रिम्स के बरामदे में फर्श पर ही चल रहा मरीजों का इलाज
Ranchi: झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इन दिनों गर्मी की वजह से मरीज और अटेंडेंट बुरे हाल में हैं. राज्य के अलग अलग हिस्सों से रोज हजारों की संख्या में मरीज यहां आते हैं. साफ सफाई के मामले में यह अस्पताल पहले से ही बदनाम है. इधर गर्मी में मरीज और उनके परिजन ठंडा पानी, ठंढ़ी हवा जैसी सुविधाओं से भी वंचित हैं. यहां व्यवस्था का आलम यह है कि वाटर कूलर तो है पर उसमें पानी नहीं है. जिसकी वजह से उससे ठंडी हवा नहीं आती. बेड की कमी की वजह से बहुत से मरीज वार्ड के बाहर बरामदे में फर्श पर ही इलाज करवा रहे हैं. बाथरुम की हालत खराब है. साफ-सफाई की कमी की वजह से वहां दुर्गंध फैली है. इस गर्मी में मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. लोग अपना पंखा लाकर काम चला रहे हैं. बर्न वार्ड का हाल यह है कि वहां एसी काम नहीं करता है, यानी खराब है. गर्मी से बचने के लिए वार्ड की कुछ खिड़कियां खोल दी गई है. इस खिड़कियों से गर्म हवा आती है.वार्ड की फर्श टूटी हुई है और इस समय नलों से गर्म पानी निकलता है. इसलिए लोग बाहर से पानी लाकर पीते हैं.
ऐसी परेशानी
1. वाटर कूलर में पानी डाला ही नहीं जाता
2. बरामदे में जमीन पर ही हो रहा मरीजों का इलाज
3. बाथरूम की बदबू से परेशान हैं मरीज और उनके अटेंडेंट
4. गर्मी में मरीजों के लिए कोई सुविधा नहीं
5. घर से बैटरी पंखा लाकर काम चला रहे हैं मरीज व परिजन
6. बर्न वार्ड में भी एसी काम नहीं करता है
7. बर्न वार्ड में दोपहर में खिड़कियां खुली रहती है
8 पानी का इंतजाम नहीं,खरीद कर पीते हैं
गर्मी से परेशान, पीने को ठंडा पानी भी नहीं, टेबल फैन ही सहारा
चक्रधरपुर : वार्ड के पंखे खराब, बेना हांकते हैं
चक्रधरपुर का अनुमंडल अस्पताल पोड़ाहाट अनुमंडल का सबसे बड़ा अस्पताल है. इस अस्पताल में चक्रधरपुर के अलावा मनोहरपुर, सोनुवा, गोईलकेरा, बंदगांव से लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन यहां मरीज वार्ड में मरीजों के लिए कूलर की व्यवस्था नहीं है. डॉक्टर कक्ष में कूलर लगा है. वहीं वार्ड में लगे कई पंखे भी खराब हैं. इस भीषण गर्मी में अस्पताल में इलाजरत मरीजों और अटेंडेंट को परेशानी होती है. अस्पताल में बिजली जाने पर इनवर्टर की व्यवस्था है, लेकिन इनवर्टर से मरीज वार्ड के सारे पंखों को नहीं जोड़ा गया है. इससे लिए इक्का-दुक्का पंखे भी चल पाते हैं. भीषण गर्मी में अगर रात में बिजली चली जाए तो मरीजों व अटेंडेंट को रतजग्गा करना पड़ता है. अस्पताल में ठंडे पानी के लिए फ्रीजर लगा है, लेकिन फ्रीजर के पानी का उपयोग अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी ही कर पाते हैं. अटेंडेंट को बाहर से पानी लाना पड़ता है.
