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Barabanki News : छात्राओं के अचानक बेहोश होने की सामने आई वजह, 5 की हालत गंभीर, 17 बीमार

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जहरीली गैस से बेहोश हुई स्कूली छात्राओं की सीएमओ ने टीम गठित कर जलाई गई दवाओं की जांच में जुट गई है। जहरीली गैस से हालत गंभीर होने वाली छात्राओं की संख्या बढ़ कर 17 हो गई है। जिसमें 5 छात्राओं को लखनऊ रेफर किया गया है। जांच टीम लगे सीएमओ डॉक्टर अवधेश के अनुसार घटना जलाई गई दवाओं से घातक गैस कॉर्बन मोनो आक्साइड से समाने आई है। ये जहरीली गैस हार्ट और दिमाग के साथ शरीर के अन्य हिस्सों पर बुरा असर डालती है।

नगर कोतवाली क्षेत्र के कामरियाबाग स्थित किंग जार्ज इंटर कालेज में बुधवार सुबह करीब साढ़े दस बजे संचालित कक्षा में अचानक छात्राएं बेहोश होने लगी। जिसमें बेहोशी की हालत में 5 छात्राओं को पुलिस प्रशासन की मदद से जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसके बाद घर पहुंचे कुछ छात्रों की हालत बिगड़ने पर देर शाम तक अस्पताल में भर्ती होने का सिलसिला जारी रहा और संख्या बढ़ कर 17 तक पहुंच गई। जिसमें अफजा सिद्दीकी, नाजिया अंसारी, फलक सिद्दीकी, मानवी और ईमरा को लखनऊ रिफर किया है। वहीं जिला अस्पताल के ट्रामा में भर्ती खुशी गुप्ता, असलान अली, अशिंका वर्मा, हुदा, इलाहम, मोहम्मद आमिल, शेख अमीन, नैंसी यादव, श्रेया, शौर्य मिश्रा, तुबा और अकाउंटेंट लाइक खान शामिल है।

कॉर्बन मोनोआक्साइड गैस से बेहोश हुई छात्राएं–सीएमओ
जांच करने घटना स्थल पर पहुंचे सीएमओ डा अवधेश सिंह यादव ने बताया कि स्कूल बाउंड्री से सटे शमशान में कबाड़ी शेखू, शेरअली, बबलू द्वारा प्राइवेट अस्पताल से बायोमेडिकल वेस्ट को लाकर जलाया गया था, जो की किसी प्राइवेट अस्पताल की पाई गई है। इसमें कुछ एक्सपायरी दवाओं के जलने से कॉर्बन मोनोआक्साइड गैस निकली जिससे से 15 छात्राएं गंभीर हुई।

टीम गठित जांच के बाद कार्यवाही
सीएमओ ने बताया कि ये जहरीली गैस काफी घातक होती है। हार्ट और दिमाग के साथ शरीर के अन्य भागों पर बुरा असर डालती है। मामले में टीम गठित कर दी गई है, पुलिस के सहयोग से कबाड़ी से पूछताछ में समाने आएगा कि किस अस्पताल से ये एक्सपायरी दवाएं खरीदी गई हैं।

एजेंसी करती है एक्सपायरी दवाओं का निस्तारण
सीएमओ डॉक्टर अवधेश सिंह यादव ने बताया कि एक्सपायरी दवाओं को खत्म करने के लिए जलाने की कोई व्यवस्था नहीं है। उनको जमीन में दफन करने या प्राइवेट अस्पतालों में प्राइवेट बायोमेडिकल वेस्ट (Biomedical waste) एजेंसी के द्वारा उनको अपने व्यवस्था के तहत खत्म (डिस्पोज) करते हैं।