आसमान की यात्राओं के अराजक होने की त्रासदी

ललित गर्ग

आज देश ही नहीं, दुनिया में व्यक्ति हिंसक एवं अराजक होता जा रहा है। हिंसा का बढ़ता प्रभाव मानवीय चेतना से खिलवाड़ करता है और व्यक्ति स्वयं को निरीह अनुभव करता है। इन स्थितियों में संवेदनहीनता बढ़ जाती है और जिन्दगी सिसकती हुई प्रतीत होती है। ऐसी स्थितियों का बढ़ना गहन चिन्ता का विषय है। यह चिन्ता तब ज्यादा बढ़ जाती है एवं परेशान करती है जब अति संवेदनशील हवाई यात्रा के दौरान ऐसी घटनाएं देखने को मिलती है। शराब के नशे में उद्दण्डता करना, किसी पर थूक देना, किसी पर पेशाब कर देना या किसी को थप्पड मार देने जैसी घटनाएं हवाई सफर के दौरान होना विमान अधिनियमों का उल्लंघन होने के साथ-साथ हवाई सफर को खतरे में डालना है। सोमवार को अबू धाबी से मुंबई के लिए चले एक विमान में ऐसी ही अराजक स्थितियां उत्पन्न हुई, जब चालक दल के सदस्यों की ओर से अनधिकृत गतिविधि से रोके जाने पर एक महिला यात्री ने एक कर्मी के चेहरे पर घूंसा जड़ दिया और अशिष्ट व्यवहार किया। विमान यात्रा के दौरान यात्रियों द्वारा महिला कर्मियों से छेड़छाड़, अशिष्ट एवं बेहूदी घटनाएं होना तो आम बात रही है। विमान यात्रा पर लग रहे इन दागों एवं धब्बों को धोना जरूरी है।
वर्तमान के संदर्भ में देखा जाए तो लगता है, मनुष्य की मानसिकता हिंसक, अराजक एवं असंतुलित होती जा रही है, ऐसी स्थितियां स्वयं के साथ अन्य लोगों के जीवन को संकट में डालती है। शांति, संतुलन, मर्यादा एव अहिंसा के मूल्य लुप्त होते जा रहे हैं, महापुरुषों के स्वर कहीं शून्य में खो गए हैं। जीवन के श्रेष्ठ मूल्य व्यवहार के धरातल पर अर्थहीन से हो रहे हैं। तभी विश्व मानव में सामाजिक असंवेदनाओं, हिंसा एवं अराजकता की त्रासद स्थितियां देखने को मिल रही है। विश्व अणु-परमाणु हथियारों के ढेर पर खड़ा है। दुनिया हिंसा की लपटों से झुलस रही है। अर्थ प्रधान दृष्टिकोण, सुविधावादी मनोवृत्ति, उपभोक्ता संस्कृति, सांप्रदायिक कट्टरता, जातीय विद्वेष आदि स्थितियों ने मानवता की काया में न जाने कितने गहरे घाव दिये हैं। अराजकता के बीज, संवेदनहीनता एवं हिंसा के दंश जमीन से लेकर आसमान तक पसरे हैं जो इंसान को संकट में डाल रहे हैं।
यह सर्वविदित है कि विमान की उड़ान हर स्तर पर बेहद संवेदनशील एवं नाजूक होती है और उसमें कोई मामूली चूक एक त्रासद नतीजे या दुर्घटना का कारण बन सकती है। इसलिये उड़ान के दौरान न केवल सुरक्षा की कसौटी पर हवाई जहाज में तकनीकी स्तर पर सौ फीसद परिणाम सुनिश्चित किए जाते हैं, बल्कि उसमें सवार चालक दल सहित हर व्यक्ति की गतिविधि यात्रा का पूरी तरह सुरक्षित होना तय करती है। विमानकर्मियों को इसलिये गहन प्रशिक्षण दिया जाता है, अनुशासन एवं मर्यादा के साथ-साथ शालीन-शिष्ट व्यवहार सिखाया जाता है, ताकि यात्रियों की यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न हो एवं उन्हें यात्रा का सुखद अनुभव हो। लेकिन विमानयात्रियों के लिये ऐसी कोई आचार-संहिता का समुचित प्रशिक्षण न होने से वे अवांछनीय एवं अराजक होने के साथ हिंसक भी हो जाते हैं। विमान की उच्चस्तरीय एवं व्यवहारक्षम सेवाओं के होने के बावजूद नए यात्रियों के लिए भी विमान के भीतर हर गतिविधि के लिए लिखित निर्देश होते हैं, चालक दल के सदस्यों की ओर से घोषणाएं की जाती हैं और जरूरत पड़ने पर किसी बात को समझने में मदद भी की जाती है। अगर चालक दल से कार्य-दायित्व में कोई कोताही होती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। इन सब स्थितियों के होने के बावजूद कुछ यात्रियों को अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखना जरूरी नहीं लगता है, और वे अपनी सीमाओं एवं मर्यादाओं का उल्लंघन करने पर आमादा हो जाते हैं जिससे पैदा जोखिम की जद में वह खुद भी होता है।
यात्रा चाहे रेल की हो या सड़क मार्ग की उनमें हिंसा एवं अराजकता की स्थितियां आम बात है। आजकल सड़क पर चलते वक्त किस व्यक्ति का मानसिक असंतुलन, क्रोध या तनाव हिंसा में बदल जाये कहां नहीं जा सकता, लेकिन आमतौर पर विमान से यात्रा को व्यवस्था के लिहाज से हर स्तर पर सुरक्षित और सहज माना जाता है, जिसमें लोगों को कोई परेशानी न हो। लेकिन वहां भी हिंसक एवं अराजक स्थितियांे का उग्र होना चिन्ता का कारण है। विडंबना यह है कि कई बार खुद किसी यात्री की हरकतें न केवल अवांछित होती हैं, बल्कि उससे समूचे विमान की सुरक्षा संकट में पड़ जाती है। इस वर्ष की शुरुआत में ही शराब पीकर हंगामा करने, लापरवाही में आपातकालीन दरवाजा खोल देने या किसी विमान परिचारिका से छेड़खानी करने की ऐसी कुछ घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जो विमान यात्रा में जोखिम की वजह मानी जा सकती हैं। पिछले कुछ समय की कतिपय यात्रियों की गैरजिम्मेदाराना एवं अराजक घटनाओं ने यह सवाल उठा दिये हैं कि कोई यात्री क्या इस बात को लेकर पूरी तरह निश्चिंत एवं सुरक्षित हो सकता है कि उसके साथ अराजक या अनुचित बरताव नहीं होगा! विमानकर्मियों के साथ यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा यह सवाल इसलिये गंभीर है कि पिछले दिनों विमान में शराब पीने के बाद कुछ यात्रियों के अभद्र एवं अशिष्ट व्यवहार की वजह से जैसे हालात पैदा हुए, उसने स्वाभाविक ही उड़ान के दौरान प्रबंधन और व्यवस्था के लडखड़ाने के साथ अन्य यात्रियों को भारी तकलीफ एवं तनाव झेलना पड़ा।
अन्तर्राष्ट्रीय विमान सेवाओं में शराब परोसे जाने का प्रचलन रहा है। शराब के सेवन के बाद किसी यात्री का बेकाबू, अश्लील, असंतुलित एवं आक्रामक व्यवहार होना स्वाभाविक है। इस तरह के व्यवहार से महिला कर्मियों को जटिल स्थितियों का सामना करना पड़ता है। जाहिर है, व्यवस्था के स्तर पर ऐसी बाधा से निपटने के क्रम में शराब परोसने की प्रवृत्ति को रोकना विमान प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी होना चाहिए। शायद यही वजह है कि अब एअर इंडिया ने अपनी उड़ान के दौरान यात्रियों को शराब परोसे जाने की नीति में बदलाव करने का फैसला किया है। आसमान में होने वाली इन अराजक, अश्लील एवं आक्रामक घटनाओं के क्रम में शराब पीकर किसी यात्री के द्वारा  अन्य यात्रियों या फिर चालक दल के सदस्यों से अभद्र, आक्रामक एवं अराजक बर्ताव किया जाना दूसरे यात्रियों के  परेशानी के सबब तो थे ही, इन घटनाओं ने विमान सेवाओं पर भी अनेक सवाल खड़े कर दिये हैं। निश्चित ही बार-बार घटने वाली इन घटनाओं एवं बेलगाम बर्ताव की वजह से समूची उड़ान को  खतरे में नहीं डाला जा सकता, नतीजतन उन पर नियंत्रण के लिये विमान अधिनियमों एवं कानूनों में सख्ती लाना जरूरी है, लेकिन ऐसी घटनाओं पर वास्तविक नियंत्रण के लिये विमान में सफर करने वाले लोगों को अपने स्तर पर ही इस बात का खयाल रखना चाहिए कि जिस तरह वे अपने लिए सुरक्षित और सहज यात्रा की अपेक्षा करते हैं, उसी तरह उनकी वजह से किसी अन्य को कोई परेशानी न हो। नागर विमानन महानिदेशालय को स्थिति की गंभीरता को देखते हुए व्यवस्था, शिष्टता और सुरक्षा को लेकर उच्चस्तरीय मानकों के लिए मशहूर रही विमान यात्रा को अराजक होने से बचाने के पुख्ते इंतजाम करने चाहिए।

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use