बांदा: सीमा पार देश से नागरिकों को के आने जाने पर भले ही पाबंदी लगी हो। लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के पंछी अपने देश की सीमा लांघ कर यहां पहुंचे हैं और यहां के जलाशयों में कलरव करते हुए अठखेलियां कर रहे हैं। जिन्हें देखने के लिए लोगों में उत्साह देखा गया है। अमूमन दिसंबर के पहले सप्ताह में विदेशी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस साल दिसंबर आना शुरू हो गया है।
तापमान 0 डिग्री में पहुंचने पर पंछी बदलतें है ठिकाना
हर साल जिन देशों का तापमान 0 डिग्री से नीचे पहुंच जाता है। वहां के पंछी अपना ठिकाना बदल कर दूसरा ठिकाना बदल बना लेते हैं। लगभग 5000 से 8000 किलोमीटर तक का सफर तय करके अलग-अलग प्रजाति के विदेशी पंछी बांदा के जलाशयों में नजर आ रहे हैं। उन्हें यहां की आबोहवा खूब पसंद आ रही है।
इन पंछियों में बारहेडेड व व्हाइट हेडेड गूज सहित पेंटेड स्टार्क, कार्मोरेंट, नाइट् हेरोन व ब्लैक आइबिस (कालाबाजा) आदि पंछी शामिल हैं। इन पंछियों के साथ में भारतीय जाति के सुर्खाब व सारस पक्षी भी तालाबों में अठखेलियां कर रहे हैं। इन्हें देखने के लिए नदी तालाबों के किनारे लोगों की भीड़ लगने लगती है।
15 दिन पूर्व यहां आए मेहमान पंक्षी
इस बारे में प्रभागीय वनाधिकारी डॉ संजय अग्रवाल ने बताया कि करीब 15 दिन पूर्व यहां पर विदेशी पंछियों का आना शुरू हुआ। इनमें सबसे ज्यादा रस्सी बांध पंचमपुर और छेहरांव गांव स्थित केन नदी सहित घसियारी तलाब बिसंडा, पुराना तालाब मुंगुस व बड़ा तालाब नरैनी में विदेशी पंछी देखे गए हैं। इन्हें शिकारियों से बचाने के लिए वन कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।
दरअसल शून्य से नीचे तापमान पहुंचने पर पंछी अपना स्थान बदलते हैं। इसी कारण पाकिस्तान, चीन, ब्रिटेन, आयरलैंड बांग्लादेश, श्रीलंका, मंगोलिया साइबेरिया, तिब्बती देशों के पंक्षी झुंड के साथ यहां हर साल आते हैं। इस बार भी इनकी अच्छी खासी संख्या देखने को मिल रही है।
More Stories
Lucknow की ‘लेडी डॉन’ ने आईएएस की पत्नी बनकर महिलाओं से ठगी की, 1.5 करोड़ रुपये हड़पे
पार्वती, कालीसिंध और चंबल परियोजना में मप्र में 22 बांधा, एमपी के 13 सौंदर्य को मिलेगा फायदा
झारखंड में भाजपा ने 30 बागी प्रत्याशियों को पार्टी से निकाला