भाजपा का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला, प्रतियोगी परीक्षा विधेयक को रोकने की मांग की – Lok Shakti
November 1, 2024

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भाजपा का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला, प्रतियोगी परीक्षा विधेयक को रोकने की मांग की

Ranchi :   बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल ने आज राजभवन पहुंचकर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड राज्य प्रतियोगी परीक्षा विधेयक 2023 को रोकने की मांग की.  प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से अनुरोध किया कि राज्य के बेरोजगार युवाओं और जनता के हित में यह विधेयक काला कानून नहीं बने. उन्होंने राज्यपाल से गंभीरता पूर्वक विचार कर इसे रोकने की मांग की. भाजपा ने विधेयक के असंवैधानिक प्रावधानों को लेकर सदन में कड़ा विरोध प्रकट किया. लेकिन राज्य सरकार ने अपनी हठ धर्मिता और संख्याबल के आधार पर सदन में विधेयक पारित करा लिया.

भ्रष्टाचार और कदाचार मुक्त परीक्षा संचालन की प्रबल पक्षधर है भाजपा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार और कदाचार मुक्त परीक्षा संचालन की प्रबल पक्षधर है. लेकिन इस विधेयक द्वारा राज्य सरकार झारखंड लोक सेवा आयोग, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग जैसी संस्थाओं में युवाओं की आवाज को दबाकर मनमाने तरीके से प्रतियोगी परीक्षाओं का संचालन कराना चाहती है.

इस विधेयक में अभिव्यक्ति की आजादी का स्पष्ट उल्लंघन-बाबूलाल

बाबूलाल मरांडी ने आगे कहा कि यह आशंका तब और प्रबल हो जाती है, जब पिछले दिनों जेपीएससी द्वारा आयोजित 7वीं से 10वीं तक की सिविल सेवा परीक्षा और जेएसएससी द्वारा आयोजित कनीय अभियंता परीक्षा में घोर धांधली उजागर हुई. इस विधेयक में अभिव्यक्ति की आजादी का स्पष्ट उल्लंघन है. कहा कि उदाहरण के तौर पर विधेयक की कंडिका 11 (2) में   संबंधित परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों, उत्तर पत्रकों के संबंध में सवाल खड़ा करने वाले परीक्षार्थियों, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ बिना किसी प्रारंभिक जांच किये प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कही गयी है.

कंडिका 23 (1) क व ख में ऐसे लोगों को बिना किसी वरीय पदाधिकारी के अनुमोदन के गिरफ्तार करने का प्रावधान किया गया है. इसके अतिरिक्त ऐसी विसंगतियों पर भविष्य में भी कोई परीक्षार्थी आवाज नहीं उठा सके, इसके लिए विधेयक की कंडिका 13(1) में वैसे परीक्षार्थियों को 2 से 10 साल तक के लिए परीक्षा प्राधिकरण द्वारा आयोजित किये जाने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित करने का प्रावधान किया गया  है.