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मोदी की चाणक्य नीति; मोदी की चाणक्य नीति

प्राचीन काल में जब युद्ध का समय आता था तो राजा युद्ध शुरू होने से पहले ही अपना पक्ष मजबूत करने के लिए गठबंधन पर जीत हासिल करने लगते थे, उस समय की इस नीति को “कूट नीति” के नाम से जाना जाने लगा। मोदी जी अनुकंपा” के लिए प्रसिद्ध हैं, यह बहुत स्पष्ट है क्योंकि वह और अमित शाह अन्य संबद्ध प्रमुख सदस्यों के देश में चुनाव जीतने के लिए बहुत चतुराई से उपयोग करते हैं। वे न केवल इस चाणक्य नीति का उपयोग करके देश में चुनाव जीतते हैं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विश्व के बड़े छोटे नेताओं को अपने मित्र भी बना लेते हैं।

नरेंद्र मोदी ने चाणक्य नीति अपनाई। उन्होंने पाकिस्तान और चीन की घेराबंदी के लिए पहले तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबंध को मजबूत किया। फिर चीन की घेराबंदी के लिए नेपाल, भूटान, चक्र, जापान, मंगोलिया आदि देशों से अपने संबंध मजूबत बनाए। दूसरी ओर अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, संबंध, कजाकिस्तान, तकाकिस्तान, अमेरिका, रूस, जर्मनी, फ्रांस और इज़राइल से अपने संबंध मजूबत करके पाकिस्तान को हर मोर्चे पर मात दी।

इट फॉर टाट: शत्रु को उसकी भाषा में जवाब दें: चाणक्य मानते हैं कि शत्रु को उसकी भाषा में ही जवाब देना चाहिए जो भाषा वह जानी है। यदि राजा कोई कड़ा फैसला नहीं करता है तो उसे कमजोर माना जाता है और राज्य में भय का माहौल पैदा हो जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी इस नीति को अपनाया है। जब पाकिस्तान ने 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर पर भारतीय सेना के मुख्यालय पर किए गए नियमों में 19 जवान शहीद हो गए थे तब पीएम मोदी ने अपने भाषण में पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए प्रत्यक्ष स्ट्राइक करवा दिया था। इसी तरह जब पाकिस्तान ने पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराने में 40 जवान शहीद हुए तब एयर स्ट्राइक करके कड़ा संदेश दिया।

चाणक्य के अनुसार दो तरह के शत्रु होते हैं। पहले वो जिन्हें हम देख सकते हैं या पहचानते हैं और दूसरे शत्रु वे होते हैं जो छिप कर रहते हैं और समय आने पर युद्ध करते हैं। शत्रु को नष्ट करने के लिए चाणक्य ने कुछ आवश्यक बातें बताई हैं:

योजना- चाणक्य नीति के अनुसार एक व्यक्ति को अपनी योजनाओं को लेकर हर व्यक्ति से चर्चा नहीं करनी चाहिए। कोई व्यक्ति जब कोई गंभीर और महत्वपूर्ण काम या जिम्मेदारी संभालता है तो उसे विश्वासपात्र लोगों के साथ ही अपनी योजनाओं को साझा करना चाहिए। क्योंकि शत्रु के हाथ में अगर आपकी योजना की जानकारी लग जाए तो वो उसमें रुकावट डाल सकता है। मोदी अपनी योजनाओं को अपने खास विश्वासपात्र नेताओं जैसे अमित शाह से ही चर्चा करते हैं। अचानक निर्णय लेने के लिए सटीक हैं मोदी जी। तिकड़ी नए कृषि कानून ने वापस लेने का फैसला अचानक लिया। नोटबंदी और जीएसटी जैसे कई फरमान मोदी जी ने अचानक लेकर हर साल अचंभित कर दिए थे।

क्रोध- चाणक्य नीति कहती है कि किसी व्यक्ति को जितना हो सके अवगुणों से दूर रहना चाहिए। शत्रु आपको नष्ट करने के लिए आपकी सबसे कमजोर कड़ी और बुरी आदत पर प्रहार करता है। क्रोध भी एक ऐसी ही बुरी आदत है। किसी व्यक्ति को सही और गलत का भेद नहीं मिलता। इसलिए अपने जोखिम को संभव कर इस अवगुण से दूर ही रहना चाहिए।

क्रोध- चाणक्य नीति कहती है कि किसी व्यक्ति को जितना हो सके अवगुणों से दूर रहना चाहिए। शत्रु आपको नष्ट करने के लिए आपकी सबसे कमजोर कड़ी और बुरी आदत पर प्रहार करता है। क्रोध भी एक ऐसी ही बुरी आदत है। किसी व्यक्ति को सही और गलत का भेद नहीं मिलता। इसलिए अपने जोखिम को संभव कर इस अवगुण से दूर ही रहना चाहिए। किसान कानून के वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन हुआ था, उस समय देश विरोधी कुछ आंदोलनकारियों ने ”मोदी तू मरजा मरजा। .. ”के नारे थे , दूसरे समय पर भी इसी तरह के मोदी जी को उत्तेजक हरकतें कर रहे हैं पर मोदी जी क्रोधित न होकर उन्हें देख रहे हैं।

