Saurav Singh
Ranchi : झारखंड में अब प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी, टीपीसी और पीएलएफआई कमजोर पड़ गए हैं. नक्सली वारदातों में कमी आई है. नक्सल प्रभाव वाले कई इलाकों से नक्सलियों के पैर उखड़ गए हैं. पिछले कुछ वर्षों में पुलिस की ओर से लगातार चलाए गए अभियान की वजह से ऐसा संभव हुआ है. झारखंड पुलिस के अनुसार, राज्य में अब मात्र 91 माओवादी बचे हुए हैं.
इन माओवादियों के खात्मे के लिए सुरक्षाबलों की 86 कंपनियां लगी हुई हैं. इनमें सीआरपीएफ की 31, जैप की 38, आईआरबी की 06, एसएसबी की 04, सैप की 07 इसके अलावा झारखंड जगुआर की भी कई कंपनियां नक्सल अभियान में लगी हुई है.
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झारखंड में बचे सिर्फ 91 इनामी नक्सली
झारखंड में पिछले एक साल के दौरान 45 इनामी नक्सली कम हो गए. साल भर पहले झारखंड में इनामी नक्सलियों की संख्या 136 थी, जो अब घटकर 91 पर पहुंच गई है. झारखंड में इस साल 21 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. 181 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं और सात नक्सली मारे गए हैं. झारखंड पुलिस के लिए वर्तमान में चार बड़े नक्सली प्रयाग मांझी मिसिर बेसरा, असीम मंडल और पतिराम मांझी को पकड़ना चुनौती बना हुआ है. झारखंड में वर्तमान में एक करोड़ के चार, 25 लाख के आठ इनामी, 15 लाख के 15, 10 लाख के 12, पांच लाख के 21, दो लाख के 10, एक लाख के 21 इनामी नक्सली बचे हैं.
ये इनामी बड़े नक्सली मारे गए
बुद्धेश्वर उरांव, सनिचर सुरीन, गौतम पासवान, अजीत उरांव, अमर गंझू.
इन इनामी बड़े नक्सलियों ने किया सरेंडर
संतोष भुइयां, अमरजीत यादव, इंदल गंझू, दुर्योधन महतो, सुरेश मुंडा, महाराजा प्रमाणिक, अमन गंझू, राधेश्याम यादव.
ये इनामी बड़े नक्सली हुए गिरफ्तार
प्रशांत बोस, प्रद्युमन शर्मा, चंदन सिंह खेरवार, कृष्णा हांसदा, दिनेश गोप, बलराम उरांव, भीखन गंझू, नंदलाल सोरेन.
अति माओवाद प्रभाव वाले 25 में 8 जिले झारखंड के
झारखंड के आठ जिले माओवादियों की सक्रियता के लिहाज से अति माओवाद प्रभाव श्रेणी में हैं. वहीं राज्य के 16 जिलों में माओवादियों का प्रभाव है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक, पूर्व में देशभर के 90 जिले माओवाद प्रभावित थे. लेकिन अब इसकी संख्या घटकर 70 रह गयी है. केंद्र ने 70 में से 25 जिलों को अति माओवादी प्रभाव वाला माना है. देश के अति माओवाद प्रभाव वाले 25 में 8 जिले झारखंड के हैं. झारखंड में माओवाद प्रभाव वाले 16 जिलों में रांची, खूंटी, बोकारो, चतरा, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, लातेहार, लोहरदगा, पलामू, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं. वहीं आठ अति माओवाद प्रभावित जिलों में चतरा, गिरिडीह, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं.
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