Saurav Singh
Ranchi: बिहार पुलिस ने झारखंड बिहार के कुख्यात माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य प्रमोद मिश्रा को उसके दो अन्य साथियों के साथ बीते नौ अगस्त को गिरफ्तार किया था. एनआईए की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बिहार पुलिस ने कैसे कुख्यात माओवादी प्रमोद मिश्रा को गिरफ्तार किया. एनआईए के मुताबिक अगस्त महीने में रितेश विद्यार्थी के भाई रोहित विद्यार्थी को गिरफ्तार किया गया था. रोहित से पूछताछ के बाद बिहार पुलिस को प्रमोद मिश्रा के बारे में जानकारी मिली थी. इस दौरान बिहार पुलिस को जानकारी मिली कि प्रमोद मिश्रा गया जिले के लुटुआ गांव आने वाला है. सूचना को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष टीम बनाई गई. टीम ने पोलित ब्यूरो सदस्य और एनआरबी (उत्तरी क्षेत्रीय ब्यूरो) के प्रभारी प्रमोद मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया. प्रमोद मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद बिहार पुलिस ने हथियार, गोला-बारूद और एक बंदूक फैक्ट्री का उद्भेदन किया था. जिसे बिहार और यूपी में हथियारों की सप्लाई करने और देशी हथियारों को इकट्ठा करने के लिए स्थापित किया गया था.
प्रमोद मिश्रा भाकपा माओवादी संगठन को पुनर्जीवित करने में जुटा था
एनआईए जांच से संकेत मिले हैं, कि कई फ्रंटल संगठनों और छात्र विंगों को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से कैडरों को प्रेरित करने, भर्ती करने और माओवादी की विचारधारा का प्रचार करने का काम प्रमोद मिश्रा को सौंपा गया था. वे इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आतंक और हिंसा की साजिश रच रहे थे. जांच से यह भी पता चला है कि प्रमोद मिश्रा भाकपा माओवादी संगठन को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में माओवादी के कैडरों और समर्थकों, ओवर ग्राउंड वर्कर्स का नेतृत्व कर रहे थे.
झारखंड-बिहार बॉर्डर पर माओवादियों को कर रहा था मजबूत
प्रमोद मिश्रा मूल रूप से बिहार के औरंगाबाद जिले के रफीगंज थाना क्षेत्र के कासमा गांव का रहने वाला है. उसका लंबे समय तक सारंडा में कार्यक्षेत्र रहा है. गिरफ्तारी से पहले वह झारखंड-बिहार सीमा पर छकरबंधा में माओवादियों को मजबूत करने में जुटा था. प्रमोद मिश्रा को नक्सली संगठन में वर्ष 2004 में केंद्रीय समिति सदस्य के रूप में शामिल किया गया था. उसे वर्ष 2007 में पोलित ब्यूरो सदस्य बनाया गया था. वह 11 मई, 2008 को धनबाद जिले के विनोद नगर से गिरफ्तार हुआ था. उसे न्यायालय ने सबूत के अभाव में वर्ष 2017 में रिहा कर दिया था. इसके बाद से ही वह क्षेत्र में फिर सक्रिय हो गया था. उसे पुलिस पर हमला व कई नरसंहार का मास्टरमाइंड बताया जाता है.
मिसिर बेसरा से हो गई थी अनबन
झारखंड के सरायकेला-खरसांवा क्षेत्र से एक करोड़ के इनामी पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बूढ़ा उर्फ निर्भय मुखर्जी उर्फ काजल उर्फ महेश को झारखंड पुलिस ने 12 नवंबर, 2021 को गिरफ्तार किया था. उसके साथ उसकी पत्नी शीला मरांडी भी पकड़ी गई थी. प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद पोलित ब्यूरो सदस्य पद के दावेदार में प्रमोद मिश्रा सबसे आगे चल रहा था. प्रमोद मिश्रा माओवादी ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का प्रमुख बनना चाहता था. इस पद को लेकर पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा से प्रमोद मिश्रा की अनबन हो गई थी. झारखंड पुलिस प्रमोद मिश्रा पर भी एक करोड़ रुपये का इनाम रखने वाली थी. मगर उससे पहले ही वह पकड़ा गया.
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