झारखंड हाईकोर्ट में मृत, सिविल कोर्ट में जीवित – Lok Shakti

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झारखंड हाईकोर्ट में मृत, सिविल कोर्ट में जीवित

– हाईकोर्ट में जिसने खुद को मृत बताया, सिविल कोर्ट में उसी ने कर दिया सरेंडर

– एक आरोपी ने सीबीआई को भी दे दिया झांसा, कहा- मैं नहीं मेरा जुड़वा भाई था दोषी

– बैंक से फर्जी दस्तावेजों पर 10 करोड़ रुपये का लोन लेने का है मामला

Vinit Abha Upadhyay

Ranchi: झारखंड ऐसा पहली बार हुआ है, जब खुद को मृत बताने वाला व्यक्ति कोर्ट के समक्ष खुद प्रस्तुत हो गया हो. जी हां, यह सच है. झारखंड उच्च न्यायालय में जावेद खान ने खुद को मृत बता दिया. न्यायालय में अधिवक्ता ने हाईकोर्ट ने बताया कि उनका क्लाइंट जावेद खान मर चुका है. अधिवक्ता की बातों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका का निष्पादन कर दिया. हाईकोर्ट का यह मामला 4 फरवरी 2022 का है. वहीं, जावेद खान, अचानक 21 अगस्त 2023 को जिंदा हो गया. वह रांची सिविल कोर्ट में सशरीर प्रस्तुत हो गया. उसने अदालत के समक्ष सरेंडर कर दिया. इसी मामले में दूसरे आरोपी शाहिद खान ने सीबीआई को भी झांसा दे दिया. सीबीआई की टीम जब गिरफ्तारी के लिए पहुंची, तो शाहिद ने बताया कि मैं दोषी नहीं हूं. मेरा एक जुड़वा भाई था, जो मर गया है, वह दोषी है. उसका नाम शहीद खान है.

दरअसल, यह पूरा मामला बैंक से फर्जी दस्तावेज के आधार पर 10 करोड़ रुपये का लोन लेने से संबंधित है. इस मामले में पंजाब नेशनल बैंक के तत्कालीन सर्किल अफसर विमल कुमार शर्मा ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. जिसे सीबीआई ने टेकओवर करते हुए, आरसी06(एस)2015 दर्ज किया है. इस पूरे मामले की जांच सीबीआई कर रही है. रांची सीबीआई की विशेष अदालत ने जावेद खान और शाहिद खान के खिलाफ आरोप गठित कर दिया है.

आरोपी ने सीबीआई को भी दे दिया झांसा

सीबीआई की गिरफ्त से बचने के लिए शाहिद खान ने झूठ का सहारा लिया. सीबीआई अफसरों को बताया कि मेरा नाम शाहिद खान है. जो दोषी है, वह मेरा जुड़वा भाई था. उसकी मृत्यु हो गई है. उसका नाम शहीद खान है. शाहिद ने सीबीआई को शहीद का डेथ सर्टिफिकेट भी दिया. जो कि आदित्यपुर नगर निगम से 29 नवंबर 2022 को जारी हुआ था. सीबीआई ने प्रमाण पत्र की जांच कराई तो पता चला कि शाहिद ने खुद को बचाने के लिए पूरी कहानी बनाई थी. सीबीआई जांच में पता चला कि जिस शाहिद खान ने सीबीआई को चकमा दिया था, उसका आधार कार्ड में नाम जाहिद खान है. उसके पिता का नाम मुमताज खान दर्ज है. शाहिद ने ही सीबीआई को बताया कि उसके पिता कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व जज हैं. उसके आधार कार्ड में भी पिता के नाम के आगे पूर्व जज लिखा हुआ है.

क्या था पूरा मामला

जमशेदपुर स्थित पंजाब नेशनल बैंक के बिष्टुपुर ब्रांच में फर्जी दस्तावेज के आधार पर 10 करोड़ रुपये का लोन लिया गया था. जब बैंक को लोन की किस्त नहीं मिली, तो बैंक ने तहकीकात शुरू की. पता चला कि जिस पते पर लोन लिया गया है, वह गलत है. उसके बाद बैंक के अफसरों ने वर्ष 2015 में मामला दर्ज कराया. इसमें बताया था कि जिस कंपनी और दस्तावेज के आधार पर लोन लिया गया है, वह दोनों ही फर्जी हैं.

जांच में कई दस्तावेज मिले फर्जी

सीबीआई जांच में पता चला कि लोन लेने के लिए जमीन से संबंधित जो दस्तावेज और लगान रसीद जमा की गई थी, वह फर्जी हैं. इसे लेकर जमशेदपुर अंचल कार्यालय से भी दस्तावेज मांगे गए, तो वहां भी दस्तावेज नहीं मिले. इतना ही नहीं, फर्जी दस्तावेज में भी जालसाजी की गई और दो लाख रुपये मूल्य के दस्तावेज का मूल्य दो करोड़ रुपये कर दिया. तीन लाख रुपये के दस्तावेज के मूल्य को तीन करोड़ रुपये कर दिया. जमीन से जुड़े तमाम दस्तावेज सीबीआई ने हासिल किए है, उसमें भी फर्जीवाड़ा की बात सामने आई है.