मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना का संक्रमण तो तेजी से बढ़ रहा है लेकिन संक्रमण का अभी सर्वोच्च स्तर पर आना बाकी है। इसे देखते हुए हमें एक समय में 500 ऑक्सीजन बिस्तर की जरूरत पड़ सकती है। वर्तमान में हमारे पास 966 ऑक्सीजन बेड अस्पतालों में उपलब्ध है। इसकी संख्या बढ़ाकर 1500 तक करनी होगी। इतना ही नहीं कंटेनमेंट क्षेत्र बनाए जाने का समय जो पांच दिन का कर दिया गया है उसे वापस 23 दिन करना चाहिए। तभी संक्रमण पर काबू पाया जा सकता है। वहीं तीन घर से बढ़ाकर आसपास के 50 घरों को कंटेनमेंट के दायरे में रखा जाए। यह सुझाव शुक्रवार को तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक में डॉक्टरों व अधिकारियों ने कलेक्टर को दिए। हालांकि इसका कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कोई उचित जवाब नहीं दिया। वे हमारे स्तर का मामला नहीं है कहकर सुझावों को सुनकर रह गए।
इधर, डॉक्टरों ने बैठक में बताया कि कम लक्षण वाले कोरोना संक्रमित मरीज कोरोना संक्रमण फैलाने के मुख्य सोर्स माने जा रहा हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इनके अंदर कोई लक्षण नहीं होता है, इसके चलते वे अपनी जांच भी नहीं कराते हैं। बिना जांच कराए कोरोना का संक्रमण लिए घूमते रहते हैं। इनसे शहर में ज्यादा खतरा है। डॉक्टरों ने तो यहां तक कहा कि हमारे पास कुछ ऐसे उदाहरण भी आए हैं जिसमें जांच रिपोर्ट कोरोना नेगेटिव होने के बावजूद जब एक्सरे और एमआरआई व सिटी स्कैन जांच कराने पर वे पॉजिटिव पाए गए हैं। इधर शहर में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा मास्क लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए भी सुझाव दिया गया है।
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