी शिविर) में होने लगा। 1950 से लेकर 1955 तक रावण के पुतलों का दहन बारी पार्क (टाउन हाल) में होने लगा। वर्ष 1958 से पंजाबी हिन्दू बिरादरी के सदस्य दिवंगत किशोरी लाल खन्ना, लाला देशराज, कश्मीरी लाल मल्होत्रा, एनआर धीमान, ईश्वर दास आजमानी, देश राज भाटिया, लाला राधाकृष्ण विरमानी, भगवान दास आनंद, यशपाल आनंद, मेहता मदन लाल, राम लाल चावला, टीसी कथुरिया ने कमान संभाली तो रावण के पुतले का निर्माण डोरंडा स्थित राम मंदिर में करवाया।
भीड़ बढ़ती गई और आयोजकों ने 1960 से कावण दहन के कार्यक्रम के लिए मोरहाबादी मैदान को सबसे उपयुक्त समझा। इसके बाद रावण के पुतले की ऊंचाई बढ़ी और पंजाबी हिन्दू बिरादरी के आयोजकों ने मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतलों समेत सोने की लंका का भी निर्माण करवाया, जो आज भी जारी है।
1880 से की जा रही ‘शस्त्र पूजा’
रांची में महानवमी के अवसर पर झारखंड सशस्त्र पुलिस (JAP) ने अपने मुख्यालय में ‘शस्त्र पूजा’ की। इस पूजा को लेकर कहा जाता है कि यह परंपरा 1880 से चली आ रही है।
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