सांकेतिक तस्वीर
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यूपी की सरकारी मशीनरी लोकसभा चुनाव के लिए करीब-करीब तैयार है। राज्य सरकार ने तीन साल के दायरे में आ सकने वाले एक-आध डीएम को छोड़कर सभी को हटा दिया है। पीसीएस अधिकारियों के मामले में भी यह काम काफी हद तक पूरा किया जा चुका है।
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इंडिया के घटक कांग्रेस, सपा, जदयू, राजद और तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पहले ही कह चुके हैं कि मोदी सरकार समय से पहले लोकसभा चुनाव करा सकती है। इंडिया और एनडीए से खुद को तटस्थ घोषित कर चुकीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी शनिवार को यही आशंका जताई है। इन सब के बीच यूपी की सरकारी मशीनरी की भी चुनाव के लिहाज से काफी हद तक ओवरहॉलिंग हो चुकी है।
दरअसल, चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग, चुनाव कार्यों से संबंधित उन अधिकारियों को हटाने के लिए कहता है, जिनकी एक जिले में तैनाती तीन वर्ष या उससे अधिक हो जाती है। चुनाव के संभावित कार्यक्रम के लिहाज से वह एक कट ऑफ डेट तय करता है। राज्य सरकार आयोग से यह निर्देश आने से पहले अपने स्तर से ही इस दायरे में आने वाले अधिकारियों का स्थान बदल रही है। इससे संबंधित अधिकारी को नए स्थान पर काम का कुछ अनुभव भी मिल जाएगा। अचानक कम अनुभवी अधिकारियों की देखरेख में चुनाव कराने की स्थिति नहीं बनेगी।
शायद यही वजह रही कि वर्ष 2021 में तैनाती पाने वाले बिजनौर, एटा और ललितपुर के डीएम को भी दूसरे जिलों में भेजा गया है। इस समय स्थिति यह है कि 75 जिलों में 65 डीएम की तैनाती वर्ष 2022 या उसके बाद हुई है। उससे पहले तैनाती पाने वाले मात्र 10 डीएम हैं, जिनमें से अधिकतर की तैनाती अक्तूबर 2021 में हुई है। हालांकि, अब भी कई जिलों में फेरबदल की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
इसी सप्ताह तैनात हुए सीईओ और दो एसीईओ
इसी सप्ताह में प्रदेश निर्वाचन कार्यालय में भी नए मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के साथ ही दो और अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को तैनात किया जा चुका है।
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