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इससे पहले संघ की दो बैठकों में संघ ने भ्रष्टाचार और अफसारशाही के मामले में चेताया है। संघ के अनुसार बढ़ते भ्रष्टाचार और अफसारशाही के कारण प्रदेश सरकार की छवि प्रभावित हो रही है और कार्यकर्ताओं में निराशा है। इन दोनों प्रमुख समस्याओं को हल करने के लिए संघ ने भाजपा के (सत्ता और संगठन के) शीर्ष पुरुषों को टिप्स भी दिए हैं। मध्यप्रदेश में भाजपा की सत्ता और संगठन के कामकाज को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विशेष रूप से चिंतित है। क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते ने भी अफसरशाही के रवैये को लेकर नाराजगी जाहिर की है। संघ के आला पदाधिकारी प्रदेश सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। संघ ने मुख्यमंत्री तक यह संदेश पहुंचा दिया है कि कम सऐ कम आधा दर्जन मंत्री बिल्कुल नकारा साबित हो रहे हैं। यदि हइन मंत्रियों ने अपने कामकाज में सुधार नहीं किया तो सरकार को परेशानी हो सकती है। संघ की नाराजगी के बाद माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमण्डल से कुछ अक्षम मंत्रियों को हटा सकते हैं। इनमें कम से कम दो मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। संघ ने प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में भी कुछ सवाल उठाए और उत्तर प्रदेश सरकार के मॉडल पर काम करने के लिए कहा था। संघ की सलाह के बाद ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना अंदाज आक्रामक किया और तेवर बदले। इसी कारण से उन्होंने माफियाओं के खिलाफ प्रदेश में एक तरह से अभियान चला दिया है मुख्यमंत्री पिछले एक वर्ष के दौरान कानून और व्यवस्था के मामले में अलग ही तेवर में नजर आ रहे हैं। उन्होंने प्रशासनिक अफसरों को भी बदलने का सिलसिला इसी संदर्भ में शुरु किया है।
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