Ranchi : वैश्विक महामारी कोविड-19 काल में जीवनरक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में भी हजारीबाग के चर्चित एचबीजेड आरोग्यम सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में खूब घालमेल किया गया. इस बात का खुलासा औषधि निरीक्षक (ड्रग इंस्पेक्टर) कोडरमा की जांच में हुआ. उन्होंने जब सरकार को इस बारे में रिपोर्ट भेजी, तो सरकार स्तर से हजारीबाग के तत्कालीन डीसी आदित्य आनंद को आरोग्यम अस्पताल पर कार्रवाई का आदेश दिया गया. लेकिन डीसी ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया और सरकार के आदेश को बार-बार नजरअंदाज करते हुए किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की.
जानिए क्या है पूरा मामला
वर्ष 2021 में कोविड काल में मरीजों के लिए जीवनरक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर दवा आयी थी. हजारीबाग समेत पूरे राज्य में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर जांच हुई थी. हजारीबाग के आरोग्यम में ड्रग इंस्पेक्टर कोडरमा ने जांच की, जिसमें आवंटन से अधिक रेडमेसिविर इंजेक्शन के वॉयल पाए गए थे. इसी मामले में डीसी को कार्रवाई का आदेश दिया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. अभियान निदेशक एनआरएचम ने सबसे पहले 08 जून 2021 को आरोग्यम अस्पताल पर कार्रवाई के लिए डीसी को पत्र लिखा. फिर 19 जुलाई 2021 को भी कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया.
क्या-क्या मिली अनियमितताएं
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा परिवार कल्याण विभाग के पत्रांक : 241(एचएसएन) दिनांक : 09.05.2021 और निदेशक औषधि के पत्रांक : 795(डी) दिनांक : 17.05.2021 के अनुसार रेडमेसिविर इंजेक्शन को लेकर आरोग्यम में कई अनियमितताएं पायी गई. पत्र में बताया गया है कि क्रय अभिलेख के अनुसार आरोग्यम में निरीक्षण तिथि तक कुल 607 वॉयल रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद की गई. जबकि आरोग्यम की ओर से विक्रय अभिलेख में कुल 605 वॉयल का इस्तेमाल पाया गया. 13 वॉयल बिना इस्तेमाल के सीलबंद पाए गए. इससे कुल संख्या 618 हो जाती है. ऐसे में जरूरत से ज्यादा रेडमेसिविर इंजेक्शन के वॉयल पाए गए.
गणना के समय नहीं प्रस्तुत किए गए एक भी खाली वॉयल
निरीक्षण के दौरान अस्पताल की ओर से उपयोग में लाए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन के एक भी खाली वॉयल को गणना के समय प्रस्तुत नहीं किया गया. इसे विभागीय अपर मुख्य सचिव के पत्र के आदेश का उल्लंघन बताया गया.
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बेड टिकट पर रेडमेसिविर का कहीं उल्लेख नहीं
निरीक्षण के दौरान आरोग्यम अस्पताल की ओर से प्रस्तुत मरीजों की पर्ची पर रेमडेसिविर का उल्लेख तो पाया गया, लेकिन उसका उल्लेख बेड टिकट पर नहीं था. इसके अतिरिक्त अन्य उल्लंघनों और अनियमितताओं के खिलाफ क्लिनिकल स्टेब्लिसमेंट एक्ट 2010 और झारखंड स्टेट क्लिनिकल स्टेब्लिसमेंट एक्ट 2013 और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 की सुसंगत धाराओं और नियमों के अनुसार कार्रवाई करने का आदेश डीसी को दिया गया. सवाल इसी मुद्दे पर है कि आखिर किन कारणों से तीन-तीन बार सरकार की ओर से आदेश दिए जाने के बाद भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई.
ईडी तक मामला नहीं पहुंचे, इसलिए दबा दी गई कार्रवाई
ईडी तक मामला नहीं पहुंचे, इसलिए आरोग्यम अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई दबा दी गई. जानकारों का कहना है कि रेडमेसिविर मामले में राज्यभर में कार्रवाई की गई और मामला ईडी तक जा पहुंचा. इस मामले में सरकार का स्पष्ट आदेश था कि रेडमेसिविर इंजेक्शन के मामले में अनियमितता मिलती है, तो तत्काल स्वास्थ्य संस्थान अथवा संबंधित व्यक्ति पर प्राथमिकी दर्ज करें. लोगों का मानना है कि तत्कालीन डीसी आदित्य आनंद ने इसीलिए सरकार के आदेश को दबाकर आरोग्यम अस्पताल पर रेमडेसिविर मामले में कार्रवाई नहीं की कि कहीं इस मामले में प्राथमिकी न दर्ज करना पड़े. और फिर प्राथमिकी के बाद पूरे मामले को जांच के लिए ईडी अपने हाथ में न ले ले.
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