पर्यावरण के प्रति सबको जिम्मेदार होना होगा : न्यायमूर्ति अंबुज नाथ
Ranchi : झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अंबुजनाथ ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति हम सबों को जिम्मेदार होना होगा. न्यायमूर्ति शनिवार को यहां मोरहाबादी मैदान में चल रहे पर्यावरण मेले में आयोजित परिचर्चा में विचार व्यक्त कर रहे थे. परिचर्चा का विषय था ‘पर्यावरण एवं नीति- न्यायिक हस्तक्षेप’. उन्होंने कहा कि पर्यावरण में अंसतुलन के कारण रांची में पिछले अक्टूबर से अब तक एक बार भी बारिश नहीं देखी है. रांची की बहुत बड़ी आबादी को पेयजल उपलब्ध नहीं हो रहा है, भूगर्भ का स्तर काफी नीचे चला गया है. जंगलों के कटने से जंगली जानवरों के आश्रय स्थल में कमी आयी है, जिससे वे आबादी क्षेत्र में घूम रहे हैं और जान-माल की हानि कर रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी से सभी सरकारी संस्थान के साथ-साथ आम आदमी भी अपना मुंह मोड़ रहे हैं, जिसका खामियाजा आने वाली पीढ़ियों को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ेगा.
पर्यावरण कानून में संशोधन होना चाहिए
पर्यावरण संबंधी मामलों के विधि विशेषज्ञ और सर्वोच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता संजय उपाध्याय ने कहा कि भौगोलिक विविधता के अनुरूप पर्यावरण कानून में संशोधन होना चाहिए. दिल्ली से इस परिचर्चा में भाग लेने के लिए विशेष रूप से आये लाईफ ट्रस्ट के संरक्षक रित्विक दत्ता ने बताया कि दिल्ली में 50 से अधिक प्रदूषण मानक मॉनिटर लगाये गये है. बिहार में 35 मॉनिटर लगे हुए है, जबकि झारखंड में केवल एक ही मॉनिटर धनबाद में लगा हुआ है. एक मॉनिटर का रेंज 2 वर्ग कि.मी. होता है. इससे आप समझ सकते है कि झारखण्ड में प्रदूषण के प्रति प्रदूषण नियंत्रक निकाय कितने गंभीर है.
150 स्टालों पर बिक रहे हैंडमेड हर्बल उत्पाद
मेले में 150 स्टॉल से अधिक लगाये गये है. जिनमें पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के स्टॉलों में हैण्डमेड हर्बल उत्पाद बिक्री के लिए लगाये गये है. अधिकांश स्टॉलों में महिलाओं एवं बच्चों की जरूरतों की सामग्री बिक्री के लिए रखे गये हैं, जिनमें सुन्दर हस्त कलाकारी युक्त हैण्ड मेड स्कूली बैग, वाटर बोटल, मटका बैग, पर्स, दिवान सेट, सोफा कवर, विभिन्न तरह के खादी एवं सिल्क के सूट, नक्काशीदार लकड़ी के सामग्रियां है तो वहीं घरेलू साफ-सफाई एवं दैनिक जरूरतों की सामग्रियां उचित मूल्य पर मिल रहा है. हस्तनिर्मित आर्टिफिशियल ज्वैलरी की प्रदर्शनी एवं बिक्री हो रही है. छोटे बच्चों के लिए मिकी माउस, जंपिंग झूला और सुन्दर-सुन्दर खिलौनों के भी स्टॉल लगे है.
सेल के स्टॉल पर दी जा रही जानकारियां
मेले में भारत के सबसे बड़े लोक उपक्रम संस्थानों में से एक सेल ने भी अपना एक स्टॉल लगाया है. इस स्टॉल पर पर्यावरण सरंक्षण एवं उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों से बनने वाले उत्पादों तथा सामग्रियों से संबंधित नवीनतम जानकारियां लोगों को दी जा रही है. साथ ही प्रतिदिन शाम में मेला परिसर में ‘झारखण्ड फिल्म एंड थियेटर एकेडेमी’ के कलाकारों द्वारा सामाजिक सरोकार से संबंधित विषयों पर नाट्य मंचन किया जा रहा है. परिचर्चा के उपरांत पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए तपेश्वर केशरी, गौतम डे, मनोज महतो तथा सुरेश साहू को सम्मानित किया गया. इसके उपरांत संध्या 7 बजे से पुरूलिया छऊ नृत्य, रवीन्द्र संगीत एवं भोजपुरी गीत का सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका मेले में आये हुए लोगों ने भरपूर आनंद लिया.
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