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सप्तर्षि से उपमित दूरगामी अमृत बजट

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ललित गर्ग

अमृत काल का पहला बजट अनेक दृष्टियों एवं दिशाओं से महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक है, क्योंकि इसमें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सात फोकस क्षेत्रों की बात की, जिन्हें उन्होंने सरकार का मार्गदर्शन करने के लिए ‘सप्तऋषि’ कहा। कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज, इन सात ऋषियों को सप्तर्षि कहा जाता है, जो सृष्टि का संतुलन बनाने में अपनी योगदान देते हैं। भारत आर्थिक विकास एवं संतुलन में इन ऋषियों को आधार बनाने की बात एक मौलिक सोच एवं दिशा है। दुनिया ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक चमकते सितारे के रूप में स्थापित करने एवं सुदृढ़ आर्थिक विकास के लिये इस सप्तर्षि रूपी बजट में सात फोकस क्षेत्रों में समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे और निवेश, क्षमता विस्तार हरित विकास, युवा शक्ति, वित्तीय क्षेत्रों पर बल दिया गया हैै, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल और सामाजिक विकास की दृष्टि से देश को आत्मनिर्भर बनाता है। यह बजट देश को न केवल विकसित देशों में बल्कि इसकी अर्थव्यवस्था को विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर बनाये रखने में सहायक बनेगा, विकास दर को 7 प्रतिशत बनाये रखेगा एवं अगले वर्ष भारत अधिक तीव्र गति से विकास कर सकेगा। निश्चित ही सप्तर्षि से उपमित यह बजट आगामी आजादी की शताब्दी तक ले जाने वाले 25 वर्षों में भारत की आर्थिक बुनियाद को मजबूती देने का माध्यम बनेगा।
सशक्त एवं विकसित भारत निर्मित करने, उसे दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनाने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की दृष्टि से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बुधवार को लोकसभा में प्रस्तुत आम बजट इसलिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि मोदी सरकार ने देश के आर्थिक भविष्य को सुधारने पर ध्यान दिया, न कि लोकलुभावन योजनाओं के जरिये प्रशंसा पाने अथवा कोई राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की है। राजनीतिक हितों से ज्यादा देशहित को सामने रखने की यह पहल अनूठी है, प्रेरक है। अमृत काल का विजन तकनीक संचालित और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है, जो इस बजट से पूर्ण होता हुआ दिखाई देता है। इस बजट में मध्यम वर्ग को लम्बे अन्तराल के बाद 7 लाख रुपये तक की कुल कमाई करने वालों को बड़ी राहत दी है। इन लोगों को अब कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा इनकम टैक्स स्लैब की संख्या भी घटाकर 5 कर दी गई है।
बजट में महिला बचत सम्मान योजना लॉन्च करके महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने एवं बचत को प्रोत्साहित करने का भी प्रयत्न किया गया है। इसके तहत 7.5 फीसदी का सालाना ब्याज मिलेगा। किसानों के लिए श्री अन्न योजना लॉन्च की गयी है, इसके तहत मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके तहत बाजरा, ज्वार, रागी जैसे मिलेट्स के उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा मिलेट्स संस्थान की भी हैदराबाद में स्थापना की जाएगी। बजट में रेलवे के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे भारत की रेल को मजबूती एवं नयी उन्नत शक्ल मिलेगी। वहीं अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हर वर्ष 10 हजार करोड़ रुपये की रकम जारी की जाएगी। बीते कुछ सालों में नरेन्द्र मोदी ने इकॉनमी को मजबूत करने के लिए जो नींव रखी थी, अब उस पर मजबूत इमारत खड़ा करने का मौका है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 2 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। अंत्योदय योजना के तहत गरीबों के लिए मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 की शुरूआत की जाएगी। युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय अवसरों के लिए कौशल प्रदान करने के लिए 30 स्किल इंडिया नेशनल सेक्टर खोले जाएंगे।
