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गढ़वाः मोहर-कोरवा की नहीं काटी जा रही लगान रसीद, क

Pravin Kumar

Garhwa: राज्य में सीएनटी एक्ट जैसे मजबूत कानून होते हुए भी आदिम जनजातियों की जमीन को दूसरे समुदाय के द्वारा कब्जा कर लेने के मामले सामने आ रहे हैं. ताजा मामला गढ़वा जिले के मेराल अंचल के चामा पंचायत का है. यहां कुशमही नामक राजस्व गांव का है. जिसका राजस्व रिकॉर्ड थाना नंबर 377, हल्का नंबर 5 है. गांव के आदिम जनजाति कोरबा अपनी खतियानी जमीन का लगान कटवाना चाहते हैं. लेकिन जमीन का रिकॉर्ड ऑनलाइन नहीं होने के कारण रसीद नहीं काटी जा रही है. आदिम जनजाति मोहर-कोरवा के नाम खतियान के आधार पर इनके वंशजों के मेराल अंचल में डिमांड खोलने के लिए कई बार आवेदन दिया गया. यह आवेदन अपर समाहर्ता गढ़वा, डीसी गढ़वा और भू-राजस्व विभाग को दिया गया, लेकिन तीन सालों से डिमांड खोल कर रसीद नहीं काटी जा रही है.

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आदिम जनजाति के 5.78 एकड़ जमीन के क्या हैं दस्तावेज

जोगी कोरवा, पिता मोहर कोरवा के नाम 1916 का तन्नजा है. जिसमें जमीन का रकबा 5 .78 डिसमिल दर्ज है. उसी तन्नजा के आधार से 1932 का खतियान बना. जिसमें खाता 14 दर्ज किया हुआ है. खाते में प्लॉट भी दर्शाया गया है जिसकी प्लॉट संख्या 221, 241, 247, 250, 251, 259, 260, 261 है. उसी तर्ज पर 1980-82 में सर्वे हुआ. उसमें भी मोहर कोरवा वंशजों के नाम से नया खाता खोला गया. जिसमें मोहर कोरवा वंशज मनबोध कोरवा,चमरु कोरवा ,नन्हक कोरवा, विशुन कोरवा,केतवरु कोरवा,ठुमक कोरवा के नाम दर्ज हैं. इनके प्लॉट इस प्रकार हैं. 882, 886, 888, 898, 899, 900, 901, 902, 903, 904, 905, 909, 916, 918, 919, 920, 922, 928, लेकिन जमीन की रसीद नहीं काटी जा रही है.

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कब-कब दिया कोरवा परिवारों ने रसीद कटने का आवेदन

सीओ को पहला आवेदन 19/08/2019 को दूसरा आवेदन 31/08/2019 को, तीसरा आवेदन 7/04/2021 को दिया गया. चौथा आवेदन 21/08/2021 को दिया गया लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अपर समाहर्ता गढ़वा को दिनांक 9/09/2019 को आवेदन दिया गया था. वहां भी कुछ नहीं हुआ. इसके बाद उपायुक्त गढ़वा को पहला आवेदन 03/09/2019 दूसरा आवेदन 16/06/2022 को दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. थक हार कर कोरवा परिवार ने राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग, झारखंड सरकार को भी आवेदन दिया, फिर भी लगान रसीद नहीं काटी जा रही है. सामाजिक कार्यकर्ता मानिक कोरवा ने कहा कि कोरवा परिवारों के नाम की जमीन किया जा रहा है. वहीं चिनिया में आदिम जनजातियों की जमीन को प्रशासन भी छीन लिया है. उस जमीन पर बिना अधिग्रहण किए थाना का निर्माण करा दिया गया है. दूसरे समुदाय के लोग भी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं.