अशोकनगर की 143 एकड़ जमीन का पंजी-2 में कोई रिकॉर्ड नहीं
पहले भी खारिज किया जा चुका है आवेदन
जिस सीओ ने रिजेक्ट किया था म्यूटेशन का आवेदन, उसी के पास दोबारा लगाई अर्जी
इस बार 220 दिन बाद भी सीओ ने पेंडिंग रखा है आवेदन
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राइट टु सर्विस एक्ट के तहत सीओ पर नहीं की जा रही कार्रवाई
Praveen Kumar
Ranchi : अशोक नगर की 143 एकड़ जमीन को लेकर बड़ा खेल खेला गया है. बिना म्यूटेशन के ही इस जमीन पर अरबों रुपये की हाउसिंग सोसायटी डेवलप कर दी गई. अरगोड़ा अंचल इस जमीन के म्यूटेशन का आवेदन खारिज कर चुका है. 17 जून 2022 को एक बार फिर से इसके म्यूटेशन के लिए आवेदन किया गया. यह आवेदन 220 दिनों से भी अधिक समय से लंबित है. नियमानुसार, 90 दिनों के भीतर या तो जमीन का म्यूटेशन कर दिया जाना चाहिए था या फिर आवेदन खारिज कर दिया जाना चाहिए था लेकिन अरगोड़ा के अंचलाधिकारी ने ऐसा नहीं किया. दिलचस्प बात यह है कि इस जमीन का पंजी-2 में कोई रिकॉर्ड नहीं है. खुद को भूमि का स्वामी बताने वाली सर्विस हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड, अशोक नगर, रांची के पास उक्त जमीन से संबंधित जो दस्तावेज हैं, वह भू-अर्जन के दस्तावेजों से मेल नहीं खाते हैं. इसकी पुष्टि पूर्व में ही अरगोड़ा के सीओ अरविंद ओझा कर चुके हैं. इसका जिक्र उन्होंने पिछली बार जमीन के म्यूटेशन का आवेदन खारिज करने के कारणों में किया था.
बिना म्यूटेशन कैसे बन गई हाउसिंग सोसायटी
अशोक नगर की 143 एकड़ जमीन पर वर्तमान में कई आलीशान इमारतें खड़ी कर दी गई हैं. इनमें कई रसूखदार लोगों के आवास भी हैं. लगभग पांच सौ से भी अधिक आलीशान भवन तैयार कर दिए गए हैं. अब सवाल यह उठता है कि जब जमीन का म्यूटेशन ही नहीं हुआ तो फिर ये इमारतें कैसे खड़ी कर दी गईं. इसका नक्शा पास हुआ या नहीं? अगर नक्शा पास नहीं हुआ तो इतना बड़ा हाउसिंग प्रोजेक्ट तत्कालीन अधिकारियों को नजर क्यों नहीं आया? इसे रोका क्यों नहीं गया? इसके लिए कौन-कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं? उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? इसमें बड़े-बड़े अधिकारियों के आशियाने कैसे तैयार कर दिए गए?
सीओ ने इसलिए खारिज कर दिया था म्यूटेशन
सर्विस हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड अशोकनगर का कुल रकबा 143.36 एकड़ है. बताया जाता है कि यह जमीन बिहार स्टेट हाउसिंग बोर्ड, पटना से खरीदी गई है लेकिन जमीन की जो डीड पेश की गई थी उसमें खाता और प्लॉट संख्या दर्ज नहीं थी. पूर्व में अरगोड़ा अंचल में इसके म्यूटेशन के लिए आवेदन किया गया था. जिसका दाखिल खारिज वाद संख्या 1935 आर 27 2021-22 है. इसे अरगोड़ा सीओ अरविंद कुमार ओझा ने राजस्व उपनिरीक्षक एवं अंचल निरीक्षक के प्रतिवेदन के आधार पर रिजेक्ट कर दिया था. रिजेक्ट करने का कारण बताते हुए कहा गया था कि समर्पित प्रतिवेदन में 143 एकड़ भूमि के नामांतरण आवेदन में खाता एवं खेसरा ऑनलाइन अंकित नहीं किया गया है. आवेदक से संबंधित भूमि के सही कागजात की कई बार मांग की गई, लेकिन अवधि समाप्त होने तक पीडीएफ के माध्यम से दस्तावेज नहीं दिए गए. आवेदक द्वारा ऑनलाइन नामांतरण आवेदन में खाता संख्या और प्लॉट संख्या की जगह ”शून्य” अंकित किया गया है. जो त्रुटिपूर्ण है. कागजातों की जांच में पाया गया कि 143.36 एकड़ जमीन से संबंधित प्लॉट की विवरणी मूल पंजी-2 या ऑनलाइन पंजी-2 में दर्ज ही नहीं है. राजस्व निरीक्षक एवं अंचल निरीक्षक के प्रतिवेदन तथा अनुशंसा के आधार पर नामांतरण वाद को अरगोड़ा सीओ अरविंद कुमार ओझा ने दो अप्रैल 2022 को अस्वीकृत कर दिया था. इसके दो माह बाद 17 अप्रैल को फिर से आवेदन कर दिया गया.
क्या कहते हैं अरगोड़ा सीओ
अरगोड़ा सीओ अरविंद कुमार ओझा ने कहा कि प्लॉट अधिक होने के कारण वेरिफिकेशन में समय लग रहा है. जिसके कारण मामला पेंडिंग पड़ा हुआ है.
क्या कहते हैं अपर समाहर्ता
अपर समाहर्ता, रांची राजेश बरवार ने कहा कि मामले की जानकारी मिली है. अंचल अधिकारी अरगोड़ा से रिपोर्ट तलब की गई है. रिपोर्ट देखने के बाद ही इस पर कुछ कहेंगे.
क्या कहते हैं राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव
राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव संदीप कुमार ने कहा कि म्यूटेशन आवेदन को 90 दिनों से अधिक पेंडिंग नहीं रखा जा सकता है. ऐसे मामले में डीसीएलआर और एडिशनल कलेक्टर को अंचल अधिकारी पर राइट टु सर्विस एक्ट के तहत कार्रवाई करनी चाहिए. विभाग की ओर से इस मामले में नियम सम्मत कार्रवाई की जाएगी.
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