फ़तेहपुर के
फतेहपुर: उत्तरप्रदेश के फ़तेहपुर जिले में गंगा के तट पर मोहन की बावरी मीरा ने अपने प्यारे कन्हैया की मूर्ति स्थापित की थी। इस पावन स्थल पर कृष्ण भक्ति में लीन मीरा काफी दिनों तक रुकी थी और अपने साथ लिए हुए गिरधर गोपाल की मूर्ति को उन्होंने रख दिया था। जब मीरा यहाँ से जानें लगी तो उन्होंने मूर्ति को साथ ले जाने का प्रयास किया, लेकिन जब मूर्ति अपने स्थान से नहीं उठी तो मीरा ने गंगा के इस तट पर गिरधर गोपाल की मूर्ति स्थापित कर कृष्ण – गान करते हुए चली गयी। गिरधर गोपाल का इस स्थान पर विशाल मन्दिर बना है।
छोटी काशी के नाम से प्रख्यात है गांव
जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मलवां ब्लॉक के चौडगरा कस्बे के उत्तर गंगा तट पर स्थित शिवराजपुर गांव छोटी काशी के नाम से प्रख्यात है। पुराणों में यह गांव आदिकाशी के नाम से भी जाना जाता है। कृष्ण भक्ति में लीन मीराबाई काफी समय तक प्रवास कर अपने साथ लाई गिरधर गोपाल की मूर्ति की स्थापना कर यहां से चली गयी थीं। उसी स्थान पर आज भव्य प्राचीन मंदिर बना है।
मनोकामना के लिए जुटती है भक्तों की भीड़
प्राचीन काल से शिवराजपुर गांव मंदिरों की नगरी के रूप में जाना जाता है। गंगा के तट पर स्थित इस स्थान पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। भक्त अपनी-अपनी मनोकामना के लिए यहां मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए आते हैं।
काफी समय तक इस छोटी सी नगरी में मीरा ने किया था प्रवास
ऐसी मान्यता है कि मध्यकाल में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन मीराबाई वृंदावन जाते समय इस पवित्र नगरी में आई थीं। मंदिरों को देख कर यहाँ काफी समय तक प्रवास किया। वहीं अपने साथ लाई गिरधर गोपाल की मूर्ति को यहां स्थापित किया था। मूर्ति आज भी विराजमान है। यहां हर वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर जिले के अलावा अन्य जनपदों के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।
मूर्ति नहीं उठी तो गंगा तट पर ही कर दिया स्थापित: महंत नंदगोपाल
मंदिर के महंत नंदगोपाल महाराज ने बताया कि कृष्ण भक्त मीराबाई जब यहां आई थी तो अपने साथ लाईं कृष्ण की मूर्ति को उन्होंने एक जगह रख दिया था। जब मीरा बाई यहां से जाने लगी तो उन्होंने मूर्ति को साथ ले जाने का प्रयास किया लेकिन मूर्ति अपने स्थान से नहीं उठी। तब मीराबाई ने गंगा के तट पर गिरधर गोपाल की मूर्ति स्थापित करके कृष्ण गान करते हुए चली गई थी। उसके बाद इसी स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया। गांव में आज भी कई प्राचीन मन्दिर हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान को तीर्थ स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
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