Ranchi: प्रकृति पर्व सरहुल शुक्रवार को सम्पन्न हो गया. इस मौके पर राज्य के हर हिस्से में पर्व की सतरंगी छठा देखने को मिली. सुबह से ही घरों में सरहुल को लेकर उत्सवी माहौल था. सभी पारंपरिक परिधानों में सजे धजे थे. लाल पाड़ की सफेद साड़ियों में महिलाएं और धोती-गंजी में पुरुष प्रकृति की उपासना अनुष्ठान में रमे थे. नए कपड़ों में बच्चे भी सरहुल की खुशी मना रहे थे. इस अवसर पर जगह-जगह निकाली गई शोभा यात्रा की भव्यता और झांकियों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. समूह में मांदर की थाप पर नाचती झूमती युवक-युवतियों की टोलियों ने अलग ही समां बांध रखा था. शोभा यात्रा में प्रकृति से जुड़ी झांकियां विशेष आकर्षण का केन्द्र रही. झांकियां प्रकृति के प्रति आस्था और विश्वास का संदेश तो दे ही रही थी, जुलूस भाईचारा और बंधुत्व की मिसाल कायम कर रहा था. राजधानी रांची में सरहुल पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गये. इस मौके पर निकाली गई शोभायात्रा का जगह जगह पर विभिन्न समाजिक संगठनों ने स्वागत और अभिनंदन किया. यही दृश्य कमोवेश राज्य के विभिन्न जिलों में निकाली गई शोभायात्रा का था. शुभम संदेश की टीम इस उत्सव पर आयोजित कार्यक्रमों की गवाह बनी. पेश है रिपोर्ट.
पांरपरिक छंटा से सरोबर हुई राजधानी
प्रकृति पर्व सरहुल की भव्य शोभायात्रा राजधानी के मेन रोड में निकाली गयी. राजधानी शुक्रवार को आदिवासी पारंपरिक छंटा से सरोबर नजर आयी. शहर के हर रास्ते और हर क्षेत्र से विभिन्न सरना समितियों एवं सरहुल पूजा समितियों के द्वारा शोभायात्रा निकाली गयी जो अलबर्ट एक्का चौक पहुंची. मेन रोड,सुजाता चौक होते हुए सिरम टोली की ओर प्रस्थान करते रहे. मेन रोड में आदिवासी परिधान में सजीं महिलाएं और पुरूष ढ़ोल-मांदर की थाप पर और आधुनिक नागपुरी धूनों पर जमकर थिरके. मेन रोड में विभिन्न समितियों के द्वारा आकर्षक झांकियां भी निकाली गयीं. सरहुल शोभायात्रा के दौरान सरना धर्म कोड की मांग जोरों से उठीं. वहीं जय आदिवासी, जय सरना और जय झारखंड के भी नारे लगे. विभिन्न मंचों के द्वारा प्रकृति की रक्षा के संकल्प भी लिए गए. विभिन्न सरना समिति और सरहुल पूजा समिति के द्वारा आकर्षक झांकियां निकाली गयीं. बांधगाड़ी सरना समिति के द्वारा अधिक पैसे की भूख और इसके लिए किए जा रहे अनैतिक कार्य एवं बाद में होटवार की हवा खाने की आकर्षक झांकी निकाली गयी. वहीं हरमू सरना समिति के द्वारा प्रकृति की रक्षा का संदेश देते हुए झांकी निकाली गयी. हरमू परमचौड़ा सरना समिति के द्वारा प्रकृति के विनाश और उससे होने वाले प्रभाव की झांकी निकाली गयी.
चाला टोंका स्थल पर श्रद्धालुओं ने की पूजा -अर्चना
सरहुल पर्व पर निकाले जाने वाली शोभायात्रा से पूर्व शुक्रवार सबह को निर्धारित समय से उरांव समाज के सभी सातों अखाड़ा में हर्षोल्लास के साथ चाला टोंका स्थल पर परंपरागत तरीके से पूजा-अर्चना की गई. इस मौके पर समाज की महिलाएं, पुरुष, युवतियां और बच्चे सभी पूजा स्थल पर पहुंचे और चाला देवता की पूजा की. इस मौके पर परंपरागत चढ़ावे के रूप में चना, केला, साल के पत्ते, साल के फूल को चढ़ाकर धूपबत्ती दिखाकर विधिवत पूजा-अर्चना की गई और दूध भी चढ़ाया गया. मौके पर उपस्थित समाज के पुजारियों ने विधि-विधान के साथ पूजा कराई. इसी तरह की भीड़ उरांव समाज के अन्य पूजा स्थलों पर भी देखने को मिली. पूजा समाप्ति के उपरांत सभी श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद स्वरूप खीर का वितरण किया गया. उरांव समाज के द्वारा सरहुल के पावन मौके पर शुक्रवार शाम को शहर में स्थित सभी सातों अखाड़ा के द्वारा शोभायात्रा निकाली गई.