कूलर की होनी चाहिए व्यवस्था : तुरी मुंडरी
चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल में अटेंडेंट तुरी मुंडरी ने कहा कि अनुमंडल अस्पताल क्षेत्र का बड़ा अस्पताल है, यहां मरीज वार्ड में कूलर की व्यवस्था होनी चाहिए. रात में बिजली जाने के बाद मात्र एक-दो पंखे ही चल पाते हैं, जिससे भीषण गर्मी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गर्मी के कारण नींद भी नहीं आती है. अस्पताल में एक बड़ा जेनरेटर है, लेकिन वह भी चालू नहीं किया जाता.
बिजली गुल होने पर बढ़ती है परेशानी : माची हेम्ब्रम
अनुमंडल अस्पताल में इलाजरत महिला माची हेम्ब्रम ने कहा कि अनुमंडल अस्पताल के मरीज वार्ड में पंखें तो लगे हैं, लेकिन बिजली जाने के बाद पंखें नहीं चलते हैं. वहीं कई पंखे खराब पड़े हुए हैं, जिसे ठीक करा लिया जाना चाहिए. इस भीषण गर्मी में मरीजों को पेरशानी न हो, इसके लिए अस्पताल प्रबंधन को ध्यान देने की आवश्यकता है.इस गर्मी में परेशानी कुछ ज्यादा है. पंखों के खराब होने से लोगों के गर्मी झेलनी पढ़ रही है.
पंखों को जल्द ही ठीक कराया जाएगा : चिकित्सा पदाधिकारी
चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डा. अंशुमन शर्मा ने कहा कि अस्पताल के मरीज वार्ड में जो पंखें खराब पड़े हुये हैं, उसे एक दो दिन के भीतर ठीक करा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बिजली जाने के बाद इनवर्टर कनेक्शन से पंखें चलते हैं. कुछ पंखों का कनेक्शन इनवर्टर से नहीं है. वहीं अनुमंडल अस्पताल में मरीजों और अटेंडेंट के ठंडे पानी की भी व्यवस्था है.इस दिशा में पहल शुरू हो गई है.
गर्मी के इस मौसम में राज्य के ज्यादातर अस्पतालों का हाल अच्छा नहीं है. मरीज और अटेंडेंट कई तरह की समस्याओं से परेशान हैं. कहीं पंखे नहीं हैं तो कहीं पीने के पानी की ठीक व्यवस्था नहीं है. तो कहीं बेड नहीं रहने पर फर्श पर ही इलाज चल रहा है. बिजली चले जाने के बाद उनकी स्थिति और भी खराब हो जाती है. इन दिनों झारखंड में गर्मी चरम पर है. साथ ही बिजली की आंख मिचौली भी चल रही है. इस भीषण गर्मी से लू की स्थिति है. कहीं पंखे हैं भी तो गर्म हवा से बुरा हाल है. शुभम संदेश की टीम ने राज्य के जिलों में स्थित अस्पतालों की पड़ताल की है. पेश है रिपोर्ट…
चाकुलिया
सीएचसी में पंखे तो लगे हैं पर गर्मी से राहत नहीं देते
चाकुलिया के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 3 वार्ड में मरीजों और अटेंडेंट के लिए गर्मी के मौसम में कूलर या फिर एसी की जरूरत है. मरीजों के वार्ड में पंखे लगे हुए हैं, जो गर्मी में पर्याप्त नहीं हैं. मरीज और अटेंडेंटों को गर्मी में परेशानियां उठानी पड़ती है. मरीज और अटेंडेंट कूलर और एसी की मांग कर रहे हैं. वहीं लेबर रूम में दो एसी लगे हैं. पेयजल के लिए सीएचसी में फ्रीज लगे हुए हैं. इसलिए गर्मी में मरीज और अटेंडेंट को स्वच्छ शीतल पेयजल मिलता है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. रंजीत कुमार मुर्मू ने बताया कि सीएचसी में पर्याप्त संख्या में बेड हैं. उन्होंने बताया कि वार्ड में मरीजों और अटेंडेंट के लिए पंखे लगाए गए हैं, परंतु कूलर या फिर एसी की जरूरत है. सीएचसी में गर्मी के मौसम में गर्मी महसूस होती है. यह केंद्र चारों ओर से खुला हुआ है. इसलिए गर्मी में गर्म हवा चलने से यहां आने वाले मरीजों के लिए परेशानियां होती हैं. सीएचसी में भर्ती मरीज और उनके अटेंडेंटों को भी परेशानी होती है. इसलिए मरीज वार्ड में कूलर या एसी की जरूरत है. इधर हाल के दिनों में गर्मी बढ़ने परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है. अस्पाताल प्रबंधन को इस दिशा में शीघ्र कदम उठाने की जरुरत है.
