गाजियाबाद: पर्यावरण और प्रदूषण से संबंधित नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से लगातार सरकारी तंत्र को कई तरह के निर्देश दिए जाते हैं। लेकिन इन निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है। कुछ ऐसा ही मामला कड़कड़ मॉडल का भी है, जहां स्थानीय निवासी सुशील राघव की तरफ से झील, तालाब जैसे तमाम वाटर बॉडीज के किनारे से अतिक्रमण हटाने के लिए एनजीटी में याचिका डाली गयी थी।
एनजीटी ने उनकी याचिका पर मार्च 2021 में यूपी के चीफ सेक्रेटरी और डीएम गाजियाबाद को आदेश जारी किया था कि वह पूरे मामले में कार्रवाई करते हुए तमाम झील और तालाबों के किनारे से अतिक्रमण हटाना सुनिश्चित करें। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एनजीटी के इस आदेश का दो साल बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। अब इसको लेकर उन्होंने दुबारा यूपी के चीफ सेक्रेटरी और डीएम गाजियाबाद को पत्र लिखकर एनजीटी के आदेशों का पालन करवाने के लिए पत्र लिखा है।
सुशील राघव ने बताया कि यदि एनजीटी के दिए गए आदेशों का पालन नहीं किया गया तो वह सभी जिम्मेदारों पर अवमानना का केस दाखिल करेंगे। अतिक्रमण की पुरानी रिपोर्ट का दिया हवाला सुशील राघव ने बताया कि उन्होंने अपने पत्र में डीएम गाजियाबाद की तरफ से 2020 में अतिक्रमण को लेकर जमा किए गए एक पत्र का हवाला दिया है। जिसमें खुद डीएम गाजियाबाद ने बताया कि जो भी झील या तालाब है उनके किनारे 72.90 प्रतिशत तक का इलाका अतिक्रमित है। जिसके कारण यह झील और तालाब तो प्रदूषित हो ही रहे हैं भूजल स्तर भी प्रदूषित हो रहा है।
पूरे गाजियाबाद में कुल 261 तालाब, झील, कुआं इत्यादी हैं, जहां से केवल 46 पानी के श्रोत अतिक्रमण से मुक्त हैं। अर्थला में एनजीटी के आदेश पर डीएम गाजियाबाद रितु माहेश्वरी ने साल 2021 में कार्रवाई जरूर की थी, लेकिन यह कार्रवाई उस स्तर से नहीं की गयी थी, जिस स्तर से एनजीटी ने आदेश जारी किया था। सुशील राघव ने बताया कि अर्थला झील, मकनपुर तालाब, इत्यादी कई जगहें हैं, जहां बहुत बड़ी संख्या में अतिक्रमण हैं और यहां कार्रवाई होना आवश्यक है।
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