चंदवारा में वन रक्षा बंधन कार्यक्रम आयोजित
स रहुल के मौके पर चंदवारा प्रखंड के कुलगुद्दा व बोगादाग गांव में वन रक्षा बंधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उपायुक्त आदित्य रंजन, वन प्रमंडल पदाधिकारी सूरज कुमार सिंह, प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय यादव व स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल हुए। गांव के ग्रामीण महिलाओं के द्वारा पारंपरिक तरीके से पुष्प गुच्छ देकर व तिलक लगाकर अतिथियों का स्वागत किया गया. उपायुक्त आदित्य रंजन, वन प्रमंडल पदाधिकारी व अन्य अतिथियों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर पेड़ों की रक्षा के लिए पेड़ों में रक्षा सूत्र बांधा. साथ ही पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक पौधे लगाएं और अपने सुरक्षित पर्यावरण युक्त और ऑक्सीजन युक्त गांव बनाएं. पार्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ जरूर लगायें. उपायुक्त ने ग्रामीणों को वन/पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए संकल्प दिलाया, जिसे ग्रामीणों ने को दोहराया. उपायुक्त ने वन रक्षा बंधन कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों के साथ बैठक की. उपायुक्त ने कहा कि ग्रामीणों के संकल्प के बाद निश्चित तौर पर इन जंगलो को सुरक्षित और संरक्षित किया जाएगा.
पारंपरिक भजन के साथ रंगारंग कार्यक्रम
प्रकृति पर्व सरहुल धूमधाम से मनाया गया. चंदवा कुसुम टोली स्थित कृषि फार्म के प्रांगण में सरहुल समिति ने पर्व का भव्य आयोजन किया. सर्वप्रथम गांव के फत्तु पाहन के द्वारा झखरा स्थल पर पूजा अर्चना की गई. मौके पर सबिता उरांव और सहयोगियों के द्वारा अतिथियों को बैज और पगड़ी बांध कर स्वागत किया गया. इसके बाद धुमकुड़िया मंडली द्वारा पारंपरिक भजन के साथ रंगारंग कार्यक्रम की शुरुआत की गई. वहीं छोटे बच्चों के द्वारा मनमोहक सरना पूजा और चाला आयो की झांकी प्रस्तुत की गई. मौके पर क्षेत्र के विधायक वैद्यनाथ राम बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए. लोगों को संबोधित करते हुए विधायक वैद्यनाथ राम ने कहा कि प्रकृति सभी के लिए है. प्राकृति से आप उतना ही लें जितनी आवश्यक है. प्राकृतिक चीजों को आवश्यकता से ज्यादा दोहन करने पर संकट का सामना करना पड़ेगा. पेड़ की अंधाधुंध कटाई से बारिश बंद हो जायेगी, जिससे अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी.
सरहुल पर सरना स्थल में भारी भीड़ उमड़ी
म नोहरपुर में सरहुल (खद्दि) पूजा के उपलक्ष्य में शुक्रवार को शहर में शोभायात्रा निकाली गई. कुडुख सरना जागरण मंच इसकी तैयारी पूर्व से कर रहा था. शुक्रवार की सुबह से ही मनोहरपुर, तिरला स्थित सरना स्थल पर सरहुल महोत्सव को लेकर समाज के लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. शोभा यात्रा निकालने से पूर्व तिरला सरना स्थल पर कुड़ुख सरना समाज के पुजारी एवं लोगों ने पारंपरिक रीति रिवाज से पूजा अर्चना की. साथ ही क्षेत्र की समृद्धि व सुख शांति के लिए प्रार्थना की. इसके उपरांत पारंपरिक वेशभूषा में हजारों की संख्या में उपस्थित कुड़ुख सरना समाज की महिलायें, पुरुष एवं युवक-युवती बाजे गाजे के बीच भव्य शोभा यात्रा में शामिल हुए. जगह-जगह पर लोगों ने शोभायात्रा में शामिल लोगों का स्वागत पानी, शर्बत और चना बांटकर किया. शोभायात्रा मनोहरपुर-रांची-ऊंधन मुख्य मार्ग, शहीद निर्मल चौक, रेलवे क्रॉसिंग, इंदिरा नगर, गणेश मंदिर होते हुए लाइन पार फॉरेस्ट नाका होते हुए जतराटांड़ डोंगाकाटा स्थल पर पहुंच कर सम्पन्न हुई. इस अवसर पर कुड़ुख सरना जागरण मंच द्वारा बतौर मुख्य अतिथि बीडीओ हरि उरांव एवं विशिष्ठ अतिथि भाजपा के वरिष्ठ नेता जेबी तुबीद समेत अन्य अतिथियों का भव्य स्वागत किया गया.
