झारखंड में एंटी स्नेक वेनम की 9532 डोज उपलब्ध
दिया निर्देश- मरीजों को हर हाल में मिले इलाज, न हो लापरवाही
Ranchi : झारखंड में सर्पदंश के मामले काफी बढ़े हैं. पिछले एक माह में मौत का ग्राफ भी बढ़ा है. बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने सर्पदंश से संबंधित एडवाइजरी जारी की है. बताया गया है कि राज्य के विभिन्न जिलों में एंटी स्नेक वेनम की 9532 डोज उपलब्ध है. स्वास्थ्य विभाग ने रिम्स निदेशक समेत सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य और सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्राचार करते हुए सर्पदंश से होने वाली आकस्मिक घटनाओं के बचाव, रोकथाम और उपचार से संबंधित मार्गदर्शिका का अनुपालन करने का निर्देश दिया है. विभाग की ओर से जारी एडवाइजारी में कहा गया है कि सर्पदंश से लोगों की मौत का मुख्य कारण इलाज में देरी और समुदाय में जागरूकता की कमी है. राज्य में पाए जाने वाले सांप की 250 से अधिक प्रजाति में केवल 25% ही जहरीली है. रसेल वाइपर सबसे ज्यादा खेतों में मिलता है, जिसके काटने पर खून पतला हो जाता है और ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. जबकि करैत काले रंग का होता है और सफेद रंग की रिंग जैसी बैंड बने होते हैं. जून से सितंबर माह तक सर्पदंश के मामले ज्यादा देखे जाते हैं. अक्सर सांप के काटने से लोग घबरा जाते हैं. घबराहट के कारण ही हृदय गति रुकने से ज्यादातर लोगों की मौत हो जाती है.
एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त व्यवस्था करें
इधर, जारी एडवाइजरी में स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश दिया है कि बारिश के मौसम में सर्पदंश के मामले के बढ़ने की आशंका को देखते हुए अपने-अपने संस्थानों में एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करें. साथ ही सर्पदंश से सावधानी व इलाज के प्रति लोगों को जागरूक कराने पर ध्यान दें, ताकि उन्हें नजदीकी अस्पताल में ससमय इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके.
यह भी निर्देश
सीएचसी व पीएचसी में चिकित्सा पदाधिकारी व स्वास्थ्यकर्मियों का नेशनल स्नेक बाइट मैनेजमेंट प्रोटोकॉल संबंधित प्रशिक्षण कराना सुनिश्चित किया जाए.
सभी सर्पदंश से पीड़त व्यक्तियों की रिपोर्ट आईडीएसपी आईएचआईपी पोर्टल पर अनिवार्य रूप से कराना सुनिश्चित करें.
सर्पदंश होने पर प्राथमिक उपचार के लिए सामुदायिक स्तर पर जागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार करना सुनिश्चित करें.
इन बातों को विशेष रूप से ध्यान दें
जिस स्थान पर सांप ने काटा है, वहां किसी चीज जैसे रस्सी या रूमाल से हल्का बांधें. जोर से न बांधे.
किसी भी स्थिति में जहां स्नेक वाइट है, वहां नहीं काटें. काटने से जहर फैलता है.
सांप के बाइट की जगह काटना, चूसना, दबाना बिल्कुल न करें
जहां सांप ने काटा है, वहां तेज धारा से पानी मारें, ताकि विष निकल जाए. पीड़ित को तसल्ली देकर शांत रखने का प्रयास करें, जिससे बीपी नियंत्रित रहे. जितना बीपी बढ़ेगा, शरीर में जहर उतनी ही तेजी से फैलेगा.
कोशिश करनी चाहिए कि सर्पदंश से पीड़ित को एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन जल्द से जल्द लग जाए. मरीज को डरने नहीं दे, मरीज को आश्वस्त करे कि दवा देने से वह ठीक हो जाएंगे.
10 जुलाई तक जिलों में एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता
बोकारो:599
चतरा:370
देवघर:1564
धनबाद:127
दुमका:510
पूर्वी सिंहभूम:78
गढ़वा:180
गिरिडीह:185
गोड्डा:80
गुमला:40
हजारीबाग:1490
जामताड़ा:80
खूंटी:85
कोडरमा:150
लातेहार:203
लोहरदगा:100
पाकुड़:423
पलामू:60
रामगढ़:258
रांची:2225
साहेबगंज:350
सरायकेला:215
सिमडेगा:30
पश्चिमी सिंहभूम:130
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