नोएडा: इलाहाबाद हाई कोर्ट में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ऋतु महेश्वरी को करारा झटका लगा है। एक अवमानना याचिका की सुनवाई के क्रम में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी सैलरी से 10 हजार रुपए काटने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने 31 जनवरी को इस संबंध में आदेश जारी किया। ऋतु महेश्वरी ने अपने वकील के माध्यम से 6 फरवरी को कोर्ट में याचिका दायर कर उस वेतन से राशि काटने वाले आदेश पर रोक लगाने की अपील की थी। कोर्ट ने उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया।
ऋतु महेश्वरी की ओर से दायर की गई याचिका में हाई कोर्ट से 31 जनवरी को दिए गए आदेश को वापस लिए जाने की अपील की गई थी। याचिका में कहा गया कि वह हाई कोर्ट के लिए सबसे अधिक सम्मान रखती हैं। कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का कोई इरादा नहीं है। एक हलफनामा के ऋतु महेश्वरी ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने 1 अक्टूबर 2022 को ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ का पदभार संभाला। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें अवमानना याचिका के संबंध में कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले यानी 30 जनवरी को योजना विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी।कोर्ट से मांगा 10 दिन का समय
जीएनआईडीए की सीईओ ने कोर्ट को बताया कि समय की कमी के कारण बिल्डिंग के प्लान पर निर्णय नहीं लिया जा सका। उन्होंने निर्णय के लिए कोर्ट से 10 दिनों का समय मांगा। सीईओ ने कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने कोर्ट के निर्देशों के पालन में देरी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। हालांकि, जस्टिस पीयूष अग्रवाल ने कहा कि वह सीईओ के हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने पूछा कि एक जूनियर अधिकारी को उनकी ओर से कोर्ट का नोटिस कैसे मिला? बाद में हाई कोर्ट ने रिकॉल एप्लिकेशन को खारिज कर दिया।इस कारण हुआ आवेदन खारिज
कोर्ट ने कहा कि शपथ पत्र को देखने यह पता चलता है कि सीईओ की ओर से जो भी दावा किया गया है, उसमें तथ्य का अभाव है। कार्यवाहक महाप्रबंधक योजना सुधीर कुमार को ऋतु महेश्वरी की ओर से नोटिस हासिल करने को लेकर अधिकृत किए जाने के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा गया। इसके समर्थन में कोई भी सामग्री रिकॉर्ड में नहीं लाई गई। इसको देखते हुए कोर्ट ने आवेदन खारिज कर दिया। दरअसल, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्पोर्ट्सहोम परियोजना को विकसित करने के लिए देवसाई कंस्ट्रक्शन की ओर जीएनआईडीए में आवेदन किया गया था।
आवेदन खारिज होने के बाद देवसाई कंस्ट्रक्शन ने हाई कोर्ट का रुख किया। सितंबर 2022 में बिल्डिंग प्लान पर दिसंबर 2022 तक आदेश जारी किए जाने का आदेश जारी हुआ। कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर बिल्डर ने अवमानना याचिका दायर की।
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