पूजा की और मांदर की थाप पर थिरके रघुुवर
सीतारामडेरा में पाहन बुधु मिंज,बिरसानगर में पाहन महावीर कुजूर, शनकोसाई में पाहन बोधन लकड़ा, लक्ष्मीनगर में अनादी उरांव के द्वारा पूजा संपन्न हुई. जिसमें महिला पुरषों ने सरना स्थल पर धूप धुवन ,दूध एवं फल अर्पित कर अपने परिवार समाज एवं राज्य के खुशहाली की कामना की. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पहुंचे सरना स्थल की पूजा अर्चना की और मांदर की थाप पर नृत्य भी किया. इस दौरान बाबा कार्तिक उरांव की प्रतिमा पर रघुवर दास ने माल्यार्पण भी किया. इस अवसर पर सीतारामडेरा सरना स्थल से ढोल,नगाड़ा,मांदर के साथ भव्य शोभा यात्रा निकाली गई.• शोभायात्रा से पूर्व केन्द्रीय सरहुल पूजा समिति द्वारा उरांव, मुंडा,हो,संथाल,मुखी,भुइयाँ, तुरी समाज के पदाधिकारियों समेत समाजसेवी एवं बुद्धिजीवी वर्ग के लोगो को सरना गमछा देकर सम्मानित किया गया.
समृद्ध संस्कृति झलकी, बजे ढोल-नगाड़े
ईचागढ़ प्रखंड के देवलटांड पंचायत अंतर्गत बासाहातु में आदिवासी सरहुल पूजा समिति की ओर से शुक्रवार को सरहुल पूजा महोत्सव का रंगारंग आयोजन किया गया. महोत्सव के दौरान सुबह पूजा-अर्चना के बाद सभी श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. सरहुल पूजा को लेकर पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल देखा गया. इस दौरान खूब ढोल नगाड़े बजे. लोग अपनी समृद्ध परंपरा का निर्वाह करने के लिए पारंपरिक परिधान में सारना स्थल पहुंचे और ईष्टदेव की पूजा-अर्चना की. सभी ने प्रसाद में सखुआ का फूल ग्रहण किया. पुरुषों ने सखुआ के फूल को अपने कान में व महिलाओं ने बालों के जुड़े में लगाकर सरहुल का उत्सव मनाया. मौके पर सरहुल गीत व नृत्य का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर जागृति आदिवासी सांस्कृतिक युवा ग्रुप और आदिवासी बिरसा नवयुवक समिति के कलाकारों के बीच गीत व नृत्य का मुकाबला हुआ. सरहुल गीत व नृत्य का आकर्षक व मनमोहक प्रस्तुति ने लोगों से खूब तालियां बटोरी. इस अवसर पर मुर्गा पाड़ा का भी आयोजन किया गया था. मुर्गा पाड़ा में कई आकर्षक पुरस्कार भी रखा गया था. सरहुल महोत्सव के दौरान दो महिला दलों के बीच छऊ नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति ने समां बांधा.