गिरिडीह
बिजली गुल होने पर बढ़ जाती मरीजों की परेशानी
सदर अस्पताल की व्यवस्था से आम दिनों में लोग बेहाल रहते हैं, गर्मी के दिनों में तो स्थिति और बदहाल हो जाती है. अस्पताल में चिकित्सक और कर्मियों के लिए व्यवस्था तो दुरुस्त कर दी गई है. सिविल सर्जन और सदर अस्पताल के उपाधीक्षक के चैंबर एयरकंडीशन से लैस हैं. दूसरी तरफ पावर कट होने के बाद वार्डों में पंखे थम जाते हैं. गर्मी से खुद को राहत पहुंचाने के लिए मरीज़ों और अटेंडेंट को हाथ का पंखा झुलाना पड़ता है. विगत 1 सप्ताह से गिरिडीह का पारा 40 डिग्री सेल्सियस के करीब है. ऐसे में अस्पताल की बदइंतजामी का मरीजों पर दोहरा मार पड़ रहा है. वहीं अस्पताल के अधिकारियों के लिए इनवर्टर, सोलर सिस्टम और जनरेटर की व्यवस्था है. अस्पताल में ठंडे पानी की कोई सहूलियत नहीं है. अस्पताल में लगे 12 नलों से गर्म पानी निकलता है. बाहर से ठंडा पानी खरीदने का पैसा गरीब मरीज व उनके तीमारदारों के पास नहीं होता है. लिहाज़ा वे गर्म पानी पीने को ही विवश होते हैं. सदर अस्पताल में भर्ती एक मरीज की अटेंडेंट बिंदा देवी ने कहा कि बिजली चली जाने पर पंखे बंद हो जाते हैं, जिससे मरीज़ों को परेशानी होती है. यहां ठंडे पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. छोटकी खरगाडीहा से आई महावीर मुर्मू ने बताया कि पावर कट के बाद केवल मरकरी जलती है. मरीज के साथ आए अटेंडेंट के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है.
देवघर
बर्न वार्ड का एसी तो काम ही नहीं करता है
देवघर सदर अस्पताल के बर्न वार्ड में मरीजों को इन दिनों काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बर्न वार्ड के ले ज़रूरी एसी व्यवस्थित रूप से काम नहीं कर रहा है. वार्ड में लगे पंखों की हवा भी बिस्तर पर बैठे मरीज़ों तक नहीं पहुंच पाती है, जिससे मरीज़ों को परेशानी होती है. सारठ से आए महबूब आलम ने चार दिन पहले अपनी बहन रुक्मणि को दाखिल कराया था. महबूब कहते हैं कि एसी काम नहीं करने की वजह से मरीज़ को तकलीफ हो रही है. बताया गया कि मरीज के साथ अटेंडेंट के बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. बर्न वार्ड में मरीजों को इंफेक्शन का खतरा बना रहता है. क्योंकि बर्न वार्ड में मरीजों के लिए एयरकंडीशन जरुरी होता है. इससे उन्हें राहत मिलती है.इस संबंध में पूछे जाने पर अस्पताल के उपाधीक्षक प्रभात रंजन ने कहा कि एसी को ठीक करवाने का प्रयास किया जाएगा. मरीजों के साथ आये अटेंडेंट के लिए बैठने की व्यवस्था की जाएगी. इस समय गर्मी बढ़ने से मरीज और अटेंडेंट को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बहरागोड़ा
जेनरल वार्ड में पंखे के भरोसे हैं मरीज
