मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब विभागों के वितरण का फैसला भी केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में चला गया है। दिल्ली में दो दिन की मशक्कत के बाद भी यह तय नहीं हो सका कि भाजपा के पास कौन से विभाग रहेंगे और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे में क्या जाएगा? बताया जा रहा है कि ज्यादा झगड़ा नगरीय विकास, पीडब्ल्यूडी, राजस्व, स्वास्थ्य, परिवहन, जल संसाधन, पीएचई, वाणिज्यिक कर, आबकारी, स्कूल शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग को लेकर है।
दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुख्यमंत्री की मुलाकात हुई। इस बीच, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी उनकी बात हुई, लेकिन विभागों को लेकर सहमति नहीं बनी। सिंधिया ने अपनी बात केंद्रीय संगठन को बताई। लिहाजा हाईकमान ने विभागों की सूची भी अपने पास रख ली है। इसके बाद प्रदेश संगठन से भी पूछा गया। देर रात तक सहमति नहीं बनी तो मंगलवार को प्रस्तावित कैबिनेट के बैठक ही निरस्त कर दी गई। मुख्यमंत्री की भोपाल वापसी की जानकारी पहले दोपहर बाद, फिर शाम को, फिर रात साढ़े आठ बजे और फिर रात 10 बजे के करीब आने की शासन द्वारा दी गई, लेकिन बाद में वापसी ही टल गई। अब मुख्यमंत्री चौहान मंगलवार सुबह भोपाल लौटेंगे।
राज्यमंत्रियों के लिए स्वतंत्र प्रभार वाले विभाग मांगे
सूत्रों का कहना है कि सिंधिया ने 7 कैबिनेट मंत्रियों के लिए बड़े विभाग तो मांगे, साथ ही स्पष्ट किया है कि 4 राज्यमंत्रियों के पास कुछ विभागों का स्वतंत्र प्रभार रहे। कांग्रेस से भाजपा में आए हरदीप सिंह डंग, बिसाहूलाल सिंह और एंदल सिंह कंसाना को भी विभाग दिया जाना है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि बिसाहूलाल और एंदल को भी कुछ विभाग मिलें, इस मामले में भी केंद्रीय नेतृत्व को निर्णय लेना है।
देर रात सहस्त्रबुद्धे से मिलने उनके घर पहुंचे सिंधिया
इस बीच, सिंधिया देर रात प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे से मिलने उनके निवास पर पहुंचे। माना जा रहा है कि सहस्त्रबुद्धे ने कुछ विभागों को लेकर सिंधिया से बात की है। सहमति बनती है तो मंगलवार को विभागों की घोषणा हो जाएगी।
शिवराज जाे विभाग चाह रहे, केंद्रीय नेतृत्व उन पर राजी नहीं
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री भी वाणिज्यिक कर, आबकारी, महिला बाल विकास, परिवहन, ऊर्जा, उद्योग, जल संसाधन, नर्मदा घाटी विकास समेत कुछ विभाग अपने करीबी मंत्रियों के पास रखना चाहते हैं। केंद्रीय नेतृत्व इस पर तैयार नहीं हो रहा। हालांकि प्रदेश संगठन ने कुछ नए नाम सुझाएं हैं, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय नड्डा और संतोष को लेना है।
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