परिवहन निगम प्रशासन की ओर से सेंसरयुक्त डिवाइस का इस्तेमाल किया जाएगा।
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रोडवेज बसों से डीजल रोकने के लिए परिवहन निगम प्रशासन की ओर से सेंसरयुक्त डिवाइस का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए नई बसों में इन डिवाइसों को लगाकर ही लिया जाएगा, इसके लिए टेंडर शर्तों में इसे अनिवार्य किया जा रहा है।
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दरअसल, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन के लिए डीजल चोरी एक बड़ी समस्या बन गई है, जिस पर लगाम लगाने के लिए प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने यह ठोस कार्रवाई की है। इसके तहत रोडवेज बसों के डीजल टैंक में सेंसर लगाए जाएंगे, जो चोरी की घटना होने पर तत्काल सम्बंधित अधिकारियों को सूचित कर देंगे। इतना ही नहीं डीजल टैंक में ऐसे वॉल्व लगाए जाएंगे, जिससे डीजल डाले जाने के बाद उसे दोबारा नहीं निकाला जा सकता।
कमोबेश रेलवे के इंजनों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे चोरी की गुंजाइश न के बराबर हो जाती है। डीजल टैंक में लगने वाला सेंसर डीजल खर्च पर नजर रखेगा और यह भी बताएगा कि डीजल की लीकेज कहां से है। नई बसों की चेचिस खरीद के टेंडर शर्तो को बदला जा रहा है।ऑटोमोबाइल कंपनियों को डीजल टैंक में सेंसर अनिवार्य रूप से लगाकर देना होगा।
एक हजार नई बसों में यह सेंसर बेस्ड डिवाइस लगाकर देनी होगी। बता दें कि डीजल चोरी की जिन घटनाओं से रोडवेज को चपत लगी, उसमें इसी वर्ष 20 अगस्त को अवध बस डिपो से 2879 लीटर डीजल चोरी का मामला है। उससे पूर्व सात जून को खुर्जा डिपो में दो वर्ष से डीजल चोरी हुई, जिसमें छह चालक निलंबित किए गए तथा 25 नंवबर, 2021 को कैसरबाग डिपो की सात बसों साठ लीटर डीजल चोरी का प्रकरण हो चुका है।
नई बसों में होगा सेंसर डीजल टैंक
बसों से डीजल चोरी के मामलों को रोकने के लिए यह कवायद की जा रही है। डीजल टैंक में सेंसर बेस्ड डिवाइस लगाने की तैयारी है। जिसके लिए नई बसों की खरीद में सेंसर डीजल टैंक में लगाकर देना होगा।-मासूम अली सरवर, एमडी, यूपी परिवहन निगम
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