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में प्रत्येक वार्ड में दो-दो पंखे लगे हुए हैं. इसके अलावा लेबर रूम तथा उसके वार्ड में एसी लगे हुए हैं. मरीजों के कक्ष की देखरेख करने वाले लोगों के लिए बरामदे में पंखे लगे हुए हैं. पेयजल के लिए एक वाटर कूलर लगा हुआ है, लेकिन ओपीडी में मरीज तथा डॉक्टर के लिए केवल एक पंखा लगा है. मरीज के अटेंडेंट आकाश महाकुड़ ने बताया कि प्रचंड गर्मी में पंखे की हवा गर्म लग रही है. इसलिए वार्ड में कूलर की व्यवस्था होनी जरुरी है. ओपीडी में, जहां चिकित्सक जांच करते हैं, वहां एसी की अति आवश्यकता है, ताकि मरीज तथा डॉक्टर को गर्मी में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. उत्पल कुमार मुर्मू ने कहा कि सीएचसी में कूलर और एसी की जरूरत है. सीएचसी में गर्मी के इस मौसम में काफी गर्मी महसूस होती है. जब गर्म हवा चलती है तो मरीजों तथा अटेंडरों को गर्मी से परेशानी उठानी पड़ती है. इस स्थिति में यहां कूलर और एसी की आवश्यकता महसूस होती है.
धनबाद
सरकारी अस्पताल में ठंडी हवा और पीने के पानी के लिए भटक रहे
मरीज-परिजन गर्मी से हैं परेशान
कोयलांचल धनबाद का पारा इन दिनों 44 के पार पहुंच गया है. इधर शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. बिजली कटौती की मार बीमारी से त्रस्त मरीजों को भी झेलनी पड़ रही है. राहत के लिए अस्पताल में कोई खास व्यवस्था नहीं है. कुछ गिने चुने पंखे चलते भी हैं तो बदले में लू जैसी गर्म हवा मिलती है. अस्पताल में बिजली का अभाव व ठंडे पानी की किल्लत से मरीजों की जिंदगी दोहरी मार झेल रही है. हालत यह है कि अब अस्पताल में मरीज ठंडी हवा और ठंडे पानी को तरस रहे हैं.
पंखा ठीक नहीं चलता : भगीरथ
पूर्वी टुंडी से पुत्र के इलाज के लिए एसएनएमएमसीएच आये भगीरथ महतो बताते हैं कि उनका पुत्र किडनी रोग से ग्रसित है. पिछले 5 दिनों से अस्पताल में भर्ती है, लेकिन उसे जिस वार्ड में रखा गया है वहां के अधिकतर पंखे खराब पड़े हैं. वार्ड में 20 मरीज भर्ती है, जिसके लिए 8 पंखे लगे हैं, जिनमें सिर्फ 3 ही चल रहे हैं. इस भीषण गर्मी में इलाज कराना भी मुश्किल हो रहा है.
हमें पंखा भी नसीब नहीं : शिव कुमार
बलियापुर के दूधिया पंचायत से अपने पिता का इलाज कराने एसएनएमएमसीएच आये शिव कुमार महतो का कहना है कि इस तपती गर्मी में डॉक्टर बाबुओं को ही विशेष सुविधा उपलब्ध है. उनके कमरे में 24 घंटे एसी चलती है, तो ठंडे पानी का भी इंतजाम है. लेकिन अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों की तो मानो कोई कीमत ही नहीं. अस्पताल में भर्ती अधिकतर मरीजों को पंखा तक नसीब नहीं और न ही ठंडा पानी.