740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिए अगले 3 वर्षों में 38,000 शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। घरेलू और अतंरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए देश में 50 पर्यटन स्थल विकसित किए जाएंगे। उनका विकास प्रतिस्पर्धी आधार पर किया जाएगा। मोदी सरकार ने गरीबों की भी बल्ले-बल्ले करवा दी है। प्रधानमंत्री आवास योजना का बजट 66 प्रतिशत बढ़ाकर 79 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। सरकार का आर्थिक एजेंडा नागरिकों के लिए अवसरों को सुविधाजनक बनाने, विकास और रोजगार सृजन को तेज गति प्रदान करने और व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने पर केंद्रित है। पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान देते हुए कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया गया है। बच्चों और किशोरों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय स्थापित करने की घोषणा भी सराहनीय है, वहीं, कृषि से जुड़े स्टार्ट अप को प्राथमिकता देने की दृष्टि से भी बजट में प्रावधान किये गये हैं, जिसके अन्तर्गत युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि त्वरक कोष की स्थापना की जाएगी। आदिवासी समुदाय के उन्नयन के लिये भी बजट में ध्यान दिया गया है। यह बजट भारत की अर्थव्यवस्था के उन्नयन एवं उम्मीदों को आकार देने की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा। इसके माध्यम से समाज के सभी वर्गों का सर्वांगीण एवं संतुलित विकास सुनिश्चित होगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था का जो नक्शा सामने आया है वह इस मायने में उम्मीद की छांव देने वाला है।  इस बजट में शहर एवं गांवों के संतुलित विकास पर बल दिया है, जो इस बजट की विशेषता है।
भारत की अर्थव्यवस्था को तीव्र गति देने की दृष्टि से यह बजट कारगर साबित होगा, जिसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे, रोजगार के नये अवसर सामने आयेंगे, उत्पाद एवं विकास को तीव्र गति मिलेगी। चालू वित्त वर्ष में आर्थिक क्षेत्र में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले, लेकिन इन सब स्थितियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट के माध्यम से देश को स्थिरता की तरफ ले जाते दिखाई पड़ रहे हंै। बजट हर वर्ष आता है। अनेक विचारधाराओं वाले वित्तमंत्रियों ने विगत में कई बजट प्रस्तुत किए। पर हर बजट लोगों की मुसीबतें बढ़ाकर ही जाता रहा है। लेकिन इस बार बजट ने बिगड़ी अर्थव्यवस्था में नयी परम्परा के साथ राहत की सांसें दी है तो नया भारत- सशक्त भारत के निर्माण का संकल्प भी व्यक्त किया है। इस बजट में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, रेलों का विकास, सड़कांे और अन्य बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ किसानों, गांवों और गरीबों को ज्यादा तवज्जो दी गयी है। सच्चाई यही है कि जब तक जमीनी विकास नहीं होगा, तब तक आर्थिक विकास की गति सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी। इस बार के बजट से हर किसी ने काफी उम्मीदें लगा रखी थीं और उन उम्मीदों पर यह बजट खरा उतरा है। विशेषतः नौकरीपेशा लोगों ने राहत की सांस ली है। इस बार आम बजट को लेकर उत्सुकता इसलिए और अधिक थी, क्योंकि यह बजट पडौसी देशों के लगातार हो रहे हमलों, निस्तेज हुए व्यापार, रोजगार, उद्यम की स्थितियों के बीच प्रस्तुत हुआ है। संभवतः इस बजट को नया भारत निर्मित करने की दिशा में लोक-कल्याणकारी बजट कह सकते हैं। यह बजट वित्तीय अनुशासन स्थापित करने की दिशाओं को भी उद्घाटित करता है। आम बजट न केवल आम आदमी के सपने को साकार करने, आमजन की आकांक्षाओं को आकार देने और देशवासियों की आशाओं को पूर्ण करने वाला है बल्कि यह देश को समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण एवं दूरगामी सोच से जुड़ा कदम है। बजट के सभी प्रावधानों एवं प्रस्तावों में जहां ‘हर हाथ को काम’ का संकल्प साकार होता हुआ दिखाई दे रहा है, वहीं ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से उजागर हो रहा है। आजादी के अमृत काल में प्रस्तुत यह बजट निश्चित ही अमृत बजट है। जिसमें भारत के आगामी 25 वर्षों के समग्र एवं बहुमुखी विकास को ध्यान में रखा गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आशा के अनुरूप ही बजट का फोकस किसानों, स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरी विकास, रोजगार, युवाओं की अपेक्षाओं, विकास और ग्रामीण क्षेत्र पर रखा है। अपने ढांचे में यह पूरे देश का बजट है, एक आदर्श बजट है। इसका ज्यादा जोर सामाजिक विकास पर है। मुश्किल के इस वक्त में भी मोदी सरकार का फोकस मोटे अनाज को प्रोत्साहित करते हुए किसानों के हितों को ही साधने, विकास की रफ्तार को बढ़ाने और आम लोगों को सहायता पहुंचाने पर है। अक्सर बजट में राजनीति, वोटनीति तथा अपनी व अपनी सरकार की छवि-वृद्धि करने के प्रयास ही अधिक दिखाई देते है लेकिन इस बार का बजट इस वर्ष नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के बावजूद राजनीति प्रेरित नहीं है। इस बजट में जो नयी दिशाएं उद्घाटित हुई है और संतुलित विकास, भ्रष्टाचार उन्मूलन, वित्तीय अनुशासन एवं पारदर्शी शासन व्यवस्था का जो संकेत दिया गया है, सरकार को इन क्षेत्रों में अनुकूल नतीजे हासिल करने पर खासी मेहनत करनी होगी।