वकीलों को राहत, आम जनता पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ – Lok Shakti
November 1, 2024

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वकीलों को राहत, आम जनता पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ

वकीलों का वकालतनामा स्टांप दर 15 से बढ़कर हो जाएगा 30 रूपया, झारखंड अधिवक्ता कल्याण निधि (संसोधन) विधेयक 2023 विधानसभा से पारित

महिलाएं भी अब कल-कारखानों में नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी, विधानसभा में कारखाना (संसोधन) विधेयक 2023 पास

Ranchi : झारखंड सरकार ने राज्य के 30 हजार से अधिक वकीलों को राहत दिया है. सरकार ने वकीलों की वकालतनामा स्टांप दर 15 रुपए से बढ़ा कर 30 रुपए कर दिया है. विधानसभा के मॉनसून सत्र में बुधवार को झारखंड अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक 2023 पारित हो गया. अब यह बिल राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही यह विधेयक लागू हो जाएगा. एक ओर जहां सरकार ने वकीलों को बड़ी राहत प्रदान की है, वहीं आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा दिया गया है. बुधवार को सदन ने वकीलों को राहत का स्वागत तो किया मगर इसका बोझ आम जनता, खाशकर गरीब-ग्रामीण जनता पर आर्थिक बोझ डालने का विरोध हुआ. आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि वकीलों को राहत दिए जाने से कोई दिक्कत नहीं है. मगर इसका बोझ गरीब जनता पर डालना गलत है. सरकार को इसे अनुदान के तौर देना चाहिए, इसका बोझ जनता पर नहीं डालना चाहिए. इसका समर्थन माले विधायक विनोद सिंह ने भी किया.

कारखाना संशोधन विधेयक पास

विधानसभा मे कारखाना (झारखंड संशोधन) विधेयक, 2023 भी पास हो गया. सरकार ने फैक्ट्री अधिनियम 1948 में संशोधन किया है. इसके तहत अब महिलाएं भी फैक्ट्री-कारखाना या किसी निजी कंपनी-करखाने में शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक काम कर सकेंगी. फैक्ट्री अधिनियम 1948 में रात्रि में महिलाओं के काम करने पर पाबंदी थी. मगर अब महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट में काम करने का रास्ता खुल गया है. सरकार का मानना है कि नाइट शिफ्ट में महिलाओं को काम करने की अनुमति देकर महिलाओं को भी बराबरी का हक प्रदान किया जा रहा है. प्रभारी मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि इससे झारखंड राज्य में रोजगार एवं औद्योगिकरण में तेजी आएगी. साथ ही कारखानों को अपने उत्पादन के लक्ष्य का निर्धारण कर इसे प्राप्त करने में सुगमता होगी. वहीं दूसरी ओर महिला एवं पुरुष कामगारों के जीवनयापन में समान अवसर प्रदान होंगे. सदन में इस विधेयक का विरोध आजसू विधायक लंबोदर महतो ने करते हुए इस पर समग्र विचार के लिए प्रवर समिति को सौंपने की मांग रखी. उन्होंने कहा कि यह फैक्ट्री एक्ट 1948 का सीधे उल्लंघन है. जिसमें महिलाओं को रात्रि पाली में काम करने मनाही है. यह अधिनियम महिला विरोधी है. महिला सुरक्षा के विरोध में है.

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