पहले सामाजिक दायित्व निभाएं, फिर सीएसआर : सोनम वांगचुक – Lagatar – Lok Shakti
November 1, 2024

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पहले सामाजिक दायित्व निभाएं, फिर सीएसआर : सोनम वांगचुक – Lagatar

कहा- यदि प्रकृति ही नहीं बचेगी, तो शिक्षा से क्या होगा?

Subham Kishor

Ranchi : प्रतिष्ठित रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित मैकेनिकल इंजीनियर सोनम वांगचुक ने कहा है कि असली राष्ट्रदोही वो हैं, जो सरकार द्वारा दी गयी जनकल्याण की राशि को समाज के अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंचने देते हैं. व्यक्ति को पहले व्यक्तिगत सामाजिक दायित्व पूरा करना चाहिए, तत्पश्चात सीएसआर की बात करनी चाहिए. सीएसआर के कई मायने हैं, पर मेरे विचार से सीएसआर वह है, जो बेहतर कल को सुनिश्चित करता है. सीएसआर में पहले पर्यावरण को प्राथमिकता देनी चाहिए, तत्पश्चात शिक्षा की बारी आती है. क्योंकि यदि प्रकृति ही नहीं बचेगी, तो शिक्षा से क्या होगा. मंगलवार को सीसीएल के सीएसआर कार्यक्रम में शामिल हुए वांगचुक ने सीसीएल के अधिकारियों सहित अन्य लोगों को सीएसआर के टिप्स दिए.

इनाेवेशन के लिए जाने जाते हैं सोनम

सोनम वांगचुक वही शख्सियत हैं, जिनसे प्रेरणा लेकर थ्री ईडियट्स फिल्म बनी थी. वे अपने इनोवेशन के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कई इनोवेशन किए हैं, कई तरकीबें निकाली हैं. उन्होंने सरहद की सुरक्षा में तैनात सेना के जवानों को भीषण ठंड से राहत दिलाने के लिए एक खास किस्म का मिलिट्री टेंट तैयार किया, जो माइनस तापमान में भी अंदर से गर्म रहता है. सोनम ने इसे सोलर हीटेड मिलिट्री टेंट नाम दिया. उन्होंने आइस स्तूप तकनीक भी इजाद की है, जो कृत्रिम हिमनद बनाती है. इसका उपयोग शंकु के आकार के बर्फ के ढेर के रूप में सर्दियों के पानी को संग्रहित करने के लिए किया जाता है.

इनके स्कूल में किताबी शिक्षा से ज्यादा प्रैक्टिकल पर ध्यान

स्नातक स्तर की पढ़ाई करने के बाद वांगचुक (अपने भाई और पांच साथियों के साथ) ने स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) की शुरुआत की. 1994 में ऑपरेशन न्यू होप की शुरुआत की. इसके तहत, इन्होंने लद्दाख में एक स्कूल खोला, जहां बच्चों की किताबी शिक्षा से ज्यादा प्रैक्टिकल पर ध्यान दिया जाता है. उन्हें कई तरह के नए प्रोजेक्ट में काम करना सिखाया जाता है. वहां बच्चे खुद ही मैनेजमेंट संभालते हैं. स्कूल की बिल्डिंग सूरज की रोशनी से गर्म होने वाली दीवारों से बनी है. जिनका अंदर का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस रहता है, भले ही बाहर का तापमान -15 डिग्री हो जाए. यह स्कूल अपने अनोखे निर्माण के लिए, काफी ख्याति प्राप्त कर चुका है. यहां की ऊर्जा की जरूरतों की लगभग 100% ऊर्जा, सौर ऊर्जा से प्राप्त होती है. स्कूल के डिजाइन को जुलाई 2016 में फ्रांस में इंटरनेशनल टेरा अवार्ड ऑफ बेस्ट बिल्डिंग से नवाजा गया है.

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