प्रकृति की रक्षा का लिया संकल्प
प्रकृति पर्व सरहुल कोडरमा में भी धूमधाम से मनाया गया. कोडरमा के लखीबागी स्थित सरना स्थल पर बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग इकट्ठा हुए. पारंपरिक वेशभूषा में पारंपरिक नृत्य करते हुए लोगों ने सरहुल की खुशी का इजहार किया. मौके पर लोगों ने प्रकृति की रक्षा का संकल्प लिया. सरना स्थल पर महिलाए और पुरुष ढोल नगाड़े की धुन पर दिन भर थिरकते रहे. इसके बाद विभिन्न कमेटियों की ओर से आकर्षक झांकी भी निकाली गई और अलग-अलग सरहुल कमेटियों ने बारी बारी से पारंपरिक गीत नृत्य प्रस्तुत किए. इस दौरान मौजूद लोगों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ सखुआ के वृक्ष और मंजर की पूजा की. लोगों ने एक दूसरे के कान में सखुआ का मंजर लगाकर उन्हें सरहुल की बधाई दी. झूमते गाते लोग रांची पटना मुख्य मार्ग पर रैली की शक्ल में निकले और मरियमपुर पहुंचे. जहां दिनभर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा.
पारंपरिक रीति रीवाज से मना सरहुल
गिरिडीह के विभिन्न प्रखंडों में 24 मार्च को सरहुल पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस अवसर पर आदिवासी समुदाय ने सखुआ पेड़ की.इसके साथ ही आदिवासी समुदाय के नव वर्ष की शुरुआत हो गई. शहर के कई हिस्सों में सरहुल मिलन समारोह आयोजित किया गया. कई जगहों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. आदिवासी युवक व युवतियां मांदर की थाप पर नृत्य करते देखे गए.
पूजा में बड़ी संख्या में जुटे श्रद्धालु
चक्रधरपुर व आसपास के क्षेत्रों में प्रकृति का पर्व सरहुल शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस अवसर पर चक्रधरपुर के इंदिरा कॉलोनी स्थित पेलो टुंगरी सरना स्थल व टेबुल लाइन स्थित सरना स्थल पर पाहन ने विधिवत तरीके से पूजा अर्चना की. यहां बड़ी संख्या में सरना धर्म से जुड़े महिला-पुरुष इकट्ठा हुये. पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना के बाद मौजूद लोगों ने एक-दूसरे को सरहुल पर्व की शुभकामनाएं दीं.
नवनिर्मित सरना स्थल का उद्घाटन
शुक्रवार को सरहुल पर्व के उपलक्ष्य पर मनोहरपुर तिरला टोंका टोली में नव निर्मित सरना स्थल का बतौर मुख्य अतिथि जिला परिषद उपाध्यक्ष रंजित यादव ने विधिवत्त फीता काटकर उद्घाटन किया. इसके साथ ही वे सरना स्थल पर आयोजित दंडाकट्टा पूजा में शामिल हुए और पूजा-अर्चना की. पूजा के दौरान प्रार्थना सभा में कुड़ुख सरना समाज के लोग सामूहिक रूप से प्रार्थना में शामिल हुए.
सरना समिति ने की पूजा-अर्चना
आदिवासी सरना समिति किरीबुरु-मेघाहातुबुरु के तत्वावधान में बकल हाटिंग स्थित सरना स्थल (देशाउली) में पारिवारिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना कर सरहुल पर्व मनाया गया. समाज के दिऊरी लोदरो स्वांसी, सोमनाथ सोय, पांडू कोन्गाडी ने सरना स्थल पर स्थित साल पेड़ एवं उसके फूल की विधिवत पूजा की. इस दौरान मुर्गा की बलि एवं चावल से बना हड़िया भी चढ़ाया गया.
नर्सिंग कॉलेज में मना सरहुल
मदर टेरेसा कॉलेज ऑफ नर्सिंग बानो में विश्व यक्ष्मा दिवस एवं प्रकृति पर्व सरहुल मनाया गया. जिसमें मुख्य अतिथि चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एसके रवि ने छात्राओं को टीबी बीमारी, इलाज और बचाव के बारे विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि टीबी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है. दवा खाने से यह बीमारी ठीक हो जाती है. दो हफ्ते से अधिक खांसी होने पर मरीजों को सरकारी अस्पताल में जाकर बलगम की जांच करवानी चाहिए.
विधायक-डीसी ने मांदर पर दी थाप
सरना समिति, लातेहार के द्वारा आयोजित सरहुल पूजा शोभा यात्रा को लातेहार विधायक वैद्यनाथ राम, मनिका विधायक रामचंद्र सिंह, उपायुक्त भोर सिंह यादव, वन प्रमंडल पदाधिकारी रौशन कुमार ने मांदर बजा कर रवाना किया. विधायक वैद्यनाथ राम ने कहा कि प्रकृति न सिर्फ हमें जीवन देती है बल्कि हमारी रक्षा भी करती है. ऐसे में हमारा दायित्व बन जाता है कि हम भी प्रकृति की रक्षा करें.