जब तक शत्रु की दुर्बलता का पता न चले, तब तक उसे मित्रता के भाव से रखना चाहिए। सदियों पुरानी होने के बावजूद, चाणक्य नीति आधुनिक जीवन पर लागू की जा सकती है। हम सभी को चाणक्य के बारे में कुछ बातें जरूर जानना बेहद जरूरी हैं। शत्रु को पराजित करने के लिए पहले युद्धक हथियार से न करके शत्रु को पहले अपने जाल में फसाएं अर्थात उसकी शक्तियां और सहयोगियों को उससे दूर कर दें। जब शत्रु अकेला होगा उस पर कंपन करें।

दुश्मन पर पहला युद्ध करना के पहले…? दुश्मन को परास्त करने के लिए कभी भी उसे पहले युद्ध हथियार से नहीं चाहिए। शत्रु को पहले अपने कूद में फसाएं का अर्थ है उसकी शक्तियां और सहयोगी उससे दूर हो जाएं। जब शत्रु अकेला होगा उस पर कंपन करें।

कोई भी कार्य शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न निश्चित रूप से चाहिए- मैं ये क्यों कर रहा हूं, इसका परिणाम क्या हो सकता है और क्या मैं सफल हो पा पाऊंगा? और इसके बाद जब गहराई से सोचने के बाद इन सवालों के दूसरे जवाब मिल जाएं, तभी आगे बढ़ने का फैसला लें। चीन और पाकिस्तान के संबंध में मोदी जी चाणक्य नीति ही अपना रहे हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी ने वैश्विक समुदाय को दियाचाणक्य मंत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संदेश दिया। मोदी ने भारत के महान अर्थशास्त्री और नीति के जानकार चाणक्य के कथन को देश देश संयुक्त राष्ट्र को अहमियत दी है।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में आचार्य चाणक्य, दीन दयाल उपाध्याय और रवींद्रनाथ टैगोर का जिक्र किया। पीएम मोदी ने भारतीय रणनीतिकार चाणक्य के शब्दों को याद किया, जिन्होंने कहा था, “जब सही समय पर सही काम नहीं होता है, तो समय ही उस काम की सफलता को नष्ट कर देता है।” प्रधान मंत्री मोदी ने यह भी कहा कि, “यदि संयुक्त राष्ट्र को स्वयं को प्रासंगिक रखना है, तो उसे अपने विभाजन में सुधार करना होगा और इसकी विश्वसनीयता बढ़ाई जाएगी।”

आतंकवाद के के खिलाफ अंतरराष्‍ट्रटू जगत को एकता किया: दुनिया के पहले शख्सियत मोदी ही हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्री जगत के खिलाफ आतंक मचाया है यूनिटी किया। नरेंद्र मोदी ने ही दूसरी बार आतंकवाद, लॉ एंड आर्डर, एक राज्य या देश का मामला नहीं, बल्कि एक वैश्‍विक समस्या की चेतावनी दी थी। पीएम मोदीजी ने ही दुनिया को समचा कि गुड या बैड आतंकवाद नहीं होता। मोदी जी ने धीरे-धीरे आतंकवाद की समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण किया, जबकि इससे पहले आतंकवाद को अच्छा और बुरा देश माना जा रहा था कि वह विश्व को आतंकवाद क्या है टक्कर मारने वाला मानवता का दुश्मन है, न अच्छा है न बुरा।

उन्होंने पाकिस्तान की गतिविधियों के खिलाफ विश्व बिरादरी का ध्यान खींचा।मोदी ने भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई अनुकूल गठजोड़ कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, ईरान और अफगानिस्तान के साथ चाबहार बंदरगाह परियोजना, अमेरिका के साथ संचार अनुकूलता और सुरक्षा समझौता, सिंगापुर के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता, रूस के साथ आतंकवाद विरोधी समझौता, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के साथ एजेंसी एसोसिएशन समझौता, जापान के साथ बुले

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में सफल जीवन के लिए कई तरीके बताए हैं। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ना चाहता है, वो उसके लिए मेहनत करता है, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो बिना मेहनत की उपलब्धि पाना चाहते हैं। आचार्य ने लोगों को कभी भी इन चीजों पर भरोसा नहीं करने को कहा है।

इस सन्दर्भ में मुझे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति वाशिंगटन स्मरण हो रहा है। उन्होंने अपने कमरे के दरवाज़े के ऊपर लिखा था कि उन्हें हमेशा स्मरण रहे कि वे राष्ट्रपति बन रहे हैं। फिर भी मोदी जी ने वाशिंगटन जैसा नहीं सोचा था, पर लगातार लगन से ईमानदारी से प्रयास और परिश्रम से मोदी जी नरेंद्र से पीएम मोदी बन गए।

