प्रतीकात्मक तस्वीर
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अपना हक पाने के लिए प्रयागराज के एक स्टोर संचालकों ने 30 साल तक लंबी लड़ाई लड़ी। आखिरकार उन्हें अपने स्टोर में फरवरी 1992 में हुई चोरी के बीमा क्लेम के एवज में 2.94 लाख रुपये चोरी की तारीख से भुगतान तिथि तक नौ प्रतिशत ब्याज के साथ से मिलेगी। साथ ही बीमा कंपनी को 50 हजार का हर्जाना भी एक माह में चुकाना होगा। यह आदेश राज्य उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष पीठ ने दिया। इससे पीड़ित को 11 लाख से ज्यादा मुआवजा मिलेगा।
न्यायमूर्ति अशोक कुमार व सदस्य विकास सक्सेना की पीठ ने इस मामले में जिला उपभोक्ता आयोग के पूर्व में दिए गए निर्णय को निरस्त कर दिया है। पीठ ने कहा कि कोई भी बीमाधारक, बीमा कंपनी को गलत सूचना नहीं देता है। सर्वेयर की रिपोर्ट को अंतिम नहीं माना जा सकता।
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यह वाद प्रयागराज के बीएन रामा एंड कंपनी के नाम से संचालित स्टोर्स संचालक नरेश राय व दि ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी के बीच था। स्टोर में 12-13 फरवरी, 1992 की रात चोरी हो गई। पूरे स्टोर का बीमा था। इसकी रिपोर्ट पुलिस में कराने के बाद 14 फरवरी, 1992 को इसकी जानकारी बीमा कंपनी को दी।
बीमा कंपनी ने सर्वेयर भेजकर चोरी हुए सामान का पूरा विवरण जुटाया। फिर मार्च 1993 में एक पत्र भेजकर बताया कि पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किए जाने के कारण फर्म का बीमा क्लेम आवेदन निरस्त किया जाता है। यह मामला 14 साल जिला उपभोक्ता आयोग और 16 साल राज्य उपभोक्ता आयोग में चला जिसके बाद स्टोर संचालकों के पक्ष में फैसला आया।
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