झूमी प्रकृति, थिरकी झारखंडी संस्कृति
सरहुल में मांदर की थाप पर उस वक्त पूरी प्रकृति झूम उठी, जब शुक्रवार को हजारीबाग शहर में झारखंडी संस्कृति थिरकी. अपराह्न तीन बजे सरहुल मैदान से शोभा यात्रा निकली. आदिवासी समाज के युवक मांदर बजा रहे थे और उस पर युवतियां नागपुरी नृत्य कर रही थीं. इस शोभायात्रा का नेतृत्व नगर निगम की मेयर रोशनी तिर्की, आदिवासी सरना समिति के संरक्षक जगन कच्छप, बंधन एक्का, अध्यक्ष महेंद्र बेक, रतन केरकेट्टा, महेंद्र कुजूर, कोषाध्यक्ष तीनपाहन भगत, बिरसी तिर्की आदि कर रहे थे.
सरहुल पर प्रकृति की रक्षा का संकल्प
पलामू उपायुक्त आंजनेयुलू दोड्डे शुक्रवार को सरहुल पर्व के अवसर पर शहर के शाहपुर स्थित मिशन स्कूल में सरना समाज की ओर से आयोजित सरहुल पूजा महोत्सव के आयोजन में शामिल हुए.इस दौरान वे मांदर बजाकर लोगों उत्साहित करते नजर आये .साथ ही मांदर की थाप पर पारंपरिक लोकगीत गाकर लोगों को प्रकृति पर्व सरहुल की शुभकामनाएं दी.इस दौरान उपायुक्त दोड्डे ने अखाड़े में मौजूद लोगों से प्रकृति के इस पर्व को खुशी से मनाते हुए प्रकृति की रक्षा के लिए संकल्प लेने का आह्वान किया.
उत्साह के साथ मनाया गया सरहुल
साहिबगंज में सरहुल धूमधाम से मनाया गया. सरहुल में सखुआ के फूल की पूजा की गई. आदिवासी समुदाय के लोग अखाड़ा में एकत्र होकर सामूहिक रूप से सरहुल मनाया. युवक व युवतियां मांदर की थाप पर पारंपरिक नृत्य करते दिखे. सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया.जिसमें काफी संख्या में लोग शामिल हुए,इस दौरान शहर में उल्लास का वतावरण था.
शोभायात्रा में उमड़ी भीड़, बजे ढोल-नगाड़े
सिमडेगा के सरना स्थलों पर प्राकृतिक पर्व सरहुल पूरे विधि विधान के साथ पूजा कर मनाया गया. सरना स्थलों पर काफी संख्या में श्रद्धाल पूजा अर्चना करने के लिए जुटे. इस दौरान खूब ढोल नगाड़े बजे. पूजन के बाद शोभायात्रा निकाली गयी जिसमें काफी भीड़ उमड़ी. सरना स्थलों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे. थाना प्रभारियों ने सरना स्थलों का जायजा लिया और पुलिस बल की तैनाती की. वहीं जगह जगह पर पूजा समिति के लोगों के द्वारा पेयजल की व्यवस्था और गुड़ चना की भी व्यवस्था की गई थी.
कोयलांचल में सरहुल का उल्लास
धनबाद सहित कोयलांचल में शुक्रवार को आदिवासियों के प्रसिद्ध पर्व सरहुल का उल्लास चरम पर रहा. पारंपरिक परिधान में महिला-पुरुष मांदर, ढोल व नगाड़े की थाप पर नाचते-गाते सरना स्थल पहुंचे और पूजा के बाद जमकर जश्न मनाया. मुख्य समरोह सरना स्थल (जाहेरथान) भूदा में हुआ, जहां केंद्रीय सरना समिति की अगुवाई में जिले भर की समितियों व समाज के लोगों का जुटान हुआ. पाहन रामेश्वर उरांव ने विधि-विधान से पूजा कराई. इसके बाद शुरू हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर. महिला-पुरुष मांदर की थाप पर देर तक थिरकते रहे. पुलिस लाइन सरना स्थल पर भी पाहन रामेश्वर उरावं ने पूजा की.
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