मोदी के शासन पर चाणक्य नीति का असरअमित शाह की पुस्तक ने किया पता

आज हमारा देश विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां हर व्‍यक्ति के पास अपना शासक अधिकार का अधिकार है, मतलब आज वोट डालने वाला हर नागरिक चाणक्य है।आचार्य चाणक्य का मानना ​​था कि आम जनता को साथ में दृष्‍टिकोण घनाानंद के शासन को वोट फेंकना मुमकिन नहीं है। इसीलिए चाणक्य ने आम जनता के दम पर अपनी एक सेना बनाई और घनानंद का तखता पलट दिया। अंश चाणक्य ने इस सफलता से सीखा कि जनभागीदारी से ही शासन यवसथा को बदला जा हो सकता है है। लोकतंत्र में आम जनता के पास बड़ी ताकतें होती हैं।

नरेंद्र मोदी चाणक्य की इसी नीति को आत्मसात कर कांग्रेस को सत्ता विहीन ही नहीं बल्कि संबंध में भी कांग्रेस को सत्ता विहीन ही नहीं किया बल्कि उसके प्रति उदासीन कर राजनीति में आगे बढ़ रहे हैं।

दिसंबर 2016: नोटबंदी के बाद पहली बार संसदीय दल को संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण के दौरान सांसदो को चाणक्य नीति का पाठ पढ़ाया। बेनामी संपत्ति को लेकर पीएम मोदी ने चाणक्य नीति के 15वें अध्याय के छठे दोहे का जिक्र किया। पाप से कमाया पैसा 10 साल तक रह सकता है। 11वें वर्ष में ही वह मूलधन के साथ नष्ट हो जाता है।

आर्थिक निर्णय: आचार्य चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र में राजस्व, कर राज्य व्यवस्था, कृषि, न्याय एवं राजनीति के बारे में विस्तार से लिखा है। चाणक्य मानते थे कि कर संग्रह के साथ ही जनकल्याण के कार्य भी जारी रहना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक ओर जहां GST लागू किया तो दूसरी ओर उद्योग को सुधार का कार्य किया वहीं उन्होंने जन कल्याण से जुड़ी कई योजनाओं को लॉन्च करके गरीब जनता को लाभ बनाया।

परिवारवाद की राजनीति खत्म: आचार्य चाणक्य ने उस काल में परिवारवाद की राजनीति को खत्म करके लोकतंत्र का समर्थन करते हुए घनानंद के शासन को खत्‍म किया था। आचार्य चाणक्य का मानना ​​था कि शासन की बागडोर उसी को संभालनी चाहिए, जो उसके ल हो और जनता जिसे पसंद करती हो। ऐसे व्यवहार को शासन करने का कोई अधिकार नहीं, जो जनता की समस्याओं को न सुनें। राहुल गांधी जनता की तो क्या अपनी पार्टी के नेताओं की भी बात नहीं सुनते। हिमंत विश्व शर्मा जैसे नेता से टकराने की वे अपने कुत्तों से मस्ती करते हुए उचित समझे।

यही बात पीएम नरेंद्र मोदी अपने पहले लोकसभा चुनाव से अब तक बोलते हैं कि परिवारवाद देश के लिए घातक है। कुछ पार्टियां एक ही परिवार की पार्टियां हैं। बीजेपी किसी परिवार की जनता की पार्टी नहीं है। यहां एक चाय वाला भी प्रधानमंत्री बन सकते हैं। भ्रष्टाचार और वंशवाद की राजनीति करते हुए मोदी जी ने कहा था कि राज्य को “पहले लोग, पहले परिवार नहीं” सरकार की आवश्यकता है। इस तरह के परिवारवाद के खिलाफ चाणक्य भी थे।

इसी उदाहरण से हम समझ सकते हैं कि भारत आज इतने सारे देशों के साथ काम कर रहा है और श्री मोदी दुनिया के और से अधिक देशों के साथ काम करने की योजना बना रहे हैं।

यदि हम मोदी जी की कार्यप्रणाली, राजनीति और जीवन को समझ रहे हैं तो हमें चाणक्य के लिखे श्लोक की झलक भी दिखेगी:

गते शोको एन कार्य भविष्यं भोले चिन्तयेत् वर्तमानेन कलान प्रवर्तन्ते विचक्षणाः 2चाणक्यनीतिः, अध्यायः 13

अतीत पर शोक नहीं करना चाहिए और भविष्य के बारे में चिंतित नहीं रहना चाहिए। बुद्धिमान लोग केंद्रित होते हैं और वर्तमान में लगे रहते हैं।” – चाणक्य

यद् दूर यद् दुराराध्यं यच्च दूरे व्यवस्थितम्।

तत्सर्व तपसा साध्यं तपो हि दुरतिक्रममू ॥ – 17.3 चाणक्य-नीतिः

कोई वस्तु कितनी ही दूर क्‍यों न हो, उसका योग ही कितना कठिन क्यों

न हो, और वह बाहर क्यों न हो, कठिन तपस्या अर्थात् परिश्रम से उसे पहुंचे

प्राप्त किया जा सकता है। कठिन परिश्रम सबसे कठिन वस्तु है।

यह भारत के लोकतंत्र की इसलिए कि बचपन में चाय चाय वा वाला चौथा बार संयुक्त राष्ट्र संघ में भाषण डे रहा है है