Ranchi: झारखंड में होने वाला नगर निकाय चुनाव लोकसभा और विधानसभा चुनाव तक टल सकता है. कैबिनेट ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण की सीमा निर्धारित करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन की मंजूरी 26 जून को दे दी थी. लेकिन दो महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी आयोग का गठन नहीं हो पाया है. ऐसे में 2023 में निकाय चुनाव होना संभव नहीं लग रहा है. वहीं अगले साल लोकसभा और विधानसभा का चुनाव होने वाला है. ऐसे में निकाय चुनाव लंबा टल सकता है. ओबीसी आयोग के अध्यक्ष का पद न्यायिक पदाधिकारियों के लिए सुरक्षित है. बताया जाता है कि सरकार को इस पद के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहा है. इसलिए सरकार अब आयोग के गठन के नियम बदलने पर विचार कर रही है. न्यायिक पदाधिकारी की जगह सामाजिक-राजनीतिक सरोकार से जुड़े व्यक्ति को भी अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है. अगर अगले एक-दो महीने में आयोग का गठन हो भी जाता है, तब भी आयोग को ओबीसी का सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक सर्वेक्षण करने में 3 से 4 महीने का समय लगेगा. फिर सरकार आयोग की अनुशंसा के आधार पर ओबीसी आरक्षण की सीमा तय करते हुए चुनाव कराने पर विचार करेगी.
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दिसंबर में ही लोकसभा चुनाव होने की चर्चा
2024 के मई तक लोकसभा और नवंबर तक विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित है. लेकिन अब यह चर्चा है कि 2023 के दिसंबर में ही लोकसभा चुनाव कराये जा सकते हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि भाजपा ने दिसंबर में चुनाव प्रचार के लिए सभी हेलीकॉप्टर बुक कर लिये हैं. इस दावे के बाद विपक्षी दलों की नजर केंद्र सरकार के रुख पर है. अगर ऐसा हुआ तो झारखंड सरकार भी निकाय चुनाव टालने की कोशिश करेगी.
झारखंड के 48 नगर निकायों में लंबित है चुनाव
झारखंड के 48 नगर निकायों में चुनाव होने वाले हैं. अप्रैल 2023 में 34 नगर निकायों का कार्यकाल पूरा चुका है. इससे पहले 14 निकायों में मई 2020 से ही चुनाव लंबित है. राज्य के सारे नगर निकाय जनप्रतिनिधि विहीन हो चुके हैं. अफसरों के जरिये सारे काम हो रहे हैं. भाजपा का कहना है कि यह सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव नहीं करवाना चाहती. झामुमो का कहना है कि यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह लोकसभा-विधानसभा चुनाव के पहले या बाद में चुनाव कराना चाहती है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद ही निकाय चुनाव संभव दिख रहा है.
सरकार की निकाय चुनाव कराने की मंशा ही नहीं- सीपी सिंह
भाजपा के विधायक सीपी सिंह ने कहा कि हेमंत सरकार की राज्य में निकाय चुनाव कराने की मंशा ही नहीं है. सरकार जनप्रतिनिधियों को अधिकार नहीं देना चाहती, वो अधिकारियों के जरिये काम कराना चाहती है. निकायों में अराजकता की स्थिति हो गई है. घटिया स्तर का काम हो रहा है. विधायक ने कहा कि जनता की समस्याओं को लेकर उन्होंने नगर निगम में कई लिखित और मौखिक शिकायतें की है. लेकिन अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि पुराने पदाधिकारी बदल गये हैं. सरकार ने नगर निगम को पर्यटन स्थल बना दिया है. 5-6 महीने में पदाधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग हो जाती है. उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद ही राज्य में निकाय चुनाव संभव लग रहा है.
लोकसभा चुनाव के बाद ही निकाय चुनाव की संभावना- शिल्पी नेता तिर्की
कांग्रेस की विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि सुनने में आ रहा है कि केंद्र सरकार दिसंबर 2023 में ही लोकसभा चुनाव करवा सकती है. भाजपा ने सारे चॉपर-हेलीकॉप्टर बुक कर लिये हैं. अगर ऐसा होता है तो कई चीजें अप्रत्याशित होगी. जहां तक ट्रिपल टेस्ट की बात है तो उम्मीद है कि इस साल के अंत तक ओबीसी आयोग ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट सरकार को दे देगी. जहां तक निकाय चुनाव का सवाल है तो उम्मीद है कि वह लोकसभा चुनाव के बाद ही होगा.
चुनाव कब होगा यह सरकार पर निर्भर- लोबिन हेंब्रम
झामुमो के विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि शेड्यूल एरिया में नगर निकाय चुनाव होना ही नहीं चाहिए. यह गलत है. जबतक पार्लियामेंट शेड्यूल एरिया के लिए नया कानून नहीं बनाती, तबतक वहां नगर निकाय चुनाव होना ही नहीं चाहिए. राज्य में नगर निकाय चुनाव लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पहले होगा या बाद में यह सरकार पर निर्भर करता है.
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