पंखे दे रहे गर्म हवा : हरिओम दास
बलियापुर निवासी हरिओम दास का कहना है कि बाहर भगवान का कहर यानी काफी गर्मी है. वहीं अस्पताल के भीतर लगे पंखे राहत नहीं दे रहे हैं. पंखे से निकलने वाली लू जैसी गर्म हवा मरीजों को परेशान कर रही है. परिजन अस्पताल के बाहर लगे बेड पर रतजगा करने को मजबूर हैं, क्योंकि बरामदे में पंखे का कोई इंतजाम नहीं है. इस दिशा में अस्पताल प्रबंधन को पहल करने की जरुरत है.
ठंडे पानी की व्यवस्था नहीं : अजय पासवान
निरसा के केलिया सोल से अपनी पत्नी का इलाज कराने एसएनएमएमसीएच आए अजय पासवान कहते हैं कि अस्पताल में मरीजों व परिजनों के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था नहीं है. तपती गर्मी में सूखते कंठ ठंडे शीतल जल की तलाश में अस्पताल के चक्कर लगा रहे, लेकिन कोई अता पता नहीं. मजबूरी वश मरीजों को ठंडा पानी पीने के लिए पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. कई परिजन तो घर से पानी लेकर आते हैं.
जमशेदपुर : पानी तो है, पर गर्मी से परेशानी
जमशेदपुर के खासमहल स्थित सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को पानी की किल्लत नहीं है. वहां ठंडा एवं गर्म पानी उपलब्ध है. हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन की ओर से सीएसआर के तहत शौचालय बनवाया गया है. साथ ही पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. वहीं झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी युवा मंच की ओर से वाटर कूलर स्थापित किया गया है. जिससे मरीजों को ठंडा पानी उपलब्ध हो रहा है. वहीं अस्पताल प्रबंधन की ओर से वाटर कूलर (आरओ) लगाया गया है. जिससे अस्पताल में भर्ती मरीजों को ठंडा एवं गर्म पानी सुगमता से उपलब्ध है. लेकिन भीषण गर्मी में भर्ती मरीजों का हाल बेहाल है.
पेयजल की नहीं है दिक्कत : मो. आलम
परसूडीह थानान्तर्गत कीताडीह के रहने वाले मो. आलम ने बताया कि सदर अस्पताल में पेयजल की दिक्कत नहीं है. अस्पताल के तीन छोर पर पानी के प्वाइंट दिए गए हैं, जिससे सुगमता से मरीजों को पेयजल उपलब्ध हो जाता है. हालांकि उन्होंने बताया कि गर्मी के कारण पंखे की हवा गर्म है. इसके कारण मरीजों को थोड़ी परेशानी होती है.अगर कूलर लग जाए तो परेशानी कम होगी.
मरीजों की बढ़ी परेशानी : जितेंद्र ब्रह्म
सरजामदा के रहने वाले जितेंद्र ब्रह्म ने बताया कि सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों का गर्मी से हाल बेहाल है. पंखे की गर्म हवा के बीच रहना उनकी मजबूरी है. खासकर द्वितीय तल पर रहने वाले मरीजों की स्थिति ज्यादा गंभीर है. अस्पताल के किसी भी वार्ड में कूलर नहीं है. हालांकि सभी वार्ड में पंखे जरूर लगे हैं. उन्होंने प्रबंधन से मरीजों को हो रही दिक्कतों के कारण कूलर की व्यवस्था करने की मांग की.
साफ-सफाई बेहतर है यहां : संतन चौधरी
खासमहल के रहने वाले संतन चौधरी ने बताया कि सदर अस्पताल की साफ-सफाई व्यवस्था अन्य अस्पतालों की अपेक्षा बेहतर है. अस्पताल परिसर में सिविल सर्जन कार्यालय होने से अस्पतालकर्मी मरीजों के इलाज में हमेशा तत्पर रहते हैं. अस्पताल में सप्लाई वाटर नहीं है, लेकिन बोरिंग का पानी से सभी जगह सप्लाई की जाती है. कई संस्थाओं ने वाटर कूलर लगाया है, जिससे मरीजों को ठंडा पानी उपलब्ध हो रहा है.
