एआईएसएचई के माध्यम से प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों के डाटा प्रविष्टि के कार्य में म.प्र. ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। मध्यप्रदेश 22वें स्थान से 17वें स्थान पर आ गया है। यह बड़ी बात है। एआईएसएचई शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में उप महानिदेशक श्री आर. राजेश ने मंगलवार को यह बात कही। वे उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रशासन अकादमी में एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ कर रहे थे। गौरतलब है कि म.प्र. में वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट में लगभग साढ़े चार लाख नए विद्यार्थियों का डाटा, पोर्टल में दर्ज हुआ है।
श्री राजेश ने कहा कि एआईएसएचई द्वारा इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है कि पोर्टल पर दर्ज किया जाने वाले आँकड़े पूरी तरह सटीक हों, क्योंकि इस डाटा बेस का इस्तेमाल भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा नीति निर्माण, बजट आवंटन एवं अनुसंधान में किया जाता है। इस डाटा बेस का इस्तेमाल कई बार यूनेस्को, डब्ल्यूएचओ जैसे विश्वस्तरीय संगठन भी करते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे निजी विश्वविश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. भरत शरण ने कहा कि वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट से पता चलता है कि म.प्र. में अनुसूचित जनजाति वर्ग की छात्राओं के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे प्रतीत हो रहा है कि म.प्र. सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही है।
एआईएसएचई के स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. सुनील कुमार सिंह ने बताया कि विभाग एआईएसएचई के माध्यम से सकल नामांकन अनुपात की सही और सटीक तस्वीर सबके सामने लाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जा रहे हैं।
कार्यशाला में म.प्र. एआईएसएचई की समन्वयक सदस्य डॉ. मनीषा शर्मा ने म.प्र. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एआईएसएचई वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट में म.प्र. की स्थिति पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में निजी विश्वविद्यालय आयोग के सचिव प्रो. के.पी. साहू भी उपस्थित रहे।
दिल्ली से आए विशेषज्ञों ने दिया प्रशिक्षण
विभाग द्वारा कार्यशाला में सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालय के कुल 80 नोडल अधिकारी शामिल हुए। इन अधिकारियों को एआईएसएचई दिल्ली से आए श्री विकास मेहता एवं श्री संजीव ने प्रशिक्षण किया। प्रतिभागियों को पोर्टल में डाटा प्रविष्टि की प्रक्रिया एवं इस दौरान आने वाली तकनीकी परेशानियों के समाधान भी बताए गए।
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