यूएपी एक्ट के 50 से अधिक कांडों में अभियोजन स्वीकृ – Lok Shakti
November 1, 2024

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

यूएपी एक्ट के 50 से अधिक कांडों में अभियोजन स्वीकृ

Saurabh Singh
Ranchi : यूएपी एक्ट (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) के 50 से अधिक कांडों के अभियोजन स्वीकृति के प्रस्ताव में बड़े पैमाने पर गलतियां पायी गयीं. नतीजतन गृह विभाग ने सारे के सारे प्रस्ताव को लौटा दिया. डीजीपी अजय कुमार सिंह ने अभियोजन स्वीकृति प्रस्ताव तैयार करने के लिए आवश्गायक इडलाइन जारी किया है. डीजीपी द्वारा जिले के एसपी को निर्देश जारी कर कहा गया है कि एक्ट के तहत भेजे जानेवाले अभियोजन स्वीकृति के लिए प्रस्ताव में एकरूपता लाने के लिए एक चेक लिस्ट तैयार की गयी है. सभी एसपी को निर्देश दिया गया है कि जिले से इस एक्ट के तहत भेजे जा रहे अभियोजन स्वीकृति के प्रस्ताव की जांच कर ली जाए कि चेक लिस्ट के अनुरूप है या नहीं. पूरी तरह जांचने-परखने के बाद ही अभियोजन स्वीकृति का प्रस्ताव भेजा जाए.

इसे भी पढ़ें – CM नीतीश ने तेजस्वी के करीबी मंत्री को दिया झटका, 480 अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के आदेश को निरस्त किया

यूएपी एक्ट के तहत अभियोजन स्वीकृति प्रस्ताव के लिए गाइडलाइन

– डीसी और एसपी के मंतव्य के साथ अभियोजन स्वीकृति का प्रस्ताव भेजा जाए.

– औपचारिक प्राथमिकी की कंप्यूटर से टाइप की हुई प्रति होनी चाहिए.

– वादी के लिखित आवेदन की प्रति भी प्रस्ताव के साथ भेजा जाए.

– जब्ती सूची भेजी जाए, जिसमें जब्त किए गए सारी चीजों की पूरी जानकारी हो

– कांड दैनिकी की अद्यतन प्रति भेजना जरूरी है

– पर्यवेक्षक टिप्पणी की प्रति

– आरोप पत्र प्रारूप की प्रति

– टीआईपी की प्रति

– अपराध स्वीकारोक्ति बयान की प्रति

– यदि पूर्व में किसी अभियुक्त के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्राप्त हो, तो कांड दैनिकी की कंडिका की संख्या

– प्रतिबंधित संगठन होने से संबंधित अधिसूचना की प्रति

– एफएसएल रिपोर्ट या अन्य रिपोर्ट की प्रति और किस कंडिका में अंकित है, उसकी संख्या.

– जिला स्तर पर यूएपी एक्ट के कांडों के अनुश्रवण के लिए मनोनीत नोडल पदाधिकारी का नाम, पदनाम और मोबाइल नंबर, ईमेल और पता

क्या है यूएपी एक्ट 1967

यूएपीए का फुल फॉर्म अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम है. इस कानून का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाना है. पुलिस और जांच एजेंसियां इस कानून के तहत ऐसे आतंकियों, अपराधियों और संदिग्धों को चिह्नित करती हैं, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं. यूएपीए वर्ष 1967 में लागू किया गया था. इस कानून में लगातार संशोधन होता भी रहे. वर्ष 2019 में यूएपीए कानून में संशोधन किया गया, जिसके बाद इस कानून के तहत जांच के आधार पर किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को आंतकवादी घोषित किया जा सकता है. यूएपीए में विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाता है.

इसे भी पढ़ें – डीजीपी का आदेश, छापेमारी के दौरान ATS को ईंधन की कमी ना होने दें