गर्मी से बढ़ी है परेशानी : सुनीता
खासमहल सदर अस्पताल की नर्स (एएनएम) सुनीता कुमारी ने बताया कि अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. यहां आस-पास के क्षेत्रों के मरीज ज्यादा संख्या में आते हैं. पेयजल के लिए अस्पताल में आरओ प्लांट लगाया गया है. जगह-जगह पानी के प्वाइंट भी दिेए गए हैं, जिससे मरीज अपनी सुविधा के अनुसार पेयजल का इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अभी गर्मी बढ़ने से मरीजों की थोड़ी परेशानी बढ़ी है.
बरही : पानी के लिए भटकते हैं मरीज-परिजन
बरही अनुमंडलीय अस्पताल के किसी भी वार्ड में पेयजल की व्यवस्था ठीक नहीं है. लोग खुद से पीने के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे हैं. किसी भी वार्ड में कूलर नहीं है. भीषण गर्मी का कहर मरीज पंखे की गर्म हवा के झोकों में काट रहे हैं. बच्चों की जहां जांच की जाती है, वहां भी पंखे नहीं हैं. मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि हर वार्ड में एक सेंट्रलाइज्ड एसी अथवा कुछ कूलर की व्यवस्था होनी चाहिए.
गर्मी झेलना आसान नहीं : संजय कुमार
अपने दादा का हाथ टूटने पर इलाज करवाने आए कोरियाडीह के संजय कुमार ने बताया कि पंखे के बिना गर्मी में परेशानी हो रही है. पर्चा कटवाने के स्थान पर पंखा होना चाहिए. साथ ही यहां पानी की भी व्यवस्था होनी चाहिए. आखिर मरीज के अटेनडेंट कहां जाएंगे. मरीज के लिए कूलर की व्यवस्था भी सरकार को करने की जरूरत है. क्योंकि इस समय गर्मी काफी बढ़ गई है.
पेयजल की घोर कमी : रीता देवी
अपने बच्चे का इलाज करवाने आई पंचमाधव की रीता देवी ने बताया कि अस्पताल में पेयजल की घोर कमी है. भीषण गर्मी में मरीजों को बाहर से पानी खरीदकर लाना पड़ता है. कुछ वार्डों में पंखे की परेशानी है. बच्चे की जहां जांच कराई जाती है, वहां कूलर की व्यवस्था होनी चाहिए. अंदर वार्ड में बीच में कहीं एसी लगा दी जाती है, तो उसका फायदा भी मरीजों को मिलता.
सुविधा का ख्याल नहीं : समाजसेवी संजय
समाजसेवी संजय ने बताया कि यहां सिर्फ सर्दी-खांसी भर की व्यवस्था है, इससे ज्यादा होने पर रेफर का पुर्जा तैयार रहता है. मरीज की सुविधा से प्रबंधन को कोई मतलब नहीं है. हर वार्ड में पंखा और पानी की व्यवस्था होनी चाहिए. इस गर्मी में सरकारी अस्पताल में और क्या चाहिए. सरकार अगर एसी और कूलर की व्यवस्था कर दे, तो मरीजों के लिए संजीवनी साबित होगी.
हर संभव व्यवस्था की जा रही : डॉ प्रकाश
बरही अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी डॉ. प्रकाश ज्ञानी कहते हैं कि उपलब्ध कोष के आधार पर मरीजों और अटेंडेंट के लिए हर संभव व्यवस्था की जा रही है. वार्ड में मरीजों को और बेहतर सुविधा देने और कमियों के संबंध में वरीय अधिकारियों को भी जानकारी दी गई है.
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