Ranchi : भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन(एनएसयूआई) के प्रदेश उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा पर बड़ा आरोप लगाया है. मुख्यमंत्री के नाम लिखे गए पत्र में इंद्रजीत ने उल्लेख किया है कि अजीत सिन्हा ने राज्यपाल सचिवालय को भ्रामक जानकारी देकर पद हासिल किया है. कहा है कि रांची विश्वविद्यालय के कुलपति सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिट पिटीशन (सिविल) नंबर. 1525 ऑफ 2019 एंड सिविल अपील नंबर 8184 ऑफ 2022 के माध्यम से कुलपति के पद पर नियुक्ति के लिए पारित आदेश के विरुद्ध डॉ. अजित कुमार सिन्हा ने राज्यपाल सचिवालय को भ्रामक जानकारी दी है. उन्होंने कुलपति को पद से मुक्त करके जांच करने की मांग की है.
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इंद्रजीत सिंह ने लगाए कई आरोप
एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा कि 27 मार्च 2014 को इंटरनेशनल सेरीकल्चर कमिशन, भारत सरकार को अजित कुमार सिन्हा की ओर से खुद से अटेस्ट किया गये बायोडाटा में साइंटिस्ट डी के रूप में पदस्थापित होने की पुष्टि की गई है. डॉ अजीत सिन्हा को साइंटिस्ट डी के रूप में सरकार की ओर से निर्धारित अधिकतम वेतनमान 15600-39100, पे बैंड ग्रेड पे- 8700 है. सेवानिवृत्ति के समय उनका स्वप्रमाणित अधिकतम वेतनमान लेवल 13 तक ही रहा. प्रोफेसर के लिए निर्धारित वेतनमान लेवल 14 का कार्यानुभव उन्हें नहीं है. जबकि कुलपति पद के लिए जारी विज्ञापन में 10 वर्षों का प्रोफेसर या समतुल्य पद कार्यानुभव चाहिए, जो इनके अभिलेखों से पुष्ट नहीं होता. आगे उन्होंने कहा कि डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने रांची विश्वविद्यालय के 1981 में जूलॉजी में 50.5 प्रतिशत प्राप्तांक के साथ एमएससी किया. यह उस समय में व्याख्याता नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता 52.5 प्रतिशत से भी कम है.
मुझ पर जो आरोप लगाए गए हैं वो निराधार: कुलपति
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि मुझ पर जो आरोप लगाए गए हैं, वो निराधार हैं. मेरी नियुक्ति नियम से हुई है और मेरे सभी डॉक्यूमेंट भी जांचे हुए हैं. सभी प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही मुझे नियुक्त किया गया.
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