खोया। (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला
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हम डरा नहीं रहे, मगर होली के त्योहार पर आप जो खा रहे हैं या खाने जा रहे, वह गुणवत्तायुक्त है, मिलावटी या फिर नकली। इसका पता होली बीत जाने के बाद ही चलेगा। विशेष अभियान के नाम पर खाद्य सुरक्षा विभाग जिन खाद्य पदार्थों का नमूना ले रहा है, उसकी गुणवत्ता का पता कम से कम 14 दिन बाद ही चल पाएगा। तब तक बाजार में मौजूद मिलावटी खाद्य पदार्थ खप जाएगा। आप को बीमार होना होगा, तो आप बीमार भी पड़ चुके रहेंगे। यानी मिलावट रोकने की यह मौजूदा व्यवस्था कितनी कारगर है, यह बताने की जरूरत नहीं।
इस बार एक मार्च से शुरू हुए अभियान के तीन दिनों में मिठाई, गुझिया समेत 30 से अधिक नमूने लिए जा चुके हैं। मगर सभी की रिपोर्ट 14 दिन बाद ही आ सकेगी। अभियान अभी छह मार्च तक चलेगा। मगर इसके नतीजे, इस होली में मिलावटखोरी पर प्रभावी कार्रवाई के किसी काम के नहीं होंगे।
जानकारों का कहना है कि व्यवस्था तो यह होनी चाहिए कि होली में कम से कम वे खाद्य सामग्री जिनकी बिक्री सबसे ज्यादा होती है, उसमें मिलावट हो ही न सके। मसलन खोया, दूध, गुझिया, मिठाई, चिप्स, नमकीन, मसाला और तेल आदि।
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